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लैंगिक समानता, 'इस सदी का अधूरा मानवाधिकार संघर्ष' - यूएन प्रमुख

ब्राज़ील में एक महिला, ज़्यादा समान दुनिया के लिये अपनी इच्छा का प्रदर्शन करते हुए.
World Bank/Romel Simon
ब्राज़ील में एक महिला, ज़्यादा समान दुनिया के लिये अपनी इच्छा का प्रदर्शन करते हुए.

लैंगिक समानता, 'इस सदी का अधूरा मानवाधिकार संघर्ष' - यूएन प्रमुख

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को, पीढ़ी समानता फ़ोरम (Generation Equality Forum) में कहा कि महिलाओं के लिये समान अधिकार प्राप्ति का कार्य – “सदी का ऐसा मानवाधिकार संघर्ष है जो अभी अधूरा है”. ये फ़ोरम, मैक्सिको सिटी में सोमवार को शुरू हुआ.

यूएन प्रमुख ने अलबत्ता, हाल के दशकों में हासिल की गईं कुछ प्रमुख उपलब्धियों का संज्ञान लिया, मगर ज़ोर देकर कहा कि प्रगति कुछ धीमी रही है.

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उन्होंने कहा कि इस दौरान, प्रतिगामी क़ानून फिर से लौट आए हैं, महिलाओं और लड़कियों को निशाना बनाने वाली हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है, और कोविड-19 महामारी के भूकम्प समान झटकों ने, बहुत सी उपलब्धियों को बेकार कर दिया है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने स्पैनिश भाषा में बोलते हुए कहा, “अब समय है कि हम सभी फिर से एकजुट हों और अपनी ऊर्जा फिर से ताज़ा करें – ज़्यादा समान, ज़्यादा न्यायसंगत और ज़्यादा टिकाऊ विश्व बनाने के लिये, जहाँ तमाम लोग, किसी भेदभाव और डर के बिना, अपने मानवाधिकारों का आनन्द उठा सकें.”

बदलाव की बयार

लैंगिक समानता पर वैश्विक संकल्पों को आगे बढ़ाने के प्रयासों में, पीढ़ी समानता फ़ोरम में, देशों की सरकारों, अन्तरराष्ट्रीय संगठनों, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों और युव जन ने शिरकत की है.

इस फ़ोरम का आयोजन लैंगिक सशक्तिकरण पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था – यूएन वीमैन ने किया, और इसके सह आयोजक – मैक्सिको और फ्रांस हैं.

प्रारम्भिक तीन दिन का विचार-विमर्श मैक्सिको की राजधानी मैक्सिको सिटी में चल रहा है और इस फ़ोरम का समापन, जून 2021 में, पेरिस में होगा.

यूएन महासचिव ने कहा, “जून में, पेरिस में पहुँचने से पहले, हम साहसिक संकल्प और ज़्यादा संसाधन निवेश, मेज़ पर देखना चाहते हैं, और लैंगिक समानता के लिये, एक बहु-हितधारी मज़बूत आन्दोलन भी.”

“हमारी आधी आबादी के समान अधिकारों को वास्तविक रूप देना, एक ऐसा कार्य है, जो इस सदी का अधूरा मानवाधिकार संघर्ष है.”

यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक फ़ूमज़िले म्लाम्बो न्ग्यूका की नज़र में, ये फ़ोरम, दुनिया में, वास्तविक बदलाव लाने का एक मौक़ा मुहैया कराता है.

उन्होंने कहा, “हम, अतीत की भूलों पर बार-बार नज़र घुमाने के बजाय, इस संकट से भी आगे, भविष्य की ओर देखना चाहते हैं."

"हम एक ऐसा महिला केन्द्रित आर्थिक मॉडल बनाने का मौक़ा चाहते हैं जो महिलाओं के हित में काम करे, और एक ऐसी दुनिया, जो महिलाओं के लिये महफ़ूज़ हो. ऐसा आर्थिक मॉडल, जो लोगों, व पृथ्वी ग्रह, दोनों की परवाह करे.” 

युवाओं के लिये रास्ता छोड़ें

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, देशों द्वारा कोविड-19 महामारी से उबरने के प्रयासों के बीच, ऐसे पाँच क्षेत्र रेखांकित किये हैं जिनमें कार्रवाई की जानी है.

शुरुआत महिलाओं के समान अधिकारों की हिफ़ाज़त करने और भेदभावपूर्ण क़ानूनों को समाप्त करने के साथ की जानी चाहिये.

उन्होंने समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये विशेष उपायों और आरक्षण का आहवान किया, और समान मेहनताना, रोज़गार संरक्षा व सामाजिक संरक्षण वाली नीतियों की ज़रूरत को भी रेखांकित किया.

एंतोनियो गुटेरेश ने देशों की सरकारों से आग्रह किया कि वो महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा की रोकथाम के लिये तुरन्त आपदा उपाय लागू करें. स्वास्थ्य महामार के दौरान, इस हिंसा में बढ़ोत्तरी देखी गई है. 

महासचिव का अन्तिम बिन्दु – भविष्य के लिये उम्मीद की डोर थामे रहने पर केन्द्रित था.

उन्होंने कहा, “मौजूदा अन्तरराष्ट्रीय बदलाव की बयार के लिये, और उन युवाओं के लिये स्थान व रास्ता छोड़ें, जो एक ज़्यादा न्यायसंगत और समान दुनिया की हिमायत में प्रयासरत हैं.”