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डीआरसी: बढ़ती गम्भीर भुखमरी के हालात से आबादियाँ बेहाल

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में खेतों में काम करती एक महिला किसान. देश में हर तीन में से एक व्यक्ति को गम्भीर भुखमरी के हालात का सामना करना पड़ रहा है.
© FAO/Junior D. Kannah
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में खेतों में काम करती एक महिला किसान. देश में हर तीन में से एक व्यक्ति को गम्भीर भुखमरी के हालात का सामना करना पड़ रहा है.

डीआरसी: बढ़ती गम्भीर भुखमरी के हालात से आबादियाँ बेहाल

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता पदाधिकारियों ने मंगलवार को आगाह करते हुए कहा है कि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में भुखमरी का स्तर रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गया है और देश में हर तीन में से एक व्यक्ति भुखमरी का सामना करने को मजबूर है.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, लगभग 2 करोड़ 73 लाख लोग, अत्यन्त गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जिनमें से लगभग 70 लाख लोग, अत्यन्त गम्भीर भुखमरी की आपदा से पीड़ित हैं.

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इसका अर्थ है कि इस मध्य अफ्रीकी देश में, दुनिया भर में ऐसे लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा है जिन्हें खाद्य सुरक्षा के लिये तुरन्त सहायता की ज़रूरत है. 

डीआरसी में विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रतिनिधि पीटर मुसोको का कहना है कि पहली बार, जनसंख्या के एक बहुत बड़े हिस्से की परिस्थितियों का आकलन किया गया, और इससे देश में, खाद्य असुरक्षा की एक वास्तविक तस्वीर हासिल करने में मदद मिली है.

उन्होंने कहा, “यह देश ना केवल अपनी आबादी का पेट भरने में सक्षम होना चाहिये, बल्कि ज़रूरत से बचने वाली अतिरिक्त खाद्य सामग्री को निर्यात भी कर सके."

"हम बच्चों को भूखे पेट सोते हुए और परिवारों को, पूरा दिन ख़ाली पेट गुज़ारते हुए नहीं देख सकते.”

भुखमरी के कारक

यूएन एजेंसियों का कहना है कि डीआरसी में जारी संघर्ष, भुखमरी का एक प्रमुख कारण है, विशेष रूप में मध्य कासाइस में.

साथ ही, पूर्वी प्रान्त इतूरी, उत्तरी और दक्षिणी कीवू और तन्गानयीका इलाक़े भी संघर्ष से प्रभावित हैं.

संकट को और ज़्यादा गहरा करने वाले कारकों में, देश की अर्थव्यवस्था में आई मन्दी भी शामिल है, साथ ही कोविड-19 महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों ने भी स्थिति को और ज़्यादा गम्भीर बनाया है.

डीआरसी में, गृह युद्ध वैसे तो आधिकारिक रूप में, 2003 में समाप्त हो गया था, मगर लड़ाकों की हिंसा, वहाँ दशकों से जारी रही है, विशेष रूप में पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्रों में, जो बुरूंडी, रवांडा और यूगांडा की सीमाओं से मिलते हैं.

डीआरसी में खाद्य और कृषि संगठन के प्रतिनिधि ऐरिस्टाइड ऑन्गॉन ओबेम का कहना है कि देश के पूर्वी हिस्से में यदा-कदा होने वाले संघर्षों और उनसे होने वाली तकलीफ़ें, बहुत बड़ी चिन्ता के कारण हैं. 

उन्होंने कहा कि देश में सामाजिक व राजनैतिक स्थिरता को बनाए रखना, खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करने और वंचित हालात वाली आबादियों की सहनशीलता बढ़ाने के लिये बहुत अहम है.

साथ ही, और ज़्यादा खाद्य सामग्री के उत्पादन व मवेशियों की तादाद बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करने की भी तत्काल ज़रूरत है.

यूएन एजेंसी के पदाधिकारी ने कहा, “मुख्य कृषि का मौसम बहुत नज़दीक है और बिल्कुल भी समय बर्बाद नहीं किया जा सकता.”

आँकड़ों के पीछे

यूएन एजेंसियों ने स्थिति का विवरण देते हुए कहा कि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के लोगों को अपना जीवन बचाने की ख़ातिर भागना पड़ रहा है, माता-पिताओं को, भोजन के अभाव में, अपने बच्चों को बीमार होते हुए देखना पड़ रहा है, और किसानों को अपनी ख़ुद की ज़मीनों से बेदख़ल होना पड़ रहा है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कुछ ऐसे परिवारों के भी हालात बयान किये जिन्हें जीवित रहने के लिये, जंगली झाड़ियों की जड़ें खानी पड़ रही हैं, या कसावा की पत्तियों को पानी में उबालकर खाना पड़ रहा है.

इससे भी ज़्यादा तकलीफ़देह हालात ये हैं कि जो परिवार अपने गाँवों को वापिस लौटते हैं, उनमें से कुछ को देखना पड़ता है कि उनके घर जला दिये गए हैं और फ़सलें चुरा ली गई हैं.

सबसे ज़्यादा नुक़सान उठाने वालों में वो परिवार ज़्यादा हैं जिनका दारोमदार महिलाओं के कन्धों पर है.

साथ ही शरणार्थी, अपने घरों को वापिस लौटने वाले, विस्थापितों को सहारा देने वाले मेज़बान परिवार, विस्थापित और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोग भी, बहुत कठिन हालात का सामना करने को मजबूर हैं.

मुश्किल हालात का सामना करने वालों में निर्धनतम आबादियाँ भी हैं जिनके पास कोई भी सामान ख़रीदने के सीमित संसाधन हैं, और खाद्य बाज़ारों तक उनकी पहुँच भी बहुत सीमित है.