सीरिया: ‘मृत्यु, विनाश, विस्थापन, बीमारी, क्रूरता और निराशा’ का दशक

संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन राहत समन्वयक ने सुरक्षा परिषद को बताया है कि यह वक़्त, सीरिया के लिये मानवीय सहायता में कमी करने का नहीं है. देश में, 10 साल के संघर्ष व भीषण तबाही के बाद, भविष्य में हालात अधिक "नाटकीय और व्यापक" रूप से बदतर होने से बचाने के लिये, अधिक योगदान की आवश्यकता है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादी मामलों के प्रमुख मार्क लोकॉक ने सोमवार को सुरक्षा परिषद को बताया कि सीरिया के लोगों को, "मृत्यु, विनाश, विस्थापन, बीमारी, क्रूरता और निराशा" के एक दशक के बाद भी, "कोई राहत दिखाई नहीं दे रही."
उन्होंने कहा, वास्तव में "ज़रूरतें पहले से ज्यादा हैं. हमारा अनुमान है कि सीरिया के सभी हिस्सों में एक करोड़ 34 लाख लोगों को, मानवीय सहायता की आवश्यकता है" - यानि पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक.
संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के संयोजक मार्क लोकॉक ने, देश की मानवीय स्थिति की ध्यान आकर्षित करते हुए, अल होल शरणार्थी शिविर में हवाई हमले और असहनीय स्तर के ख़तरे की बात की, जिससे संयुक्त राष्ट्र की संचालन क्षमता प्रभावित हो रही है.
उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि इस वर्ष 41 निवासियों की हत्या कर दी गई, इस इलाक़े में लगभग 40 हज़ार विदेशी और सीरियाई बच्चे रहते हैं - जिनमें से 30 हज़ार से अधिक 12 साल से कम उम्र के हैं.
For millions of war-weary Syrian children, hope is all they have.I have just told members of the @UN Security Council to not only keep their hope alive but match it with the solutions and support they need — and the lasting peace they deserve. Here are my full remarks.
unicefchief
मार्क लोकॉक ने कहा, "यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है कि वे इस असुरक्षित वातावरण में रहते हैं."
उन्होंने देशों से "अपने नागरिकों को अपने यहाँ वापस ले जाने" का आग्रह किया. इनमें अनेक लोग दाएश यानि आइसिस के पूर्व आतंकवादी लड़ाकों के परिवारों हैं, और अनेक देशों ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों की दलीलों के बावजूद, अपने नागरिकों को वापस लेने से इनकार कर दिया है,
उनका तर्क है कि उनपर स्थानीय स्तर पर मुक़दमा चलना चाहिये.
संयुक्त राष्ट्र राहत प्रमुख ने कहा कि वहाँ "एक बड़ा सुरक्षा अभियान" चल रहा था, जिससे बहुत सी मानवीय सेवाएँ ठप हो गई हैं.
रविवार को कुर्द नेतृत्व वाली सेना ने कथित तौर पर कुछ गिरफ़्तारियाँ की हैं, जिनका उद्देश्य, शिविर के अन्दर शरण ले रहे दाएश समर्थकों का सफ़ाया करना है.
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा, "सुरक्षा इस तरह की जानी चाहिये जो निवासियों को ख़तरे में न डाले या उनके अधिकारों का उल्लंघन न करे, और जो मानवीय सहायता पहुँच को प्रतिबन्धित या बाधित न करे."
उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि पश्चिमोत्तर सीरिया में, क़रीब 40 लाख की आबादी में से, लगभग 75 प्रतिशत लोग अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिये, राहत सामग्री पर निर्भर हैं, और हर महीने, लगभग 85 प्रतिशत लोगों तक सीमा पार से सहायता पहुँचाई जाती है.
उन्होंने इदलिब के महिला संगठन का एक पत्र साझा किया जिसमें कहा गया था: "महिलाएँ, माताएँ और अपने परिवारों के लिये ज़िम्मेदार होने के नाते, हम सीमा पार से होने वाले समाधान को रोके जाने के ख़िलाफ़ हैं. हम नहीं चाहते कि हमारे बच्चे भूख से तड़पें.”
मार्क लोकॉक ने कुपोषण के संकट से निपटने के लिये, सीमा पार से अधिक सहायता मुहैया कराने की वकालत की.
उन्होंने, साथ ही, पूर्वोत्तर की स्थिति का ज़िक्र करते हुए स्वीकार किया कि वहाँ मानवीय सहायता बढ़ाई गई है, लेकिन "समस्या के समाधान के लिये अब भी हमारी क्षमता और ज़्यादा बढ़ाने की आवश्यकता" है.
संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमारा अनुमान है कि सरकार के नियंत्रण से बाहर पूर्वोत्तर सीरिया के क्षेत्रों में, 18 लाख लोगों को सहायता की आवश्यकता है," जिनमें से 70 प्रतिशत आबादी की ज़रूरतें बेहद गम्भीर हैं. ॉ
उन्होंने ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा अपर्याप्त है और चिकित्सा आपूर्ति में ख़तरनाक रूप से कमी है.
