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म्याँमार: 20 लाख लोगों तक खाद्य सहायता पहुँचाने की तैयारी

म्याँमार के शन प्रान्त में एक महिला अपने घर पर भोजन पकाने से पहले सब्ज़ियाँ धोते हुए.
UNICEF/Kaung Htet
म्याँमार के शन प्रान्त में एक महिला अपने घर पर भोजन पकाने से पहले सब्ज़ियाँ धोते हुए.

म्याँमार: 20 लाख लोगों तक खाद्य सहायता पहुँचाने की तैयारी

मानवीय सहायता

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने गुरूवार को कहा है कि म्याँमार में मौजूदा राजनैतिक संकट के कारण उत्पन्न हालात में, लगभग 20 लाख लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं और उन्हें, बढ़ती भुखमरी व हताशा के बीच, पोषण सहायता पहुँचाने के प्रबन्ध किये जा रहे हैं.

यूएन खाद्य एजेंसी ने एक वक्तव्य में कहा है कि ये खाद्य सहायता अभियान म्याँमार के मुख्य शहरों की निर्धन बस्तियों और ऐसे इलाक़ों पर ध्यान केन्द्रित करेगा जहाँ, 1 फ़रवरी को सेना द्वारा सत्ता का तख़्तापलट करने के बाद, हाल के समय में, आबादी का विस्थापन हुआ है.

देश में, सेना द्वारा सत्ता पर क़ब्ज़ा किये जाने से पहले, लगभग 28 लाख लोग खाद्य असुरक्षित समझे जा रहे थे.

एजेंसी ने आगाह करते हुए कहा है कि अगले छह महीनों के दौरान, अतिरिक्त लगभग 34 लाख लोगों के, भुखमरी के दायरे में पहुँच जाने की सम्भावना है, विशेष रूप से नगरीय इलाक़ों में. 

म्याँमार में, यूएन खाद्य एजेंसी के देश निदेशक स्टीफ़न एण्डर्सन ने कहा है, “बहुत ज़्यादा लोगों के रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज ख़त्म हो गए हैं और वो अपने लिये पर्याप्त मात्रा में भोजन का इन्तज़ाम नहीं कर पा रहे हैं.”

“खाद्य असुरक्षा की स्थिति को और ज़्यादा बिगड़ने से बचाने और लोगों की तकलीफ़ें दूर करने के लिये, इस समय एकजुट व समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है.”

भुखमरी के कगार पर

यूएन खाद्य एजेंसी ने जानकारी देते हुए बताया है कि यंगून और उसके आसपास के इलाक़ों में, बहुत से परिवार भुखमरी के हालात में पहुँच गए हैं और उन्हें या तो भूखे रहना पड़ रहा है या कम पौष्टिक भोजन खाना पड़ रहा है, और परिवार के सदस्यों का पेट भरने के लिये क़र्ज़ लेना पड़ रहा है.

एजेंसी का कहना है कि ऐसा इसलिये हो रहा है क्योंकि निर्धन लोगों के रोज़गार व आमदनी वाले कामकाज ख़त्म हो गए हैं और उनके लिये पर्याप्त भोजन का इन्तज़ाम कर पाना कठिन हो गया है. 

नगरीय क्षेत्रों में, कमज़ोर हालात में रहने वाले जो लोग आर्थिक ठहराव से प्रभावित हैं, उनके लिये सबसे ज़्यादा जोखिम है, जबकि ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाली आबादी, दीर्घकाल के लिये दबाव महसूस करने वाली है.

यूएन खाद्य एजेंसी का इरादा, यंगून में, 10 निर्धनतम बस्तियों में खाद्य सहायता पहुँचाने का है, जहाँ बड़ी अनौपचारिक बस्तियाँ हैं.

वक्तव्य में कहा गया है, “एजेंसी, देश के अन्य हिस्सों में भी स्थिति पर नज़र रखे हुए है, और प्रभावित समुदायों को खाद्य सहायता उपलब्ध कराने के लिये मुस्तैद है. इनमें वो समुदाय भी शामिल हैं जो सशस्त्र संघर्ष के कारण हाल ही में विस्थापित हुए हैं.”

क़ीमतों में उछाल

यूएन खाद्य एजेंसी द्वारा बाज़ारों की निगरानी के आँकड़े दर्शाते हैं कि जनवरी के बाद से पूरे देश में, चावल के मूल्यों में  5 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि भोजन पकाने में इस्तेमाल होने वाला तेल, फ़रवरी के बाद से 18 प्रतिशत से भी ज़्यादा महंगा हो गया है.

खाद्य पदार्थों की क़ीमतों में ये उछाल, विशेष रूप से, सीमावर्ती प्रान्तों में ज़्यादा देखा गया है, जिनमें राख़ीन, काचीन और चिन भी शामिल हैं.

विश्व खाद्य कार्यक्रम का कहना है कि काचीन प्रान्त में की कुछ बस्तियों में तो, चावल की क़ीमतें 43 प्रतिशत तक महंगी हो गई हैं और भोजन पकाने में इस्तेमाल होने वाला तेल 32 प्रतिशत महंगा हो गया है.

ईंधन के दाम भी, राष्ट्रीय स्तर पर, लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गए हैं.

यूएन खाद्य एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में असुरक्षा जारी रहने के बावजूद, आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों और कमज़ोर हालात वाली अन्य आबादियों के लिये सहायता उपलब्ध कराने का कार्य जारी है.

मार्च में, एजेंसी ने, संघर्ष प्रभावित चिन के दक्षिणी इलाक़ों, काचीन, राख़ीन और उत्तरी शान प्रान्तों में, 3 लाख 74 हज़ार लोगों तक सहायता पहुँचाई.

एजेंसी, आगामी महीनों में जितने लोगों को सहायता मुहैया कराएगी, उसकी संख्या लगभग 13 लाख से तीन गुना बढ़कर लगभग क़रीब 33 लाख हो जाने की सम्भावना है. और यह सहायता उपलब्ध कराने के लिये, एजेंसी को 10 करोड़ 60 लाख डॉलर की रक़म की तत्काल ज़रूरत है.

स्टीफ़न एण्डरसन ने कहा है, “हमारी आँखों के सामने, बड़े पैमाने की मानवीय संकट पैदा होने से रोकने के लिये, हमें सहायता प्रयास बढ़ाने होंगे. हम, म्याँमार के लोगों के साथ खड़े रहने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की सहायता पर निर्भर हैं.”