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WHO: महामारी से निपटने की तैयारियों के लिये एक अन्तरराष्ट्रीय सन्धि की पेशकश

कैमरून के एक इलाक़े में, एक माँ अपने बच्चे के साथ, कोविड-19 से बचने के लिये ऐहतियाती उपाय करते हुए.
UNICEF/Frank Dejongh
कैमरून के एक इलाक़े में, एक माँ अपने बच्चे के साथ, कोविड-19 से बचने के लिये ऐहतियाती उपाय करते हुए.

WHO: महामारी से निपटने की तैयारियों के लिये एक अन्तरराष्ट्रीय सन्धि की पेशकश

स्वास्थ्य

दुनिया की अनेक हस्तियों ने, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक के इस प्रस्ताव पर सहमति जताई है कि आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा की ख़ातिर, भविष्य में कोविड-19 जैसी महामारियों की रोकथाम व उनसे निपटने की तैयारियों के लिये, एक अन्तरराष्ट्रीय सन्धि वजूद में आनी चाहिये.

दुनिया भर के अनेक समाचार मंचों पर, मंगलवार को एक संयुक्त लेख प्रकाशित हुआ है जिसके लेखकों ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी ने एक ऐसी भयावह और दर्दनाक दिलाई है कि कोई भी इनसान तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक कि सभी इनसान सुरक्षित ना हों, और ये भी कि भविष्य में अन्य तरह की महामारिया और अन्य गम्भीर व ख़तरनाक स्वास्थ्य आपदाएँ भी होंगी.

अगर-मगर की बात नहीं

इस लेख में कहा गया है, “सवाल ये नहीं है कि किया जाए या नहीं, बल्कि मुद्दा ये है कि कब किया जाए. हमें, एकजुट होकर, महामारियों के बारे में अनुमान लगाने, उनकी रोकथाम, उनका पता लगाने, उनका आकलन व विश्लेषण करने और उनकी रोकथाम करने की तैयारियों में, उच्च दर्जे का तालमेल व एकजुटता दिखानी होगी.”

इन विश्व हस्तियों ने लिखा है कि ये प्रस्तावित सन्धि, विश्व स्वास्थ्य संगठन के संविधान से जन्म लेगी और उसका मक़सद, भविष्य में होने वाली महामारियों के ख़िलाफ़ पुख़्ता इन्तज़ाम करने के लिये, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक क्षमताओं को मज़बूत करने के लिये एक वृहद ढाँचा तैयार करना होगा.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस के साथ, अभी तक इस मुद्दे पर समर्थन व्यक्त करने वाली विश्व हस्तियों में – अल्बानिया, चिली, कोस्टा रीका, योरोपीय काउंसिल, फ़िजी, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इण्डोनेशिया, इटली, केनया, नैदरलैण्ड, नॉर्वे, पुर्तगाल, कोरिया गणराज्य, रोमानिया, रवाण्डा, सेनेगल, सर्बिया, दक्षिण अफ़्रीका, स्पेन, थाईलैण्ड, त्रिनिदाद और टोबैगो, ट्यूनीशिया, ब्रिटेन और यूक्रेन के प्रतिनिधि शामिल हैं.

इन विश्व हस्तियों ने कहा है, “ऐसे समय में, जबकि कोविड-19 ने, हमारी कमज़ोरियों और विभाजनों का अनुचित फ़ायदा उठाया है, हमें इस मौक़े का भरपूर फ़ायदा उठाते हुए, शान्तिपूर्ण सहयोग के लिये एक वैश्विक समुदाय के रूप में एकजुट होना होगा, जो इस संकट के बाद के समय में भी जारी रहे.”

साहसिक बनना होगा

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने मंगलवार को, बाद में एक प्रेस वार्ता में कहा कि एक अन्तरराष्ट्रीय सन्धि के इस प्रस्ताव के पीछे मक़सद दरअसल – कोविड-19 द्वारा उजागर की गई ख़ामियों का व्यवस्थागत रूप में मुक़ाबला करना है.

उन्होंने कहा कि महामारी ने मानवता का सर्वश्रेष्ठ और सबसे बुरा – रूप उजागर किया है.

उन्होंने दुनिया भर में दैनिक स्तर पर, स्वास्थ्यकर्मियों और समुदायों के साहसिक कारनामों का ज़िक्र किया. मगर, इस महामारी ने साथ ही, समाजों में व्याप्त विषमताओं, भूराजनैतिक ग़लतियों और सार्वजनिक संस्थानों में कमज़ोर होते भरोसे को भी सामने ला दिया है.

“हमारे समाजों, अर्थव्यवस्थाओं और स्वास्थ्य पर, विशेष रूप में निर्धनों और कमज़ोर हालात में रहने वाले लोगों पर, महामारी का असर बहुत ज़्यादा हुआ है.”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "हम अब उसी तरह अपनी चीज़ें नहीं कर सकते या उन्हीं रास्तों पर नहीं चलते रह सकते जो हम अभी तक करते रहे हैं और किसी भिन्न परिणाम की अपेक्षा करें, बल्कि... हमें साहसिक बनना होगा.”

उन्होंने प्रस्तावित सन्धि के बारे में और ज़्यादा जानकारी देते हुए बताया कि इस सन्धि से अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों (IHR) को लागू करने में मज़बूती मिलेगी, साथ ही, इससे अन्तरराष्ट्रीय सहयोग और एकजुटता के लिये एक ढाँचा भी उपलब्ध होगा.

इस सन्धि के ज़रिये, महामारियों और अन्य स्वास्थ्य आपदाओं से निपटने के लिये सहनक्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी.

इसके तहत, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तरों पर, तैयारी व्यवस्थाएँ बनाई जाएँगी जिनमें, महामारी का मुक़ाबला करने के लिये, सही समय पर, सही कार्रवाई करने वाले उपायों की उपलब्धता सभी के लिये सुनिश्चित की जा सकेगी. 

इनमें वैक्सीन, टिकाऊ वित्तीय सहायता और महामारियों की रोकथाम, जाँच, और फैलाव का मुक़ाबला करना व आपसी भरोसे को बढ़ावा देना शामिल होगा.

फ़ैसला देश करेंगे

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि ऐसी किसी भी सन्धि के बारे में, अन्तिम फ़ैसला सदस्य देश ही करेंगे.

उन्होंने कहा, “इस तरह की कोई सन्धि कैसे तैयार की जाएगी और उसका रूप क्या होगा, और उसे किस तरह मंज़ूरी मिलेगी, इस बारे में अन्ततः सदस्य देश ही निर्णय लेंगे – दुनिया के राष्ट्र.”

“हमें, अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिये एक अच्छी विरासत छोड़नी होगी: सभी के लिये ज़्यादा सुरक्षित दुनिया.”