कोवैक्स: 100 से ज़्यादा देशों व अर्थव्यवस्थाओं में वैक्सीन ख़ुराकें वितरित
कोविड-19 वैक्सीन के न्यायसंगत ढंग से वितरण के लिये संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में स्थापित, ‘कोवैक्स’ पहल के तहत अब तक, 100 से ज़्यादा देशों व अर्थव्यवस्थाओं में साढ़े तीन करोड़ से ज़्यादा ख़ुराकें वितरित की जा चुकी हैं. इस व्यवस्था के तहत टीकों की पहली खेप 24 फ़रवरी को घाना पहुँची थी और उसके बाद से अब तक, 42 दिनों में, वैक्सीन वितरण का दायरा व्यापक स्तर पर बढ़ाया गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गुरुवार को इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि ऑक्सफ़र्ड - ऐस्ट्राज़ेनेका, फ़ाइज़र-बायेएनटेक और भारत के सीरम संस्थान में बनाई जा रही ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की एक क़िस्म - कोवीशील्ड, की तीन करोड़ 80 लाख से ज़्यादा ख़ुराकें अब तक दुनिया के कई देशों में पहुँचाई जा चुकी हैं.
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WHO
हाल के दिनों में ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन दिये जाने के बाद कुछ गिनी-चुनी संख्या में, लोगों में रक्त के थक्के जमने के मामले सामने आने से चिन्ता व्यक्त की गई है, हालाँकि ऐसे मामले बेहद कम हैं.
इस सन्दर्भ में, यूएन की स्वास्थ्य एजेंसी और अन्य स्वास्थ्य नियामकों ने कोविड-19 से बचाव के लिये ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के महत्व को फिर से पुष्ट किया है.
यूएन एजेंसी ने चार सप्ताह के विश्लेषण के बाद, ऑक्सफ़र्ड-ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के दो संस्करणों को आपात इस्तेमाल सूची में 15 फ़रवरी को शामिल किया था.
न्यायसंगत वैक्सीन वितरण के लिये यूएन के नेतृत्व में कोवैक्स पहल के तहत वैक्सीन की खेपें विश्व भर में रवाना की जा रही हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की वैश्विक सलाहकार समिति, योरोपीय मेडिसिन एजेंसी और ब्रिटेन की नियामक संस्था ने बुधवार शाम को वक्तव्य जारी किये, जिनमें कहा गया है कि ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन लिये जाने के लाभ, उसके दुर्लभ, सम्भावित जोखिमों से कहीं अधिक हैं.
19 करोड़ ख़ुराकें
ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन की अब तक 19 करोड़ ख़ुराकें दी जा चुकी हैं, और रक्त के थक्के जमने के केवल 182 मामले ही सामने आए हैं.
स्वास्थ्य संगठन ने देशों के लिये जारी अपनी सलाह में कहा है कि ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन का इस्तेमाल जारी रखा जाना चाहिये, जिसकी वजह से लाखों ज़िन्दगियाँ बचाने और गम्भीर बीमारी की रोकथाम करने में मदद मिली है.
मार्च और अप्रैल 2021 में वैक्सीन की आपूर्ति व उपलब्धता में कमी दर्ज की गई है, जिसकी एक वजह भारत में कोविड-19 वैक्सीन की बढ़ती माँग बताई गई है.
इसके बावजूद, कोवैक्स पहल में भागीदार उन सभी अर्थव्यवस्थाओं तक, वर्ष के पहले छह महीनों में वैक्सीन पहुँचाए जाने की उम्मीद है, जिन्होंने इस सम्बन्ध में अनुरोध किया है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि कोवैक्स ने दुनिया को सबसे तेज़, सबसे न्यायोचित ढंग से हर देश में ज़रूरतमन्दों तक सुरक्षित व असरदार वैक्सीन वितरण का सर्वोत्तम तरीक़ा सुनिश्चित करने का रास्ता दिया है.
“इस महान अवसर का लाभ उठाने के लिये देशों, उत्पादकों और अन्तरराष्ट्रीय प्रणाली को साथ आक,र कोवैक्स के तहत वैक्सीन आपूर्ति को प्राथमिकता देनी होगी. हमारा सामूहिक भविष्य वस्तुत: इस पर निर्भर है.”
प्रयासों में तेज़ी लाने का समय
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फ़ोर ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि डेढ़ महीनों में हुई प्रगति के बावजूद यह समय जश्न मनाने का नहीं, बल्कि प्रयासों में और ज़्यादा तेज़ी लाने का है.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने आगाह किया है कि कोविड-19 के नए रूप व प्रकार दुनिया भर में उभरे हैं, जिसके मद्देनज़र वैश्विक स्तर पर वैक्सीन वितरण में गति लानी होगी.
साथ ही आपूर्ति बढ़ाने के उपाय किये जाने होंगे जिनमें बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के अवरोधों को दूर करना, कोविड-19 वैक्सीन के निर्यात पर लगी पाबन्दियों को हटाना और वैक्सीन की ख़ुराकें दान किया जाना अहम है.
कोवैक्स पहल के तहत इस वर्ष, कोरोनावायरस वैक्सीन की दो अरब ख़ुराकें वितरित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है.
इसके लिये नई सुरक्षित व असरदार वैक्सीनों के इस्तेमाल की अनुमति दी जानी होगी.
यूएन एजेंसी व साझीदार संगठनों ने कहा है कि विनिर्माताओं के साथ आगामी दिनों में समझौतों की घोषणा की जाएगी.