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कैमरून के निर्धन समुदायों तक नवीकरणीय ऊर्जा पहुँचाने की पहल

जलवायु कार्रवाई के तहत नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिये जाने को अहम बताया गया है.
UNDP/Karin Schermbucker
जलवायु कार्रवाई के तहत नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दिये जाने को अहम बताया गया है.

कैमरून के निर्धन समुदायों तक नवीकरणीय ऊर्जा पहुँचाने की पहल

जलवायु और पर्यावरण

नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देने वाली एक परियोजना के परिणामस्वरूप, कैमरून के उत्तर और सुदूर उत्तर के एक हज़ार से अधिक घर और छह हज़ार से अधिक लोग, जल्द ही स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा का लाभ उठा सकेंगे. कैमरून में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के देशीय कार्यालय ने, भारत और कैमरून सरकार की साझेदारी में इस दिशा में बढ़त हासिल करने की बात कही है.   

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी इस क्रम में, भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष (India-UN Development Partnership Fund), और कैमरून सरकार के समर्थन से, वंचित समुदायों के लिये उत्तर और सुदूर उत्तर क्षेत्रों में काम करेगी.

इस परियोजना की पहली पायलट समिति की बैठक 07 अप्रैल, 2021 को राजधानी यऊण्डे में हुई, जिसमें सरकारी प्रतिनिधि, यूनेस्को अधिकारी, भारतीय उच्चायुक्त और लाभार्थी समुदायों के प्रतिनिधि शामिल हुए.

बैठक का उद्देश्य,  परियोजना की पायलट समिति के सदस्यों को चुनना, परियोजना सम्बन्धी वित्तीय जानकारी और परियोजना की वार्षिक कार्य योजना पर चर्चा करना था.

मध्य अफ्रीका के लिये यूनेस्को के निदेशक, सलाह ख़ालिद ने बैठक की सह-अध्यक्षता करते हुए परियोजना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "इन दोनों क्षेत्रों (उत्तर और सुदूर उत्तर) में विद्युत ऊर्जा की पहुँच बहुत कम है, चूँकि केवल 20 फ़ीसदी घरों को ही बिजली की आपूर्ति है."

"परम्परागत ऊर्जा स्रोतों पर अधिक निर्भरता ने इन क्षेत्रों के पारिस्थितिकी तंत्रों पर दबाव बना दिया है, जिससे वे जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव के प्रति अधिक सम्वेदनशील हो गए हैं.”

बताया गया है कि इन इलाक़ों में, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों जैसे कि सौर, पर्यावरण अनुकूल लकड़ी का कोयला, टिकाऊ चूल्हे, जैव ईंधन उत्पादन आदि के उपयोग को बढ़ावा देने के तरीक़ों की तलाश की जा रही है.

यह परियोजना शुरू होने से स्थानीय आबादी, घरेलू बिजली के लिये आत्मनिर्भर हो जाएगी.

ऊर्जा की क़िल्लत

मरौआ के नेशनल एडवान्स स्कूल ऑफ़ इन्जीनियरिंग के मोहम्दौ अलिदौ के अनुसार, "कैमरून फ़िलहाल ऊर्जा की कमी की बहुत गम्भीर समस्या का सामना कर रहा है और यह समस्या कैमरून के उत्तरी हिस्से में सबसे ज़्यादा है."

"यह परियोजना हमें, हमारी प्राकृतिक ऊर्जा की क्षमता यानि सूरज की ऊर्जा का उपयोग करने में सक्षम बनाएगी. नवीकरणीय ऊर्जा ज़्यादातर विकास परियोजनाओं के केन्द्र में है. यही कारण है कि शिक्षण क्षेत्र भी इस परियोजना को पूरा सहयोग दे रहा है."

घरों और समुदायों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की उपयोगिता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये, उत्तर और सुदूर उत्तरी क्षेत्रों के बिबेमी, पोली और ज़िना में कुछ गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. 

बिबेमी ग्रामीण परिषद के एक प्रतिनिधि ने इस परियोजना को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए उम्मीद जताई है कि इससे स्थानीय गाँवों में विकास को बढ़ावा मिलेगा.

"यह हमारे लिये प्राथमिकता है. इस परियोजना के साथ महिलाओं को अन्य ऊर्जा स्रोतों - जैसे कि लकड़ी का कोयला उपयोग करने के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे घरों की राष्ट्रीय बिजली स्रोतों पर निर्भरता कम होगी.”

मौजूदा चरण के बाद, कैमरून में अन्य समुदायों के लिये भी यह परियोजना लागू किये जाने की सम्भावना है और उसके बाद, अन्य अफ्रीकी देशों में भी इसके प्रसार की महत्वाकांक्षा ज़ाहिर की गई हैं.