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फ़ुकुशिमा संयंत्र: दूषित जल के निस्तारण में, यूएन एजेंसी देगी जापान को मदद

यूएन परमाणु ऊर्जा एजेंसी की टीम फ़ुकुशिमा संयंत्र के पास से जल नमूनों को एकत्र कर रही है. यह तस्वीर 7 नवम्बर 2013 की है.
IAEA/David Osborn
यूएन परमाणु ऊर्जा एजेंसी की टीम फ़ुकुशिमा संयंत्र के पास से जल नमूनों को एकत्र कर रही है. यह तस्वीर 7 नवम्बर 2013 की है.

फ़ुकुशिमा संयंत्र: दूषित जल के निस्तारण में, यूएन एजेंसी देगी जापान को मदद

जलवायु और पर्यावरण

जापान में वर्ष 2011 में आए भूकम्प व सूनामी से प्रभावित फ़ुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र को ठण्डा करने के लिये इस्तेमाल किये गए दूषित समुद्री जल के विसर्जन की तैयारियाँ की जा रही है. अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक रफ़ाएल मारिआनो ग्रोसी ने जापान के समाधान को, तकनीकी रूप से सम्भव और अन्तरराष्ट्रीय परिपाटी के अनुरूप बताते हुए इस योजना में हरसम्भव सहयोग देने की बात कही है. 

यूएन परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि जापान की योजना को सुरक्षित व पारदर्शी ढंग से लागू किये जाने की प्रक्रिया की निगरानी व समीक्षा में, एजेंसी तकनीकी समर्थन देने के लिये तैयार है. 

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विश्व भर में मौजूदा संचालित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से, नियन्त्रित ढंग से जल का विसर्जन, एक नियमित तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया रही है. 

यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि इस प्रक्रिया से पहले सुरक्षा व पर्यावरणीय प्रभावों की समीक्षा की जाती है. 

“जापान सरकार द्वारा आज लिया गया फ़ैसला एक ऐसा अहम पड़ाव है जिससे फ़ुकुशिमा डाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र को सेवा मुक्त करने की दिशा में प्रगति जारी रखने का मार्ग प्रशस्त होगा.”

महानिदेशक मारिआनो ग्रोसी ने स्पष्ट किया कि फ़ुकुशिमा संयंत्र में भारी मात्रा में जल की मौजूदगी, इसे एक अनूठा व जटिल मामला बनाती है. 

बताया गया है कि पानी से भरे टैंक संयंत्र के वृहद क्षेत्र में फैले हुए हैं, और इसके मद्देनज़र, जल प्रबन्धन सुनिश्चित किया जाना, संयंत्र को सेवा मुक्त करने से जुड़ी गतिविधियों के टिकाऊपन के नज़रिये से भी अहम है.   

दो वर्ष की प्रतीक्षा

ख़बरों के अनुसार, जापान अगले दो वर्षों में, 12 लाख टन दूषित समुद्री जल को प्रशान्त महासागर में छोड़ने की शुरुआत करने की योजना पर काम कर रहा है. 

मगर इससे पहले यह दूषित जल से रेडियोएक्टिव सामग्री को हरसम्भव ढंग से मुक्त किये जाने की बात कही गई है. 

इनमें रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स, स्ट्रोण्टियम और सीज़यम है, लेकिन ट्रिटियम नहीं है जोकि हाइड्रोजन से सम्बन्धित है. बताया गया है कि इसकी कम मात्रा से, स्वास्थ्य के लिये ज़्यादा जोखिम नहीं हैं. 

लेकिन, मीडिया ख़बरों के अनुसार चीन, दक्षिण कोरिया और जापान में, पर्यावहण समूह ग्रीनपीस ने रेडिएशन जोखिमों का हवाला देते हुए इस क़दम का विरोध किया है.   

दूषित समुद्री जल को पूर्ण रूप से छोड़े जाने में लगभग तीन दशकों का समय लगेगा. 

एक दशक पहले, जापान में घातक सूनामी लहरों ने फ़ुकुशिमा डाएची संयंत्र को अपनी चपेट में ले लिया था. इस दौरान कई धमाके हुए हैं और आस-पास के इलाक़े से, लगभग 60 हज़ार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया था. 

यूएन एजेंसी के महानिदेशक ने बताया कि उनका संगठन जापान के साथ दूषित जल छोड़े जाने से पहले, प्रक्रिया के दौरान और बाद में भी, नज़दीकी तौर पर काम करता रहेगा. 

उन्होंने, पिछले वर्ष, फ़ुकुशिमा परमाणु संयंत्र का दौरा किया था. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पारस्परिक सहयोग और यूएन एजेंसी की उपस्थिति से, जापान और उससे परे भी, भरोसा बढ़ेगा. 

साथ ही, मानव व पर्यावरण स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव डाले बिना, जल निस्तारण की प्रक्रिया सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.