म्याँमार: स्वास्थ्य केन्द्रों पर हमलों से ख़तरे में कोविड-19 जवाबी कार्रवाई
म्याँमार में 1 फ़रवरी को सैन्य तख़्ता पलट के बाद से अब तक चिकित्साकर्मियों और मेडिकल केन्द्रों पर कम से कम 158 हमले हो चुके हैं और विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले 139 डॉक्टरों को गिरफ़्तार किया गया है. म्याँमार में संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय ने बुधवार को कहा है कि मौजूदा हालात में कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्व स्वास्थ्य सेवाओं के लिये भी जोखिम पैदा हो गया है.
यूएन टीम ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्वास्थ्यकर्मियों, स्वास्थ्य केन्द्रों और मरीज़ों को सुरक्षा प्रदान किये जाने की पुकार दोहराई है.
“ऐसे समय में जब म्याँमार को स्वास्थ्यकर्मियों की सबसे अधिक आवश्यकता है, उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी और शान्तिपूर्ण ढँग से एकत्र होने के अधिकार का इस्तेमाल करने पर, गिरफ़्तार किये जाने या हिरासत में रखे जाने के डर का सामना करना पड़ रहा है.”
The United Nations in Myanmar warns of the impact on public health, including the #COVID19 response, from attacks on medical personnel and facilities, and reiterates its call for health workers, health facilities and patients to be protected.Statement: https://t.co/2QO1wbYIKW pic.twitter.com/o8fspCCalf
UNinMyanmar
विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक निगरानी प्रणाली के मुताबिक, 158 हमलों में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई है और 51 घायल हुए हैं.
इसके अलावा, म्याँमार में 51 स्वास्थ्य केन्द्रों को सूचीबद्ध किया गया है, जोकि सुरक्षा बलों के क़ब्ज़े में रहे हैं – इनमें से 31 केन्द्र अब भी उनके क़ब्ज़े में हैं.
ऐसे सुविधा केन्द्रों पर उपचार पाने के लिये आने वाले लोगों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गई है.
इसके अतिरिक्त, सविनय अवज्ञा आन्दोलनों में हिस्सा लेने वाले कम से कम 139 डॉक्टरों पर म्याँमार दण्ड संहिता के तहत आरोप तय किए गए हैं.
हिरासत में रखे गए लोगों में विशेषीकृत स्वास्थ्यकर्मी भी हैं, जिनकी विशेषज्ञता का आसानी से विकल्प मिलना मुश्किल है.
इससे, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, संख्या और गुणवत्ता पर असर पड़ने की आशंका है.
म्याँमार में यूएन के रैज़ीडेण्ट कोऑर्डिनेटर एण्ड्रयू कर्कवुड ने बताया कि देश में यूएन प्रणाली, कोविड-19 पर राष्ट्रीय जवाबी कार्रवाई के लिये तैयार खड़ी है.
मगर उन्होंने ध्यान दिलाया कि इसके लिये, स्वास्थ्य केन्द्रों, स्वास्थ्यकर्मियों और मरीज़ों का सम्मान किया जाना होगा, और उन मेडिकल व तकनीकी सेवा से जुड़े कर्मियों को तत्काल रिहा किया जाना होगा जिन्हें अभिव्यक्ति की आज़ादी और शान्तिपूर्ण सभा के अधिकार का इस्तेमाल करने के लिये हिरासत में लिया गया है.
संकट का चौथा महीना
म्याँमार में राजनैतिक संकट अपने चौथे महीने में प्रवेश कर गया है. लगभग हर रोज़, लोकतन्त्र के समर्थन में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं और सुरक्षा बलों की दमनात्मक कार्रवाई भी जारी है.
प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई में अब तक 750 लोगों की मौत हुई है और अनेक अन्य घायल हुए हैं.
मौजूदा संकट से देश में आम लोगों के जीवन पर होने वाले अन्य प्रभावों के प्रति चिन्ता जताई गई है.
पिछले सप्ताह, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने बढ़ती निर्धनता और आर्थिक बदहाली के ख़तरे के प्रति आगाह किया था.
वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रमुख ने अप्रैल में सचेत किया था कि म्याँमार में हालात के एक पूर्ण टकराव में तब्दील होने का जोखिम है.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने रक्तपात रोकने के लिये, क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले देशों से तत्काल व असरदार कार्रवाई का आग्रह किया था.