वर्तमान में, संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता अभियान के तहत, हर महीने देश भर में लगभग 77 लाख लोगों तक सहायता पहुँचाता है - पिछले साल की तुलना में, यह वृद्धि उल्लेखनीय है और बिगड़ती स्थिति को दर्शाती है.
संयुक्त राष्ट्र, मंगलवार को, सीरिया और पड़ोसी देशों के संकट से सम्बन्धित ब्रसेल्स सम्मेलन की सह-मेज़बानी कर रहा है.
ऐसे में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के समन्वित मानवीय संगठनों को, देश के अन्दर एक करोड़ 23 लाख सीरियाई लोगों तक सहायता पहुँचाने के लिये, लगभग चार अरब 20 करोड़ डॉलर और सीरियाई शरणार्थियों को शरण देने वाले देशों को पाँच अरब 80 करोड़ डॉलर के वित्त-पोषण की ज़रूरत हैं.
राहत समन्वयक ने निष्कर्ष के रूप में कहा, "सहायता देने और लाखों नागरिकों के लिये स्थिति अधिक बदतर होने से रोकने की हमारी क्षमता, इस परिषद का प्रतिनिधित्व करने वाले देशों सहित, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की राजनैतिक इच्छाशक्ति और वित्तीय उदारता पर निर्भर करेगी."
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) की प्रमुख, हैनरिएटा फ़ोर ने कहा है कि सीरिया के इतिहास के सबसे ख़राब आर्थिक संकट में, मानवीय क़ानून की खुलकर धज्जियाँ उड़ाई गई हैं.
उन्होंने, नष्ट किए गए घरों, अस्पतालों, स्कूलों और जल प्रणालियों की धूमिल तस्वीर पेश करते हुए कहा कि जब से लड़ाई शुरू हुई है, हिंसा में "12 हज़ार बच्चे हताहत हुए हैं.”
उन्होंने कहा, यह स्थिति "एक समय सुन्दर रहे इस देश के लिये त्रासदी पर त्रासदी" को दर्शाती है, जिसे आज पहचानना भी मुश्किल हो गया है. साथ ही, बच्चों की एक पीढ़ी बड़ी हो रही है, जो युद्ध के अलावा कुछ भी नहीं जानती.”
"सीरिया में, लगभग 90 प्रतिशत बच्चों को अब मानवीय सहायता की आवश्यकता है."
हैनरिएटा फ़ोर ने ब्रसेल्स सम्मेलन को प्रमुख क्षेत्रों में "वैश्विक समर्थन को नवीनीकृत करने" और बेइन्तहा ज़रूरतों के मद्देनज़र, पश्चिमोत्तर सीरिया में वित्त-पोषण की खाई को तत्काल पाटने के एक अवसर के रूप में देखने का आग्रह किया.
उन्होंने सुरक्षा परिषद का आहवान करते हुए कहा, "ज़रूरतें कई गुना बढ़ रही हैं. सीमा पार से सहायता रूपी समाधान को नवीनीकृत करें और सीमाओं के पार से संचालन के ज़रिये, बच्चों तक सहायता पहुँचाने के लिये समझौते करें.”
संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि "सभी दल, बच्चों पर हमले तुरन्त बन्द करें", महत्वपूर्ण सेवाओं की रक्षा और पूर्वोत्तर में बच्चों को "सुरक्षित, स्वैच्छिक और गरिमापूर्ण तरीक़े से वापस भेजने" के लिये यूनीसेफ़ के आहवान का समर्थन करें.
यूनीसेफ़ के प्रमुख ने कहा, “लाखों युद्धग्रस्त सीरियाई बच्चों के लिये केवल उम्मीद ही बाक़ी है. हम इस परिषद का आहवान करते हैं कि वो न केवल उनकी उम्मीद को जीवित रखें बल्कि उन्हें वो समाधान और समर्थन दें, जिनकी उन्हें आवश्यकता है - और जिस स्थाई शान्ति के वे हक़दार हैं.”
अमेरिका के विदेश मन्त्री, एंटनी ब्लिन्केन ने कहा है कि बन्द सीमा चौकियों को ध्यान में रखते हुए और एकमात्र मौजूदा सहायता मार्ग को दोबारा अधिकृत करने के लिये, सुरक्षा परिषद के सामने आनी वाली अन्य जटिल चुनौतियों की तुलना में, "यह कुछ भी नहीं है."
उन्होंने कहा कि वहाँ के लोगों का जीवन, "हमारी तत्कालिक सहायता” पर निर्भर करता है. हमें उन तक मदद पहुँचाने के लिये अपनी पूरी ताक़त लगानी होगी, जिससे रास्ते बन्द न हों, बल्कि खुल सकें."
उन्होंने कहा, "जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 में उल्लिखित है, इस समस्या का एकमात्र दीर्घकालिक समाधान, राजनैतिक समझौते और संघर्ष के स्थाई हल से ही सम्भव है.