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कोविड-19: 'वैक्सीन पासपोर्ट' की प्रभावशीलता पर अभी और स्पष्टता की ज़रूरत

दुनिया भर के अनेक देश, उन लोगों के लिये वैक्सीन पासपोर्ट जारी करने के बारे में विचार कर रहे हैं जिन लोगों को वैक्सीन की ख़ुराकें दी जा चुकी हैं.
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दुनिया भर के अनेक देश, उन लोगों के लिये वैक्सीन पासपोर्ट जारी करने के बारे में विचार कर रहे हैं जिन लोगों को वैक्सीन की ख़ुराकें दी जा चुकी हैं.

कोविड-19: 'वैक्सीन पासपोर्ट' की प्रभावशीलता पर अभी और स्पष्टता की ज़रूरत

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को आगाह करते हुए कहा है कि ज़रूरी नहीं है कि कोविड-19 की वैक्सीन का टीका लगवाने से, इस महामारी के संक्रमण को पूरी तरह रोका ही जा सके, और यात्राएँ शुरू करने की अनुमति के लिये वैक्सीन पासपोर्ट जारी करना, भी कोई प्रभावशाली रणनीति नज़र नहीं आती है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने, 7 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस से पहले कहा है, “फ़िलहाल, हम वैक्सीन पासपोर्टों को, किसी देश में दाख़िल होने या वहाँ से किसी अन्य स्थान के लिये जाने की अनिवार्यता के रूप में नहीं देखना चाहते, क्योंकि अभी हम इस बारे में विश्वस्त नहीं है कि वैक्सीन, संक्रमण से बचाव करती ही है.”

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आपूर्ति और माँग

डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने कहा कि वैक्सीन पासपोर्ट जारी करने को, अभी एक प्रभावशाली रणनीति नहीं कहा जा सकता क्योंकि “अभी सबको वैक्सीन उपलब्ध नहीं हुई है और समाजों के कुछ समूह ऐसे हैं जिन्हें अलग रखा गया है..."

"हम अब भी वैक्सीनों की पर्याप्त आपूर्ति होने का इन्तज़ार कर रहे हैं ताकि सभी ज़रूरतमन्द देशों को वैक्सीन पर्याप्त मात्रा में मुहैया कराई जा सकें.”

प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने ध्यान दिलाया कि कोविड-19 महामारी ने कुछ लोगों को, अन्य लोगों की तुलना में, किस तरह ज़्यादा प्रभावित किया है.

उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि वायरस ने स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के बारे में मौजूद तीव्र विषमताओं को सामने ला दिया है...

उन्होंने कहा कि ऐसे समूह जो पहले ही भेदभाव, निर्धनता, सामाजिक अलगाव, रहन-सहन के कठिन हालात और मुश्किल कामकाजी परिस्थितियों का सामना करते हैं, उन पर इस महामारी का सबसे भीषण प्रभाव हुआ है.

विश्व स्वास्थ्य दिवस अपील

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने इस वर्ष 'विश्व स्वास्थ्य दिवस' पर, देशों से, कोविड-19 के बाद के समय के लिये एक ज़्यादा न्यायसंगत और स्वस्थ दुनिया बनाने का आग्रह किया है.

स्वास्थ्य एजेंसी की प्रवक्ता डॉक्टर हैरिस ने ऐसी नीतियाँ लागू करने और इस तरह से संसाधन आबंटित करने का आहवान किया जिनके ज़रिये, सर्वाधिक वंचित हालात वाले समूह, अपनी परिस्थितियाँ तेज़ी से बदलते हुए देख सकें.

इस अर्थ है – सभी लोगों के रहन-सहन के हालात में सुधार होना, निर्धनता और स्वास्थ्य विषमताओं का मुक़ाबला करना, टिकाऊ समाजों और मज़बूत अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करना, संसाधनों की ज़्यादा समान उपलब्धता को बढ़ावा देना, खाद्य सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित करना, और जलवायु परिवर्तन पर हवा का रुख़ पलट देना. 

उन्होंने कहा, “अभी कितना कुछ किया जाना बाक़ी है.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास उपलब्ध ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, 6 अप्रैल को, ये जानकारी प्रकाशित करने के समय तक, दुनिया भर में, कोविड-19 संक्रमण के 13 करोड़, 13 लाख से ज़्यादा मामले हो चुके थे.

इस महामारी से अब तक 28 लाख 54 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है.

5 अप्रैल तक, दुनिया भर में, वैक्सीन की 60 करोड़ 40 लाख, 32 हज़ार से ज़्यादा ख़ुराकें दी जा चुकी थीं.

संक्रमण का असर क्षेत्रीय नज़रिये से देखें तो अमेरिकी महाद्वीप के देश सर्वाधिक प्रभावित हैं, जहाँ संक्रमण के पुष्ट मामलों की संख्या 5 करोड़ 68 लाख, 80 हज़ार से ज़्यादा है.

उसके बाद योरोप का नम्बर है जहाँ संक्रमण के मामलों की संख्या 4 करोड़ 60 लाख, 85 हज़ार, 310 है.

दक्षिण-पूर्व एशिया में एक करोड़ 54 लाख, 38 हज़ार, 907; पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र के देशों में 77 लाख, 85 हज़ार, 717; अफ्रीका में 31 करोड़, 26 हज़ार; और पश्चिमी प्रशान्त क्षेत्र में, संक्रमण के मामलों की संख्या 19 लाख, 92 हज़ार, 953 दर्ज की गई है.