रक्त के थक्के जमने व ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन में सम्बन्ध 'सम्भव', मगर 'दुर्लभ'

कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिये ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन दिये जाने से कुछ लोगों में रक्त के थक्के जमने के दुर्लभ मामले सामने आ सकते हैं, मगर इनके बीच आपसी सम्बन्ध की पुष्टि के लिये और ज़्यादा शोध की आवश्यकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा है कि ऐसे मामलों को वैक्सीन की ख़ुराक दिये जाने के बाद, बेहद कम नज़र आने वाले नुक़सान (side-effects) के रूप में चिन्हित किया जाना चाहिये.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की वैश्विक सलाहकार समिति की उपसमिति ने योरोपीय मेडिसिन एजेंसी, ब्रिटेन और अन्य देशों की स्वास्थ्य नियामक संस्थाओं से प्राप्त जानकारी की समीक्षा के बाद बुधवार को अपनी यह राय पेश की है.
योरोपीय मेडिसिन एजेंसी के मुताबिक रक्त के थक्के जमने और प्लेटलेट संख्या में कमी आने के मामले असाधारण हैं, जिन्हें ऐस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन के ऐसे साइड-इफ़ेक्ट के तौर पर चिन्हित किया जाना होगा, जोकि कभी-कभार ही सामने आते हैं.
🆕 Interim statement of the #COVID19 subcommittee of the WHO Global Advisory Committee on Vaccine Safety on the AstraZeneca vaccine https://t.co/p8XMMAiUne pic.twitter.com/7DMRNFxQsX
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वहीं ब्रिटेन की नियामक संस्था ने बताया कि दोनों के बीच आपसी सम्बन्ध के तथ्य मज़बूत हैं, लेकिन पुष्टि के लिये अभी और कार्य की ज़रूरत है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की उपसमिति ने कहा कि मौजूदा सूचनाओं के आधार पर, वैक्सीन और रक्त के थक्के जमने व प्लेटलेट संख्या में कमी आने के बीच सम्बन्ध, सम्भव है, मगर फ़िलहाल इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है.
“टीकाकरण और सम्भावित जोखिम कारकों के बीच सम्भावित सम्बन्ध को पूर्ण रूप से समझने के लिये विशेषीकृत अध्ययनों की आवश्यकता है.”
कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिये असरदार वैक्सीन के न्यायसंगत वितरण को अहम बताया गया है.
इस क्रम में यूएन के नेतृत्व वाली ‘कोवैक्स पहल’ के तहत वितरित की जाने वाली वैक्सीन की ख़ुराकों में ऐस्ट्राज़ेनेका का एक बड़ा हिस्सा है.
अब तक 86 देशों में साढ़े तीन ख़ुराकों को पहुँचाया जा चुका है.
उपसमिति की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि रक्त के थक्के जमने के मामले चिन्ताजनक, मगर दुर्लभ हैं. दुनिया भर में 20 करोड़ लोगों को इस वैक्सीन की ख़ुराक दी गई है और ऐसे मामले बेहद कम संख्या में दर्ज किये गए हैं.
विशेषज्ञों ने कहा है कि टीकाकरण के बाद दुर्लभ दुष्प्रभावों के इन मामलों को कोविड-19 महामारी के जोखिम, वैक्सीन से संक्रमण की सम्भावित रोकथाम और बीमारी के कारण होने वाली मौतों को टाले जाने की तुलना में परखा जाना चाहिए.
वक्तव्य में एक ऐसी महामारी के ख़िलाफ़ वैक्सीन की अहमियत को रेखांकित किया गया है जिससे अब तक 26 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. अन्य दवाओं की तरह, वैक्सीन के भी साइड-इफ़ेक्ट हो सकते हैं.
उपसमिति ने स्पष्ट किया है कि वैक्सीन को लगाए जाने के सम्बन्ध में फ़ैसला जोखिम और फ़ायदे के विश्लेषण के आधार पर किया जाना होगा.
इस बीच, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, विभिन्न कोविड-19 वैक्सीनों के टीकाकरण कार्यक्रमों की निगरानी कर रही है, और सम्भावित जोखिमों से निपटने के लिये देशों के साथ मिलकर प्रयास जारी रखेगी.
वक्तव्य में कहा गया है कि गहन टीकाकरण अभियानों में, वैक्सीन की ख़ुराकें दिये जाने के बाद सम्भावित दुष्प्रभावों के मामलों का सामने आना सामान्य बात है.
विशेषज्ञों के अनुसार, इसका यह अर्थ नही लगाया जाना चाहिए कि ऐसे मामले सीधे तौर पर वैक्सीन दिये जाने से जुड़े हैं.
लेकिन उनकी पूर्ण रूप से पड़ताल किया जाना सुरक्षा चिन्ताओं को दूर करने के लिहाज से अहम है.