भारत: कोविड से लड़ाई में, यूएन एजेंसियों की सक्रिय मदद
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में आई भारी तेज़ी का मुक़ाबला करने के लिये, अस्पतालों में क्षमता बढ़ाने और अहम चिकित्सा सामग्री की क़िल्लत को दूर किये जाने पर ज़ोर दिया है. दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में WHO की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा है कि कोरोनावायरस संकट से जूझ रहे भारत के लिये, यह सर्वोपरि प्राथमिकता होनी चाहिये. इस बीच यूएन एजेंसियाँ भारत में चिकित्सा सामान की उपलब्धता व अन्य तरह की मदद मुहैया कराने में सक्रिय हैं.
भारत में पिछले 24 घण्टों में, कोविड-19 संक्रमण के तीन लाख, 60 हज़ार से ज़्यादा नए मामलों की पुष्टि हुई है और तीन हज़ार, 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है.
"Addressing critical gaps in essential medical supplies and hospital capacities should be top priority as India battles surge in #COVID19 cases," says Dr Poonam Khetrapal Singh, Regional Director, @WHOSEARO Read the full statement here 👉🏽 https://t.co/1lUuhURLDR pic.twitter.com/foJ3pm5dXs
WHOSEARO
पिछले कई दिनों से देश में प्रतिदिन लगातार, संक्रमण के तीन लाख से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं.
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि भारत में महामारी का मुक़ाबला करने की कार्रवाई में, यूएन रैज़िडेण्ट कोऑर्डिनेटर रेनाटा डेज़ालियन के नेतृत्व में, स्थानीय एजेंसियों की मदद की जा रही है.
रेनाटा डेज़ालियन ने कहा है, "भारत में ज़रूरत की इस घड़ी में, संयुक्त राष्ट्र, केन्द्र सरकार व प्रान्तों को, अति महत्वपूर्ण उपकरण और चिकित्सा सामान तेज़ी से उपलब्ध कराने में यथासम्भव प्रयास कर रहा है. "
इन प्रयासों के तहत उपकरण व ज़रूरी चिकित्सा सामग्री प्रदान किये गए हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने सात हज़ार ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर और नाक के ज़रिये ऑक्सीजन देने में काम आने वाले 500 उपकरण उपलब्ध कराए हैं.
साथ ही ऑक्सीजन उत्पादन संयन्त्र, कोविड-19 टैस्टिंग किट और अन्य निजी बचाव किटों के सिलसिले में सहायता दी जा रही है.
स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ
दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी WHO की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 संक्रमण मामलों में भारी तेज़ी की वजह से स्वास्थ्य प्रणालियों पर भीषण बोझ पड़ गया है.
कोविड-19 की शुरुआत से भी पहले, ये प्रणालियाँ चुनौतीपूर्ण हालात में काम कर रही थीं, और महामारी के कारण, हालात और भी जटिल हो गए हैं.
“हमें तेज़ी से काम करने, अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने व उन्हें चिकित्ता आपूर्ति मुहैया कराने की आवश्यकता है ताकि ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकें.”
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य प्रणालियों को सुसंगत ढंग से दवाओं और ऑक्सीजन के इस्तेमाल पर ज़ोर देना होगा, ताकि ये जीवनरक्षक सामग्री वास्तव में ज़रूरतमन्दों को ही उपलब्ध कराई जाए.
स्वास्थ्य एजेंसी के सक्रिय प्रयास
यूएन एजेंसी, कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई के इस चुनौतीपूर्ण चरण में, भारत को सहयोग दे रही है, जिसके तहत टैस्टिंग के लिये ज़रूरी लैब सामग्री की आपूर्ति की जा रही है ताकि इसकी भारी मांग को पूरा किया जा सके.
संगठन की तरफ़ से, अस्पतालों में अतिरिक्त बिस्तरों और महत्वपूर्ण उपकरणों की व्यवस्था करने के उद्देश्य से, 20-30 बिस्तरों की क्षमता वाले सचल फ़ील्ड अस्पतालों का इन्तज़ाम किया जा रहा है, जिन्हें अधिकतर प्रभावित इलाक़ों में तैनात किये जाने की योजना है.
