महामारी के बाद, न्यायसंगत, हरित और स्वस्थ भविष्य में, नगरों की अहम भूमिका
महामारियों और नगरों पर, यूएन पर्यावास (UN Habitat) की एक नई रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि नगरीय क्षेत्र सबसे ज़्यादा प्रभावित रहे हैं, किस तरह ये क्षेत्र, भविष्य में होने वाली बीमारियों या महामारियों के प्रभावों को कम कर सकते हैं और ज़्यादा समान, स्वस्थ और पर्यावरण अनुकूल बन सकते हैं.
मंगलवार को जारी, यूएन हैबीटैट की इस रिपोर्ट का नाम है - ‘Cities and Pandemics: Towards a more just, green and healthy future’.
इस रिपोर्ट में, बताया गया है कि किस तरह, नगरीय क्षेत्र, कोविड-19 महामारी के अग्रिम मोर्चे पर रहे हैं.
यूएन हैबीटैट की कार्यकारी निदेशिका मायमूनाह मोहम्मद शरीफ़ ने कहा, “महामारी शुरू होने के शुरुआती महीनों में, संक्रमण के 95 प्रतिशत मामले, नगरीय इलाक़ों में दर्ज किये गए थे.”
नगर - अग्रिम मोर्चे पर
मायमूनाह मोहम्मद शरीफ़ ने कहा, “महामारी के पूरे दौर में, कोविड-19 के फैलाव को निर्णायक तेज़ी से रोकने और तेज़ी से कार्रवाई करने व प्रभावशाली रोकथाम की ज़िम्मेदारी, स्थानीय सरकारों और समुदायों के कन्धों पर रही है.”
इन दबावों के बावजूद, स्थानीय सरकारों और समुदायों के बहुत से नेतृत्व कर्ताओं ने महामारी की रोकथाम करने, और उसके प्रभावों को कम करने के लिये, बहुत तेज़ी और असरदार तरीक़े से कार्रवाई की.
यूएन हैबीटैट की इस रिपोर्ट में, एक हज़ार 700 नगरों से प्रमाण एकत्र करने के आधार पर, टिकाऊ पनर्बहाली के लिये कुछ विशिष्ट क़दम उठाए जाने की सिफ़ारिश की गई है.
जीवन-मृत्यु विषमताएँ
रिपोर्ट में पाया गया है कि बुनियादी सेवाओं तक पहुँच के अभाव, ग़रीबी और भीड़ भरे स्थानों पर रहने के कारण, उत्पन्न हुआ विषमताओं का सिलसिला, कोविड-19 महामारी के असर व स्तर को बढ़ाने में, प्रमुख अस्थिरता कारक रहे हैं.
यूएन हैबीटैट में ज्ञान व नवाचार विभाग के मुखिया एडुअर्डो मॉरेनो का कहना है कि महामारी के कारण, दुनिया भर में, लगभग 12 करोड़ लोग, ग़रीबी के गर्त में धँस जाएँगे और जीवन जीने के मानक स्तर में, 23 प्रतिशत की कमी होगी.
उन्होंने कहा, “निष्कर्ष ये है कि आय बहुत मायने रखती है.”
रिपोर्ट के अनुसार, नगरीय नेतृत्व कर्ताओं और नियोजकों को इस बारे में अवश्य सोचना होगा कि लोग नगरों के भीतर और उनसे होकर किस तरह गुज़रते हैं, और इसमें, कोविड-19 से पिछले वर्ष के सबकों से सीखना होगा.