म्याँमार: सैन्य बलों की दमनात्मक कार्रवाई की कठोरतम शब्दों में निन्दा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार को, म्याँमार में विरोध प्रदर्शनों के दौरान बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की कड़ी निन्दा की है. सुरक्षा बलों की कार्रवाई में बच्चों व युवाओं सहित अनेक आम नागरिकों के मारे जाने की ख़बर है, और फ़रवरी में सैन्य तख़्ता पलट के बाद यह अब तक का सबसे रक्तरंजित दिन साबित हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने महासचिव गुटेरेश की ओर से एक बयान जारी करके कहा कि म्याँमार में सेना की दमनात्मक कार्रवाई अस्वीकार्य है.
I am deeply shocked by the killing of dozens of civilians, including children & young people, by security forces in Myanmar today.The continuing military crackdown is unacceptable and demands a firm, unified & resolute international response. https://t.co/qtnQaH5jvN
antonioguterres
उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मौजूदा हालात में एक ठोस, एकजुट और दृढ़ अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है.
म्याँमार की सेना हर वर्ष 27 मार्च को ‘सैन्य बल दिवस’ मनाती है और इस वर्ष राजधानी में एक परेड का आयोजन किया गया.
लेकिन शनिवार को इन्हीं कार्यक्रमों के बीच, सैनिकों व पुलिस ने, सैन्य तख़्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की है.
सुरक्षा बलों की कार्रवाई में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं, जोकि पिछले महीने शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद अब तक की सबसे बड़ी संख्या बताई गई है.
म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर यूएन के स्वतन्त्र विशेषज्ञ टॉम एण्ड्रयूज़ ने कहा, “सेना ने सैन्य बल दिवस पर उत्सव, उन लोगों की सामूहिक हत्या करके मनाया, जिनकी उसे रक्षा करनी चाहिये.”
उन्होंने कहा कि सविनय अवज्ञा आन्दोलन, शान्ति के शक्तिशाली हथियार से जवाब दे रहा है.
विशेष रैपोर्टेयर ने साथ ही आगाह किया कि दुनिया को म्याँमार की जनता के लिये समुचित जवाब देना होगा.
ग़ौरतलब है कि एक फ़रवरी को सेना द्वारा तख़्तापलट करके सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लेने के बाद, देश भर में, विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़े हैं.
उस तख़्तापलट के दौरान, सेना ने अनेक राजनैतिक हस्तियों को गिरफ़्तार भी किया था जिनमें स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची और राष्ट्रपति विन म्यिन्त भी शामिल हैं.
शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों पर बल प्रयोग व दमन लगातार भीषण होता गया है, और बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई हैं, सैकड़ों अन्य घायल भी हुए हैं.
फ़रवरी में तख़्तापलट के बाद से, ढाई हज़ार से ज़्यादा लोग गिरफ़्तार भी किये गए हैं, जिनमें सैकड़ों बच्चे भी हैं.
ख़बरों के अनुसार, सुरक्षा बलों ने करफ़्यू सहित अन्य पाबन्दियाँ लगाने के अलावा, प्रदर्शनकारियों पर क़ाबू पाने के लिये पानी की तेज़ बौछारों, रबर की गोलियों, और कारतूसों का इस्तेमाल किया है.
महासचिव ने ध्यान दिलाया है कि इस संकट का तत्काल समाधान ढूंढा जाना बेहद अहम है.
उन्होंने अपनी अपील दोहराते हुए कहा कि सेना को हिंसा व दमन से दूर रहना होगा, और म्याँमार में मानवाधिकारों के गम्भीर हनन के लिये ज़िम्मेदार लोगो की जवाबदेही तय की जानी होगी.