जलवायु शिखर बैठक – ग्रह के लिये 'रैड ऐलर्ट', यूएन प्रमुख की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण, दुनिया रसातल के कगार पर है और विश्व नेताओं को तत्काल कार्रवाई करते हुए, ग्रह को हरित मार्ग पर ले जाना होगा. यूएन प्रमुख ने गुरूवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडेन द्वारा आयोजित एक वर्चुअल जलवायु शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए, पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिये महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई की पुकार लगाई है.
पिछला दशक अब तक रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साबित हुआ है, और दुनिया बढ़ते समुद्री जल-स्तर, झुलसा देने वाले तापमान, विनाशकारी चक्रवाती तूफ़ान और जंगलों में आग लगने की विकराल घटनाएँ देख रही है.
यूएन प्रमुख ने कहा, "माँ प्रकृति अब प्रतीक्षा नहीं कर रही है."
We are at the verge of the abyss. We must ensure the next step is in the right direction.It’s time to mobilize political leadership & move ahead together – to overcome climate change, end our war on nature & build lives of dignity & prosperity for all. https://t.co/1ukeUNYylh
antonioguterres
"हमें एक हरित ग्रह की आवश्यकता है – मगर दुनिया रैड ऐलर्ट पर है. हम रसातल के कगार पर हैं. हमें अपना अगला क़दम सही दिशा में सुनिश्चित करना होगा. हर स्थान पर नेताओं को कार्रवाई करनी होगी."
महासचिव गुटेरेश ने दो दिवसीय जलवायु वार्ता के लिये अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का आभार व्यक्त करते हुए, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में कटौती के लिये अमेरिकी संकल्प की सराहना की है.
अपने शुरुआती सम्बोधन में, राष्ट्रपति बाइडेन ने वर्ष 2030 तक उत्सर्जनों में पचास फ़ीसदी कटौती लाने की घोषणा की.
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की जवाबी कार्रवाई से असाधारण स्तर पर रोज़गारों व आर्थिक अवसरों का सृजन सम्भव है.
इस क्रम में उन्होंने, ऊर्जा, परिवहन, निर्माण व कृषि क्षेत्र में निवेश के प्रस्ताव पेश किये हैं.
राष्ट्रपति बाइडेन ने स्वीकार किया कि जलवायु आपात हालात का सामना कोई भी देश अकेले नहीं कर सकता है.
इसके मद्देनज़र, विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को, एक टिकाऊ भविष्य की दौड़ में आगे बढ़कर कार्रवाई करनी होगी.
नैट-शून्य उत्सर्जन गठबन्धन
महासचिव ने शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए वर्ष 2050 तक नैट कार्बन ऊत्सर्जन शून्य करने की अपनी अपील दोहराई.
साथ ही उन्होंने ध्यान दिलाया कि पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के तहत देशों को महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी.
वर्ष 2015 में हुई इस समझौते में पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में तापमान में बढ़ोत्तरी को, 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
इस लक्ष्य को साकार करने के लिये यह ज़रूरी है कि देशों की सरकारें, अपनी राष्ट्रीय जलवायु योजनाओं के ज़रिये, महत्वाकांक्षी कार्रवाई का संकल्प लें.
"बड़े उत्सर्जकों से शुरुआत करते हुए, सभी देशों को कार्बन उत्सर्जन में कटौती, अनुकूलन व वित्त पोषण के लिये नए व ज़्यादा महत्वाकांक्षी, राष्ट्रीय निर्धारित योगदान पेश करने होंगे."
अगले 10 वर्षों की इन नीतियों व योजनाओं के ज़रिये, वर्ष 2050 तक नैट-शून्य कार्बन उत्सर्जन के मार्ग पर आगे बढ़ा जाना है, जिसके लिये तात्कालिक ठोस कार्रवाई की जानी होगी.
महासचिव ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 से पुनर्बहाली के लिये, अरबों डॉलर की धनराशि भावी पीढ़ियों से उधार ली जा रही है.
"हम इन संसाधनों का इस्तेमाल ऐसी नीतियों में नहीं कर सकते हैं, जिनसे उनके लिये एक क्षतिग्रस्त ग्रह पर क़र्ज़ का पहाड़ जैसा बोझ हो."
यूएन प्रमुख ने कर (tax) की मदद से कार्बन की क़ीमत निर्धारित किये जाने, जीवाश्म ईंधन को दिये जाने वाली सब्सिडी का अन्त करने और नवीकरण ऊर्जा व हरित बुनियादी ढाँचे में निवेश किये जाने की अपील की है.
वित्त पोषण का आहवान
बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर नैट-शून्य गठबन्धन के निर्माण के लिये वित्तीय संसाधनों और अनुकूलन प्रयासों में बड़े बदलाव की ज़रूरत होगी.
महासचिव गुटेरेश ने दानदाताओं और बैंकों से आग्रह किया है कि जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में वित्तीय लेनदेन के स्तर को सहनक्षमता और अनुकूलन प्रयासों में मौजूदा 20 फ़ीसदी से बढ़ाकर 50 फ़ीसदी करना होगा.
विकसित देशों को जलवायु वित्तीय संसाधनों के लिये अपने वादे पूरा करने होंगे – इनमें विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के लिये 100 अरब डॉलर का वादा भी है.
संयुक्त राष्ट्र की जलवायु सन्धि संस्था (UNFCCC) की प्रमुख पैट्रीशिया ऐस्पिनोसा ने शिखर बैठक पर जारी अपने वक्तव्य में चेतावनी भरे अन्दाज़ में कहा है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन आपदा इस ग्रह पर सभी लोगों के लिये, एक स्पष्ट, मौजूदा और लगातार बढ़ता ख़तरा है.
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन सीमाओं की परवाह नहीं करता, और देश इससे भले ही अलग-अलग रूपों में प्रभावित हों, किसी के बचने की सम्भावना नहीं है.
यूएन संस्था प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि विश्व नेताओं के लिये यह समय नेतृत्व, निडरता व एकजुटता दर्शाने का है, ताकि पेरिस समझौते में निर्धारित वादे पूरे किये जा सकें.