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म्याँमार: ताज़ा झड़पों के कारण हज़ारों लोग विस्थापित

म्याँमार के उत्तरी क्षेत्र में, आन्तरिक विस्थापितों के लिये एक शिवार (फ़ाइल फ़ोटो).
UNICEF/Minzayar Oo
म्याँमार के उत्तरी क्षेत्र में, आन्तरिक विस्थापितों के लिये एक शिवार (फ़ाइल फ़ोटो).

म्याँमार: ताज़ा झड़पों के कारण हज़ारों लोग विस्थापित

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के कार्यालय (OCHA) ने कहा है कि म्याँमार में सुरक्षा बलों और क्षेत्रीय सशस्त्र गुटों के बीच ताज़ा लड़ाई के कारण, देश भर में, हज़ारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.

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यूएन सहायता एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि सेना और काचीन स्वतन्त्रता सेना के बीच, काचीन प्रान्त के विभिन्न इलाक़ों में, लगभग 50 झड़पें हुई हैं.

इन झड़पों में सुरक्षा बलों ने हवाई हमलों का सहारा लिया है, और दोनों तरफ़ से गोलाबारी भी की गई है.

इस ताज़ा लड़ाई के कारण, लगभग 5 हज़ार लोगों को विस्थापित होना पड़ा है और अनेक मकानों को भी नुक़सान पहुँचा है.

एजेंसी ने एक मानवीय समाचार बुलेटिन में कहा है कि लगभग 800 लोग तो, विस्थापित होने के कुछ ही दिनों के भीतर अपने गाँवों को वापिस लौट आए, मगर लगभग 4 हज़ार लोग अब भी विभिन्न स्थानों पर विस्थापित हैं.

इनमें से बहुत से लोगों ने चर्चों और मठों में पनाह ली हुई है.

देश के धुर उत्तरी प्रान्त काचीन में, सितम्बर 2018 के बाद से, देश में ये पहला विस्थापन दर्ज किया गया है.

काचीन में, 2011 से ही, आन्तरिक रूप से विस्थापित लगभग 95 हज़ार लोग, दीर्घकालीन समय के लिये स्थापित किये गए शिविरों में रह रहे हैं.

यूएन सहायता एजेंसी ने कहा है, “मानवीय सहायताकर्मी और मेज़बान समुदाय, हाल ही में विस्थापित हुए लोगों को, आपदा राहत मुहैया कराने के लिये, अपने भरसक प्रयास कर रहे हैं, जबकि उन्हें अभियानजनक व असुरक्षा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.”

सहायता एजेंसी के अनुसार पड़ोसी उत्तरी शान प्रान्त में, जनवरी के बाद से हुई भड़काऊ झड़पों के कारण लगभग 10 हज़ार 900 लोगों को अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा है.

इनमें से लगभग 4 हज़ार लोग अब भी विस्थापित हैं.

कायीन और बागो प्रान्तों में भी, फ़रवरी के बाद से अशान्ति बढ़ी है जिसके कारण लगभग 40 हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं.

मुख्यतः कायीन प्रान्त से लगभग 3 हज़ार लोग, सीमा पार करके, थाईलैण्ड पहुँचे. हालाँकि उनमें से ज़्यादातर लोग अपने घरों को वापिस लौट आए हैं.

सहायता के लिये धन की ज़रूरत

1 फ़रवरी को सेना द्वारा तख़्तापलट के बाद शुरू हुए मौजूदा राजनैतिक संकट से इतर, म्याँमार में, वर्ष 2021 के शुरू में, लगभग 5 लाख ऐसे लोगों की पहचान की गई थी जिन्हें मानवीय सहायता और संरक्षण की ज़रूरत थी. इनमें लगभग दो तिहाई महिलाएँ व बच्चे थे.

संयुक्त राष्ट्र व उसके साझीदार संगठनों ने, वर्ष 2021 के दौरान, लगभग साढ़े नौ लाख लोगों की सहायता करने के लिये, क़रीब 27 करोड़ 60 लाख डॉलर की रक़म एकत्र किये जाने की अपील जारी की थी.

अलबत्ता, अप्रैल के अन्तिम सप्ताह तक, केवल 12 प्रतिशत यानि लगभग 3 करोड़ 20 लाख डॉलर की रक़म ही प्राप्त हुई थी.

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बढ़ती भुखमरी व हताशा

देश भर में, पहले से मौजूद निर्धनता, कोरोनावायरस महामारी और मौजूदा राजनैतिक संकट के तिहरे प्रभाव के कारण, भुखमरी और हताशा में तेज़ बढ़ोत्तरी होने की आशंका है.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने संकेत दिया है कि ख़ासतौर से नगरीय इलाक़ों, क़रीब 34 लाख लोग, अगले छह महीनों के दौरान, उच्च स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना करेंगे.

यूएन खाद्य एजेंसी ने गत सप्ताह कहा था कि कि यंगून और उसके आसपास के इलाक़ों में, पहले ही, बहुत से परिवारों के, हाशिये पर पहुँच जाने के संकेत हैं जिन्हें भूखे पेट रहना पड़ रहा है.

बहुत से परिवार कम पोष्टिक भोजन खाने को मजबूर हैं और कुछ तो, जीवित रहने भर के लिये भोजन ख़रीदने के लिये क़र्ज़ लेने को विवश हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने इस बीच आगाह करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी से पहले भी, देश के लगभग एक तिहाई बच्चे, निर्धन परिवारों में रह रहे थे.

एजेंसी ने सोमवार को कहा था, “मौजूदा संकट में स्थिति और भी बदतर हो गई है.

यूनीसेफ़, देश भर में, कमज़ोर हालात वाले बच्चों व परिवारों तक, जीवनरक्षक सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद के लिये काम कर रहा है.