आवश्यकता होने पर इन अस्पतालों की क्षमता को 50 बिस्तरों तक बढ़ाया जा सकता है.
देश में ऑक्सीजन की मांग तेज़ी से बढ़ी है जिसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी, चार हज़ार ऑक्सीजन कॉन्सन्ट्रेटर लाने के लिये उड़ानों की व्यवस्था भी कर रही है.
डॉक्टर खेत्रपाल सिंह ने बताया कि संगठन के ढाई हज़ार से ज़्यादा कर्मचारियों को पोलियो, टीबी और अन्य कार्यक्रमों से हटाकर, कोविड-19 महामारी पर जवाबी कार्रवाई के लिये तैनात किया गया है.
In India’s time of need, the @UN is doing everything it can to rapidly provide critical equipment & supplies to central and state govts - including 7000+ oxygen concentrators, lab supplies, setting up of mobile hospitals & oxygen plants: #UNRC Renata Dessallien#UNWithIndia 🇺🇳🇮🇳 pic.twitter.com/LPcn4btwA5
UNinIndia
यूएन एजेंसी की क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि समुदायों में फैल रहे भय व चिन्ताओं को भी, स्वास्थ्य एजेंसियों, साझीदार संगठनों, समुदाय-आधारित संगठनों और मीडिया के साथ मिलकर, दूर किये जाने का प्रयास किया जाना होगा.
उन्होंने कहा कि आशंकाओं के पनपने से समुदाय अक्सर चिकित्सा सामग्री की अनावश्यक जमाखोरी कर रहे हैं और अस्पतालों पहुँचने में जल्दी कर रहे हैं.
बताया गया है कि संक्रमण मामलों में भारी वृद्धि के मद्देनज़र, मरीज़ों की ज़रूरतों को देखते हुए, उपलब्ध संसाधन प्राथमिकता के आधार पर मुहैया कराए जाने होंगे जिनमें आपात कक्ष में बिस्तर वग़ैरा शामिल हैं.
बचाव उपाय
साथ ही कोविड-19 से बचाव के लिये टीकाकरण कवरेज का दायरा बढ़ाने के लिये हरसम्भव प्रयास किये जाने महत्वपूर्ण हैं.
25 अप्रैल को, भारत में टीकाकरण अभियान के 100 दिन पूरे हो गए हैं, और अब तक कोरोनावायरस वैक्सीन की 15 करोड़ 50 लाख ख़ुराके दी जा चुकी हैं.
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि संक्रमित लोगों की बढ़ती संख्या के बावजूद, सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े सरल लेकिन असरदार उपाय अब भी कारगर हैं.
कोविड-19 के हर संदिग्ध संक्रमण मामले की जाँच की जानी होगी, अगर किसी व्यक्ति का परीक्षण परिणाम संक्रमित आता है तो उन्हें अलग रखना होगा, और लक्षण दिखाई देने से पहले उनके सम्पर्क में आए लोगों का भी पता लगाकर उनकी जाँच की जानी होगी.
इसके अलावा, हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धोना, अपनी खाँसी या छींक को बाँह मोड़कर ढक लेना और सामाजिक जीवन में दूरी बरतना भी अहम है.
“मास्क को उचित ढंग से पहना जाना चाहिये, जिसमें नाक और मुँह सही तरीक़े से ढका हो. हमारे मास्क की फ़िटिंग अच्छी होनी चाहिये और वायरस से रक्षा पक्की करने के लिये, हमारे शरीर में, उसके प्रवेश का कोई रास्ता नहीं होना चाहिये.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की क्षेत्रीय निदेशक ने भरोसा दिलाया है कि कोविड-19 से उपजे हालात से निपटने के लिये, स्वास्थ्य संगठन, हर स्तर पर भारतीय एजेंसियों के साथ प्रयास जारी रखने के लिये प्रतिबद्ध है.