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हिंसक संघर्ष के दौरान नागरिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर बल

माली में संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षक गश्त के दौरान.
MINUSMA/Gema Cortes
माली में संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षक गश्त के दौरान.

हिंसक संघर्ष के दौरान नागरिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर बल

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम मानवीय सहायता अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा है कि युद्धरत पक्षों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों का सम्मान सुनिश्चित किया जाना, नागरिकों व महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों की रक्षा की दिशा में पहला क़दम है. मानवीय राहत मामलों के प्रमुख मार्क लोकॉक ने सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों को मंगलवार को वर्चुअल रूप से सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.

इस बैठक का उद्देश्य उन घटनाओं की पड़ताल करना था जिनमें अस्पतालों व जल प्रणालियों को हमलों में निशाना बनाया जाता है, और इनका युद्ध के दौरान किस तरह लोगों पर असर पड़ता है.

विशेष रूप से कोविड-19 महामारी और जलवायु आपात स्थिति की चुनौतियों के सन्दर्भ में.

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मार्क लोकॉक ने कहा, “दुनिया के पास युद्धरत पक्षों के बर्ताव को शासित करने के लिये एक मज़बूत क़ानूनी फ़्रेमवर्क है.” हमारे पास, पालन करने के लिये सर्वोत्तम परिपाटियाँ भी हैं, जो लगातार बढ़ रही हैं.”

“अब हमें सदस्य देशों और युद्धक संघर्ष में सभी पक्षों से राजनैतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है, ताकि इन क़ानूनों का सम्मान किया जा सके, और सही बात का पालन हो.”

यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने चिन्ता जताई है कि पार-राष्ट्रीय आतंकी गुटों के उभरने, से नागरिक संरक्षण के मामले में कड़े प्रयासों से हासिल हुई दशकों की प्रगति जोखिम में पड़ सकती है.

उन्होंने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि ऐसे गुट, बुनियादी मानवीय मानकों का पालन करने की ज़रा भी परवाह नहीं करते. वे नागरिकों, राहतकर्मियों को जायज़ निशाना मानते हैं.

“इसी दौरान, बड़ी सैन्य शक्तियाँ अपनी सैन्य योजनाओं, प्रशिक्षण और व्यय में फिर से बदलाव कर रही हैं ताकि शत्रु देशों को डराया और हराया जा सके.”

“और जब देश व सशस्त्र गुट अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों का अपमान करते हैं या उन्हें कमज़ोर बनाते हैं तो अन्य देश या ग़ैरसरकारी तत्व, इसे यही करने का निमन्त्रण समझते हैं.”

स्वास्थ्य देखभाल पर जोखिम

मार्क लोकॉक ने उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह ये रुझान भोजन, जल और मेडिकल देखभाल जैसे क्षेत्रों में दिखाई दे रहे हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि सीरिया में चिकित्सा केन्द्रों पर व्यवस्थागत ढंग से हमल सहन नहीं किये जा सकते. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, वर्ष 2018 से 2020 के बीच ऐसे लगभग 250 हमले किये गए.

बताया गया है कि पिछले एक दशक में एक हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हो चुकी है.

बलात्कार और यौन हिंसा को राजनैतिक व सैन्य उद्देश्य हासिल करने के औज़ार के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है.

यूएन अधिकारी ने उन रोहिंज्या महिला शरणार्थियों की व्यथा की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा कि म्याँमार से जबरन बाहर भेजी गईं इन महिलाओं का वर्दीधारियों ने बलात्कार किया था.

“यही हमने पिछले छह महीनों में उत्तरी इथियोपिया में देखा था. वहाँ बलात्कार नहीं रुके हैं. वे जानबूझकर और व्यवस्थागत ढंग से संगठित, लक्षित और जातीयता आधारित हैं.”

अन्तरराष्ट्रीय मानवीय राहत क़ानूनों के पालन को बढ़ावा दिया जाना, नागरिकों और उनके बचाव के लिये ज़रूरी बुनियादी ढाँचों की सुरक्षा को बढ़ावा देने का एक रास्ता है.

स्थलों की शिनाख़्त को बेहतर बनाना और ऐसे स्थानों को, हमलों में निशाना ना बनाए जाने की सूची में शामिल किया जाना इसका एक उदाहरण है.  

“इसके समानान्तर, हमें राजनैतिक सम्वाद, प्रतिबन्धों और हथियारों के हस्तान्तरण का सहारा लेना जारी रखने की ज़रूरत है ताकि क़ानून व नागरिक संरक्षा के लिये सम्मान सुनिश्चित किया जा सके, और उन चीज़ों का भी, जिन पर वे गुज़ार-बसर के लिये निर्भर हैं.”

जवाबदेही की चुनौती

मार्क लोकॉक ने बताया कि आबादी वाले इलाक़ों में विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल से परहेज़ करना दूसरा क़दम होगा, जिस पर यूएन प्रमुख ने भी अनेक बार ज़ोर दिया है.

मानवीय राहत मामलों के प्रमुख ने अफ़ग़ानिस्तान और सोमालिया में सर्वोत्तम उपायों का उदाहरण दिया, जहाँ बहुराष्ट्रीय सेनाओं द्वारा चुनिन्दा हथियारों के इस्तेमाल पर पाबन्दी है.

उन्होंने अपने सम्बोधन में जवाबदेही की अहमियत पर ज़ोर दिया और कहा कि इसके अभाव में हालात और बदतर होंगे.

उन्होंने स्पष्ट किया कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के हनन के गम्भीर मामलों में जवाबदेही सुनिश्चित किया जाना, नागरिकों की रक्षा मज़बूत करने में पेश आने वाली एक बड़ी चुनौती है.

मार्क लोकॉक के मुताबिक़ गम्भीर उल्लंघन के मामलों के लिये जवाबदेही सुनिश्चित किया जाना अहम है, विशेष रूप से तब, जब इन्हें दोषियों द्वारा एक हथियार के रूप में जानबूझकर इस्तेमाल किया गया हो.

‘इन्टरनेशनल कमेटी ऑफ़ द रेडक्रॉस’ के प्रमुख पीटर मॉरर ने भी अपने सम्बोधन में अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों का सम्मान किये जाने की आवश्यकता, और आबादी वाले इलाक़ों में भारी विस्फोटकों का इस्तेमाल ना किये जाने पर बल दिया.

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल और, जल, साफ़-सफ़ाई व बिजली जैसी आपस में जुड़ी सेवाओं की भी सुरक्षा की जानी होगी ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम को टाला जा सके.  

पीटर मॉरर के मुताबिक़ जिन इलाक़ों में जल, साफ़-सफ़ाई सम्बन्धी बुनियादी ढाँचों को निशाना बनाया जाता है वहाँ संक्रामक बीमारियों का ख़तरा झेलना पड़ता है.

ऐसी बीमारियाँ, जिनकी रोकथाम की जा सकती हैं, अनेक मौतों का कारण बन जाती हैं, वे बीमारियाँ भी हैं जो युद्ध पीड़ित इलाक़े की सीमाओं के पार भी असर डालती हैं.

साथ ही उन्होंने, हिंसक संघर्ष से प्राकृतिक पर्यावरण पर पड़ने वाले असर के प्रति बेहतर समझ विकसित किये जाने पर ज़ोर दिया.