वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

विश्व पुस्तक व कॉपीराइट दिवस पर साहित्य की बुनियादी महत्ता रेखांकित

बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार के शरणार्थी शिविर में एक 14 वर्षीय लड़की, कविताओं की अपनी एक पसन्दीदा पुस्तक के साथ.
© UNICEF/Brian Sokol
बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार के शरणार्थी शिविर में एक 14 वर्षीय लड़की, कविताओं की अपनी एक पसन्दीदा पुस्तक के साथ.

विश्व पुस्तक व कॉपीराइट दिवस पर साहित्य की बुनियादी महत्ता रेखांकित

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को की अध्यक्षा ने कहा है वैश्विक अनिश्चितता और एकान्तवास के दौर में, पुस्तकें स्वतन्त्रता के दरवाज़े खोलती हैं और पाठकों को समय और सीमाओं के दायरों से भी परे ले जाती हैं.

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को की प्रमुख ऑड्री आज़ूले ने शुक्रवार को’ विश्व पुस्तक और बौद्धिक सम्पदा अधिकार दिवस’ के मौक़े पर, सभी को प्रोत्साहित करने के अन्दाज़ में कहा है, “कोई किताब उठाएँ, उसके पन्ने पलटें, और इसमें से ताज़ा हवा की साँस लें, जोकि आपको वर्तमान और भविष्य में मज़बूत बने रहने में मदद करेगी.”

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हमें अभी जिस शक्ति की ज़रूरत है

ऑड्री आज़ूले ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान, बहुत से लोग, तालाबन्दियों से बचने और चिन्ताओं पर पार पाने में मदद हासिल करने के लिये, पुस्तक पाठन का रुख़ कर रहे हैं.

“हम सभी को इस समय दरअसल, पुस्तकों की शक्ति की ज़रूरत है, और ऐसे में हमें, अपनी ज़िन्दगियों में साहित्य और कला की बुनियादी महत्ता भी ध्यान में आ रही है.”

ऑड्री आज़ूले ने कहा कि पुस्तकें अदभुत हैं क्योंकि उनमें मनोरंजन करने और सबक़ देने, दोनों की ही योग्यता होती है.

उन्होंने कहा, “पुस्तकें, विभिन्न लेखकों, विचारों और संस्कृतियों के झरोखों से, ऐसे जहानों की सैर करने का साधन होती हैं जो हमारे निजी अनुभवों के दायरे से कहीं दूर होते हैं. पुस्तकें, हमारे मस्तिष्कों की गहराई को छूने का साधन होती हैं. पन्ना दर पन्ना, पुस्तकें, हमें, विचरण का ऐसा रास्ता दिखाती हैं जो समय और सीमाओं के दायरे से परे होता है.”

“दूसरे शब्दों में कहें तो पुस्तकें हमें स्वतन्त्र महसूस कराती हैं.”

साहित्यिक पेशेवरों की संरक्षा

‘विश्व पुस्तक व कॉपीराइट दिवस’ हर वर्ष 23 अप्रैल को, विलियम शेक्सपियर, मिगेल डी सेरवैन्टीस और इन्का गारसिलासो डी ला वेगा के निधन की याद में मनाया जाता है.

ऑड्री आज़ूले ने कहा कि वैसे तो ये दिवस, उन साहित्यकारों के सम्मान में मनाया जाता है जिनकी कृतियों ने, सदियों से हमारी स्मृतियों और कल्पनाओं में जगह बना रखी है, साथ ही, ये दिवस, उन पेशों को भी सम्मान देता है जो पुस्तकों से सम्बन्धित हैं – सम्पादन, अनुवाद, प्रकाशन और पुस्तक विक्रय.

उन्होंने कहा, “इन पेशों के ज़रिये, हमारी साहित्यिक विरासत के फैलाव, नए विचारों की अभिव्यक्ति के फलने-फूलने, और कहानियों को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है.”

“इन व्यवसायों और पेशों को संरक्षा प्रदान किये जाने और उनके मूल्य को पहचान देने की ज़रूरत है. कोविड-19 के दौर में ये, और भी ज़्यादा प्रासंगिक और अहम है, जिसने संस्कृति के लिये एक गहरा और दीर्घकालीन जोखिम उत्पन्न कर दिया है.”

पाठन: हर किसी की शरणस्थली

यूनेस्को प्रमुख ने पुस्तकों की अदभुत योग्यता को भी रेखांकित किया कि ये हमारा मनोरंजन करने के साथ-साथ हमें सिखाने की योग्यता भी रखती हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पुस्तकों की शक्ति को उजागर करने के लिये, उससे जुड़ाव महसूस करने व उसके प्रति आकर्षित होने की ज़रूरत है. “हमें सभी के लिये, पुस्तक सुलभता व उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी ताकि हर कोई, पाठन में अपनी जगह बना सके, और ऐसा करके, सपने देखने, सीखने और आत्म-विश्लेषण करने का मौक़ा पा सके.”

यूनेस्को ने जियॉर्जिया की राजधानी तिबिलिसी को वर्ष 2021 की विश्व पुस्तक राजधानी मनोनीत किया है. 

इस शहर को, इस ख़िताब के लिये इसलिये चुना क्योंकि यहाँ युवजन में पुस्तक पाठन को प्रोत्साहन देने के लिये आधुनिक टैक्नॉलॉजी का सहारा लिया जा रहा है.

इसमें एक ऐसा कार्यक्रम भी शामिल है जो पुस्तकों को डिजिटल खेलों में तब्दील कर देता है, जिससे ये सभी के लिये आसानी से उपलब्ध हैं.