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कोविड-19: दक्षिण एशिया में बेक़ाबू वायरस पूरी दुनिया के लिये ख़तरा

नेपाल के एक गाँव में कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद अपने टीकाकरण कार्ड को दिखाते वृद्धजन.
UNICEF/Laxmi Prasad Ngakhusi
नेपाल के एक गाँव में कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद अपने टीकाकरण कार्ड को दिखाते वृद्धजन.

कोविड-19: दक्षिण एशिया में बेक़ाबू वायरस पूरी दुनिया के लिये ख़तरा

स्वास्थ्य

दक्षिण एशिया में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के वरिष्ठ अधिकारी ने आगाह किया है कि क्षेत्र में स्थित देशों में कोविड-19 की घातक लहर से स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी बोझ है जिसमें उनके ढह जाने की आशंका है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो यह पूरी दुनिया में वैश्विक महामारी पर जवाबी कार्रवाई मेंअब तक हुई प्रगति के लिये एक बड़ा ख़तरा होगा. उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिये, सरकारों द्वारा तत्काल कार्रवाई और स्फूर्तिवान नेतृत्व की आवश्यकता पर बल दिया है.

दक्षिण एशिया के लिये यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक जॉर्ज लारये-अजेइ ने आहवान किया है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को बिना देरी किये आगे बढ़ना होगा.

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“यह केवल नैतिक अनिवार्यता नहीं है. दक्षिण एशिया में संक्रमण मामलों में ख़तरनाक उभार से, सभी के लिये ख़तरा है. अगर इसे जल्द से जल्द नहीं रोका गया तो, महामारी के ख़िलाफ़ वैश्विक स्तर पर मुश्किल से हासिल हुई प्रगति पलट जाएगी.”

इन हालात में, सबसे निर्बल समुदायों के बच्चों और उनके परिवारों पर सबसे ज़्यादा असर होगा.

उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया जिन दृश्यों का प्रत्यक्षदर्शी बन रहा है, वैसा इस क्षेत्र में पहले कभी नहीं देखा गया.

“मरीज़ों के परिजन मदद की गुहार लगा रहे हैं, क्षेत्र मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन की गम्भीर क़िल्लत से जूझ रहा है.”

“बुरी तरह थक चुके स्वास्थ्यकर्मी ढहने के कगार तक पहुँच रहे हैं. हमारे सामने एक वास्तविक सम्भावना है कि हमारी स्वास्थ्य प्रणालियाँ ध्वस्त होने के कगार तक खिंच जाएँ – जिससे और ज़्यादा संख्या में जीवनहानि होगी.”

दक्षिण एशिया में महामारी की पहली लहर के दौरान, अति-आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता व इस्तेमाल में भारी कटौती हुई थी.
इस व्यवधान की वजह से सवा दो लाख से अधिक बच्चों और 11 हज़ार माताओं की मौत होने का अनुमान है.

यूनीसेफ़ अधिकारी ने कहा, “हम इसे फिर से नहीं होने दे सकते. हमें अपनी सामर्थ्य से, अति-आवश्यक स्वास्थ्य, टीकाकरण और पोषण सेवाएँ जारी रखने के लिये हरसम्भव प्रयास करने होंगे.”

“और यह सुनिश्चित करना होगा कि हर स्थान पर महिलाएँ व बच्चे उनका इस्तेमाल करने में सुरक्षित महसूस करें.”

उन्होंने कहा कि इस आपदा को रोकने के लिये तत्काल कार्रवाई और स्फूर्तिवान नेतृत्व बेहद अहम हैं.

तबाही को रोकने के लिये, सरकारों को यथासम्भव प्रयास करने होंगे, और जो साझीदार सहायता भेज सकते हैं, उन्हें ऐसा तत्काल करना होगा.

स्वास्थ्य उपायों पर ज़ोर

क्षेत्रीय निदेशक ने निजी ज़िम्मेदारी को समझने और सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की अहमियत पर बल दिया है. "हम तो थकान महसूस कर सकते हैं, मगर वायरस अभी नहीं थका है."

“हमें मास्क पहनने, जितना सम्भव हो साबुन से हाथ धोने, शारीरिक दूरी बरतने और टीकाकरण कराने का संकल्प लेना होगा, अगर ऐसा हमारे पास अवसर हो तो.”

बताया गया है कि दक्षिण एशिया में टीकाकरण का स्तर बेहद कम है, जिससे वायरस के बेक़ाबू होकर फैलने का ख़तरा है.

मालदीव और भूटान के अपवाद के अलावा, इस क्षेत्र में स्थित सभी देशों में 10 प्रतिशत से भी कम लोगों का टीकाकरण हुआ है.

“अब पहले से कहीं अधिक, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वैक्सीन न्यायसंगत ढंग से, आबादी के सभी हिस्सों तक पहुँचे.”

“उत्पादन बढ़ाना होगा, टैक्नॉलॉजी का हस्तान्तरण करना होगा और ख़ुराकें न्यायसंगत ढंग से साझा करनी होंगी. हम में से कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक हर कोई सुरक्षित नहीं है.”

बच्चे प्रभावित

अगर ऐसा होता है तो एक बार फिर से, सबसे निर्बल बच्चे और उनके परिवार सबसे ज़्यादा पीड़ितों में होंगे.

यूएन एजेंसी ने आशंका जताई है कि टीकाकरण सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाओं व संसाधनों पर बोझ बढ़ने के कारण उन पर जोखिम मंडरा रहा है.

यूनीसेफ़ के वरिष्ठ अधिकारी ने ध्यान दिलाया कि वैश्विक महामारी का बच्चों पर भारी असर हुआ है.

“बच्चे पहले की तुलना में इस बीमारी से कहीं ज़्यादा बड़ी संख्या में सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं. वे अपने अभिभावकों और देखभाल करने वालों को खो रहे हैं. ऐसे घटनाओं के गवाह बन रहे हैं, जिन्हें किसी बच्चे को नहीं देखना चाहिये, और वो, अपने स्कूलों व अहम समर्थन नैटवर्क से से दूर हो रहे हैं.”

वायरस सीमाएँ नहीं जानता. हमें, तबाही को रोकने और हमारे बच्चों की रक्षा करने के लिये, एक वैश्विक समुदाय के रूप में एक साथ आना होगा.