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महासागर से मिलने वाले लाभों पर मानवीय गतिविधियों का नकारात्मक असर

कैरीबियाई क्षेत्र में महासागर में तैरता एक कछुआ.
Coral Reef Image Bank/Michele Roux
कैरीबियाई क्षेत्र में महासागर में तैरता एक कछुआ.

महासागर से मिलने वाले लाभों पर मानवीय गतिविधियों का नकारात्मक असर

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से बेहतर ढंग से उबरने और टिकाऊ विकास व जलवायु कार्रवाई पर सहमत लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये, महासागरों के प्रति समझ का दायरा बढ़ाना बेहद अहम है. यूएन प्रमुख ने महासागरों को पृथ्वी की जीवनरक्षक प्रणाली क़रार देते हुए बुधवार को इस विषय में एक नई रिपोर्ट जारी की है, जो दर्शाती है कि मानवीय गतिविधियों के कारण महासागर को नुक़सान पहुँच रहा है.

विश्व महासागर मूल्याँकन (WOA II) का दूसरा संस्करण विश्व भर के सैकड़ों वैज्ञानिकों के सहयोग से तैयार किया गया है. इससे पहले वर्ष 2015 में शुरुआती रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी.

अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि महासागरों से मिलने वाले अनेक लाभ, मानवीय गतिविधियों के कारण कमज़ोर हो रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस असर पर अपने वीडियो सन्देश में, मौजूदा हालात को चिन्ताजनक बताते हुए कहा कि मानवीय गतिविधियों के दबाव से, महासागरों का क्षरण जारी है. मूंगा चट्टानों और खारे पाने में उगने वाले पेड़ या झाडियाँ (Mangroves) जैसे अहम पर्यावास तबाह हो रहे हैं.

इससे जलवायु परिवर्तन के असर से निपटने की उनकी क्षमता प्रभावित हो रही है.

"मानवीय गतिविधियों से ये दबाब भूमि व तटीय इलाक़ों पर भी आते हैं, जिससे ख़तरनाक प्रदूषक महासागर तक आते हैं, जिनमें प्लास्टिक कचरा भी है."

महासचिव ने बताया कि वातावरण में उत्सर्जित होने वाली कार्बन से महासागरों का तापमान व अम्लीकरण बढ़ रहा है, जिससे जैवविविधता को भारी नुक़सान हुआ है.

समुद्री जल स्तर में बढ़ोत्तरी, दुनिया में तटीय इलाक़ों को ख़तरे में डाल रही है.

‘मृत ज़ोन’ में उभार

यूएन प्रमुख के मुताबिक़ महासागरों में मृत ज़ोन (Dead zone) की संख्या बढ़ रही है और लगभग दोगुनी हो चुकी है – ये वो इलाक़े हैं जहाँ ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम है और समुद्री जीवन की सम्भावना कम है.

भारत के मुम्बई शहर के समुद्री किनारों पर प्लास्टिक कचरा बिखरा पड़ा है जो वन्यजीवों के लिए बेहद नुक़सानदेह है.
UN Environment Programme
भारत के मुम्बई शहर के समुद्री किनारों पर प्लास्टिक कचरा बिखरा पड़ा है जो वन्यजीवों के लिए बेहद नुक़सानदेह है.

विश्व भर में यह संख्या वर्ष 2008 में 400 से, 2019 में बढकर 700 हो चुकी है.

"विशेषज्ञ इसकी वजह, तटों व महासागरों के एकीकृत टिकाऊ प्रबन्धन को हासिल करने में, इनसानों की मोटे तौर पर विफलता को बताते हैं."

"मैं सभी पक्षकारों से इस बात और अन्य चेतावनियों पर ध्यान देने का आग्रह करता हूँ. महासागरों के प्रति बेहतर समझ बेहद महत्वपूर्ण है."

यूएन प्रमुख ने कहा कि महामारी ने दर्शाया है कि मानव स्वास्थ्य और पृथ्वी का स्वास्थ्य आपस में जुड़ा है.

महासचिव गुटेरेश ने बेहतर ढंग से उबरने, टिकाऊ विकास हासिल करने और पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये, प्रकृति के साथ रिश्ते को पूरी तरह बदलने को अहम बताया है.

बेहतर पुनर्बहाली

महासचिव ने अध्ययन के निष्कर्षों का उल्लेख करते हुए बताया कि महासागरों की टिकाऊशीलता सामूहिक प्रयासों पर निर्भर करती है. साझा शोध, क्षमता विकास, आँकड़े, सूचना व टैक्नॉलॉजी को साझा किया जाना.

"हमें वैज्ञानिक ज्ञान और नीतिनिर्माण को बेहतर ढंग से एकीकृत करने की भी आवश्यकता है."

इस वर्ष, टिकाऊ विकास के लिये महासागर विज्ञान के यूएन दशक की शुरुआत हुई है. यूएन प्रमुख के मुताबिक़ यह दशक इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये सामूहिक कार्रवाई का फ्रेमवर्क प्रदान करता है.

उन्होंने कहा कि इस समीक्षा के निष्कर्ष, इस वर्ष जैव-विविधता, जलवायु और अन्य उच्चस्तरीय बैठकों व आयोजनों में महत्वाकांक्षी नतीजों की तात्कालिक ज़रूरत को रेखांकित करते हैं.

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि एक साथ मिलकर, कोविड-19 से हम ना केवल एक हरित बल्कि महासागर अनुकूल (Blue recovery) पुनर्बहाली को साकार किया जा सकता है.

इससे दीर्घकाल में महासागरों के साथ एक सुदृढ़ और टिकाऊ सम्बन्ध सुनिश्चित किया जा सकेगा.