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यूनेस्को की चेतावनी, महामारी से उबरने में, संग्रहालयों की अनदेखी ना हो

पेरिस के एक संग्रहालय में, एक महिला विन्सेंट वॉन गॉफ़ की एक पेंटिंग (1888) को निहारते हुए.
UN News/Elizabeth Scaffidi
पेरिस के एक संग्रहालय में, एक महिला विन्सेंट वॉन गॉफ़ की एक पेंटिंग (1888) को निहारते हुए.

यूनेस्को की चेतावनी, महामारी से उबरने में, संग्रहालयों की अनदेखी ना हो

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी – यूनेस्को की प्रमुख ने कहा है कि दुनिया भर में, कोविड-19 महामारी के कारण डरावने और व्यापक प्रतिबन्धों व तालाबन्दियों की स्थिति में, सांस्कृतिक जीवन को फिर से बहाल करने और हमारी साझा विरासत को उसकी पूर्ण विविधता के साथ सहेजने के लिये, संग्रहालय बुनियादी रूप से महत्वपूर्ण हैं.

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन – (UNESCO) के अनुसार, महामारी के कारण, पूरा सांस्कृतिक क्षेत्र गम्भीर रूप से प्रभावित हुआ है, विशेष रूप में, संग्रहालयों पर बहुत असर पड़ा है.

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संगठन ने वर्ष 2020 में, दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के दौर में संग्रहालयों की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी.

उसी रिपोर्ट का ताज़ा व संवर्धित रूप मंगलवार को प्रकाशित किया गया है जिसमें 87 देशों में मौजूद एक लाख 4000 संग्रहालयों के आँकड़े प्रस्तुत किये गए हैं.

इस नवीन रिपोर्ट में दिये गए अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2020 में, लगभग 90 प्रतिशत संग्रहालयों को, औसतन 155 दिनों के लिये बन्द करना पड़ा था, और वर्ष 2021 के शुरू से भी, संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी के कारण, बहुत से संग्रहालयों को अपने दरवाज़े फिर बन्द करने पड़े.

एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति के कारण, औसतन संग्रहालयों में उपस्थिति की दर लगभग 70 प्रतिशत गिर गई है, और वर्ष 2019 की तुलना में, राजस्व में, 40 से 60 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है.

यूनेस्को की प्रमुख ऑड्री अज़ूले का कहना है, “संकट के इस दौर में, हम संस्कृति तक आसान पहुँच सुनिश्चित करने और अपनी साझा विरासत को इसकी पूर्ण विविधता के साथ सहेजने की बुनियादी महत्ता पर से नज़र नहीं हटा सकते.”

अहम भूमिकाएँ

यूनेस्को का कहना है कि संग्रहालयों के ज़रिये, भविष्य की पीढ़ियों के लिये विरासत को सहेजकर रखा जाता है, जीवन भर चलने वाली सीख को बढ़ावा मिलता है, संस्कृति तक समान पहुँच हासिल होती है और ऐसे मूल्यों का विस्तार होता है जिन पर मानवता टिकी है.

सामाजिक समावेशन के सन्दर्भ में संग्रहालयों की भूमिका इस नज़रिये से भी महत्वपूर्ण है कि वो समाजों को जोड़े रखने में मदद करते हैं, और रचनात्मक व पर्यटन – दोनों उद्योगों में प्रमुख भूमिका निभाते हैं.

रिपोर्ट के लेखकों ने संग्रहालयों द्वारा आयोजित की जाने वाली परम्परागत शैक्षिक गतिविधियों की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया, जिनमें स्कूली बच्चों की यात्राएँ, पर्यटन और कार्यशालाएँ शामिल हैं.

यूनेस्को प्रमुख ऑड्री अज़ूले ने याद दिलाने के अन्दाज़ में कहा, “महामारी से पुनर्बहाली की नीतियों में, हम संग्रहालयों को जो स्थान देंगे, उसी से उन सामाजिक मूल्यों के बारे में जानकारी ज़ाहिर होगी जो हम क़ायम रखना चाहते हैं.”

भविष्य की ओर

यूनेस्को की इस ताज़ा रिपोर्ट को नाम दिया गया है ‘विश्व भर में संग्रहालय’.

इसमें संग्रहालयों में रखी गई कृतियों का बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण किये जाने के साथ-साथ, और ज़्यादा शिक्षा, प्रशिक्षण और शोध को समर्थन देने के उपाय किये जाने की अनुशंसाएँ की गई हैं.

रिपोर्ट के लेखकों ने, साथ ही, संग्रहालयों के बीच, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग किये जाने और महामारी काल के दौरान सरकारी अधिकारियों द्वारा वित्तीय सहायता मुहैया कराने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया है. संस्थाओं को और ज़्यादा सहनशील बनाकर, भविष्य में संस्कृतियों को और ज़्यादा मज़बूत किये जाने की भी ज़रूरत बताई गई है.

यूनेस्को प्रमुख का कहना है, “कठिन दौर में, संग्रहालयों के संचालन में, सहायता मुहैया कराने में देशों की अहम भूमिका है. ऐसा महत्वाकांक्षी सांस्कृतिक नीतियों के ज़रिये किया जाना होगा. इससे ना केवल संग्रहालयों का वजूद सुनिश्चित किया जा सकेगा बल्कि उन्हें भविष्य के लिये भी तैयार किया जा सकेगा.”