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चेरनॉबिल हादसे के 35 वर्ष, 'त्रासदियाँ सीमाएँ नहीं जानतीं'

दुर्घटना के बाद चेरनॉबिल परमाणु संयंत्र पर एक रक्षात्मक कवच का निर्माण किया गया.
Oleksandr Syrota
दुर्घटना के बाद चेरनॉबिल परमाणु संयंत्र पर एक रक्षात्मक कवच का निर्माण किया गया.

चेरनॉबिल हादसे के 35 वर्ष, 'त्रासदियाँ सीमाएँ नहीं जानतीं'

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को "चेरनॉबिल अन्तरराष्ट्रीय स्मरण दिवस" पर अपने सन्देश में आगाह किया है कि त्रासदियाँ सीमाओं की परवाह नहीं करती हैं. यूएन प्रमुख ने चेरनॉबिल दुर्घटना की 35वीं वर्षगाँठ के अवसर पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि एक साथ मिलकर त्रासदियों की रोकथाम की जा सकती है, सभी ज़रूरतमन्दों को सम्बल दिया जा सकता है और एक मज़बूत पुनर्बहाली सुनिश्चित की जा सकती है.

26 अप्रैल 1986 को चेरनॉबिल परमाणु ऊर्जा संयन्त्र, क़रीब 20 सेकेण्ड के लिये बन्द हो गया था, जिसके परिणामस्वरूप एक रासायनिक धमाका हुआ, जिससे ख़तरनाक रेडियोएक्टिव तत्व वातावरण में फैल गए था.

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इस वजह से, पूर्व सोवियत संघ के अनेक हिस्से विकिरण दूषण की चपेट में आ गए थे. इस हादसे में प्रभावित इलाक़े अब बेलारूस, यूक्रेन और रूस के क्षेत्र में आते हैं. 

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़, चेरनॉबिल हादसे की गिनती, इतिहास की सबसे गम्भीर परमाणु दुर्घटनाओं में होती है, जिसमें तीन देशों में लगभग 84 लाख लोग विकिरण की चपेट में आए थे.

साढ़े तीन लाख से ज़्यादा लोगों को गम्भीर रूप से विकिरण प्रभावित इलाक़ों में स्थित अपने घरों को, मजबूरी में छोड़ कर जाना पड़ा था.

इस घटना का उनके जीवन पर गहरा असर हुआ और वे सदमे का शिकार हो गए.

संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी ने कहा, "उनकी पीड़ा को कभी नहीं भुलाया जा सकता."

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि यह स्मरण दिवस, तीन देशों की सरकारों द्वारा शुरू किये गए पुनर्बहाली प्रयासों और वैज्ञानिकों के कार्य की शिनाख़्त करने का अवसर है, जिसके फलस्वरूप जोखिम घटाने और आपात योजना के सम्बन्ध में जानकारीपरक निर्णय के लिये महत्वपूर्ण विश्लेषण हासिल हुआ है.

मदद की विरासत

संयुक्त राष्ट्र ने शुरुआत से ही, चेरनॉबिल और उसके आस-पास के इलाक़ों में रह रहे लोगों की मदद की है.

इस घटना के चार वर्ष बाद सोवियत सरकार ने अन्तरराष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता को स्वीकार किया था.

उसी वर्ष, 1990 में जनरल असेम्बली ने एक प्रस्ताव पारित करके, चेरनॉबिल परमाणु ऊर्जा संयन्त्र के दुष्परिणामों को दूर करने और इसके लिये अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया था.

इसके बाद, पुनर्बहाली प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त हुआ. वर्ष 2002 में, चेरनॉबिल रणनीति में बदलाव की घोषणा की गई थी, जिसमें दीर्घकालीन विकासपरक तरीक़ों पर ध्यान केन्द्रित किया जाना था.

वर्ष 2019 में एक नई रणनीति के तहत, पुराने शरणस्थलों पर नया सुरक्षा आवरण पेश किया गया और यूक्रेन की सरकार को सौंपा गया. इस कार्य को सम्भव बनाने के लिये 45 देशों से दो अरब योरो से ज़्यादा धनराशि का उपयोग किया गया.

संयुक्त राष्ट्र ने परमाणु सुरक्षा के क्षेत्र में इसे अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के नज़रिये से सबसे बड़ी परियोजनाओं में शामिल किया है.

साझा हित के लिये प्रयास

संयुक्त राष्ट्र की देशीय टीमें, नागरिक समाज, अन्तरराष्ट्रीय साझीदारों और दानदाताओं के साथ मिलकर कर रही हैं.

इन प्रयासों के तहत, प्रथमतः आपात व मानवीय राहत प्रयासों को समर्थन दिया गया, जिसके बाद पुनर्बहाली और अन्तत: सामाजिक व आर्थिक विकास पर ध्यान दिया गया.

चेरनॉबिल हादसे को इतिहास की सबसे गम्भीर परमाणु दुर्घटनाओं में गिना जाता है.
National Chernobyl Museum/Anatoliy Rasskazov
चेरनॉबिल हादसे को इतिहास की सबसे गम्भीर परमाणु दुर्घटनाओं में गिना जाता है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि हमारे साझा प्रयासों को कुछ हद तक सफलता मिली है.

उन्होंने बताया कि इस त्रासदी से सीधे तौर पर प्रभावित इलाक़ों में लघु व मध्यम व्यवसायों की संख्या वर्ष 2002 में दो हज़ार से बढ़कर अब 37 हज़ार हो गई है.

इसके अतिरिक्त, हज़ारों निवासियों, सामुदायिक नेताओं और डॉक्टरों को, स्वास्थ्य जोखिमों की पहचान करने व स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिये प्रशिक्षण दिया गया है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि सरकारों ने, चेरनॉबिल हादसे को नियन्त्रण में करने के लिये, शिक्षाविदों, नागरिक समाज और अन्य पक्षकारों के साथ मिलकर साझा हितों में काम किया.

उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण सबक़ है, विशेष रूप से कोविड-19 पुनर्बहाली प्रयासों में.