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कोविड-19: वैक्सीन में असमानता की खाई, हर दिन हो रही है गहरी और चौड़ी

12 मार्च को, जॉर्डन में, कोवैक्स कार्यक्रम के तहत, कोविड-19 वैक्सीन की एक लाख 44 हज़ार खुराकों का बेड़ा पहुँचा.
WHO
12 मार्च को, जॉर्डन में, कोवैक्स कार्यक्रम के तहत, कोविड-19 वैक्सीन की एक लाख 44 हज़ार खुराकों का बेड़ा पहुँचा.

कोविड-19: वैक्सीन में असमानता की खाई, हर दिन हो रही है गहरी और चौड़ी

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुखिया ने कहा है कि कोविड-19 की वैक्सीन, धनी देशों में जितनी ज़्यादा संख्या में लोगों को दी जा रही है, और कोवैक्स के तहत जिन देशों को ये वैक्सीन दी जा रही, उनके बीच का बढ़ता अन्तर, हर दिन अब बहुत विचित्र होता जा रहा है.

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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को, जिनीवा में पत्रकारों से नियमित वार्ता के दौरान कहा, “जनवरी में, मैंने कहा था कि अगर, वैक्सीन के समतापूर्ण वितरण व उपलब्धता के लिये, तुरन्त उपाय नहीं किये जाते हैं, तो दुनिया एक विनाशकारी नैतिक नाकामी के कगार पर पहुँच रही है.”

“हमारे पास, इस नाकामी से बचने के साधन मौजूद हैं, लेकिन ये देखना कितना पीड़ादायक है कि इस बारे कितने कम प्रयास किये गए हैं.”

उन्होंने कहा, “विश्व स्वास्थ्य संगठन, वैक्सीन का समान वितरण सुनिश्चित करने के वास्ते, इसका उत्पादन बढ़ाने की ख़ातिर समाधान तलाश करने के लिये, दिन-रात काम कर रहा है.”

सुरक्षा का झूठा अहसास

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि एक तरफ़ तो कुछ देश, अपनी पूरी आबादी को वैक्सीन मुहैया करा रहे हैं, दूसरी तरफ़, बहुत से ऐसे देश हैं जिनके पास वैक्सीन की कोई आपूर्ति ही नहीं है.

उन्होंने कहा, “वैक्सीन का असमान वितरण ना केवल एक नैतिक क्रूरता है, बल्कि यह स्थिति आर्थिक और महामारी विज्ञान के नज़रिये से भी विनाशकारी है."

“कुछ देशों में तो, कम जोखिम वाली आबादी, युवा लोगों को भी वैक्सीन दी जा रही है, जबकि अन्य देशों में स्वास्थ्यकर्मी, बुज़ुर्ग आबादी और जोखिम का सामना कर रहे अन्य समूह भी वैक्सीन से वंचित हैं.”

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि ज़्यादा संक्रमण फैलने का अर्थ है कि वायरस के ज़्यादा रूप फैलेंगे, ऐसे में वैक्सीन के टीकाकरण में इतनी बड़ी खाई होने के कारण, सुरक्षा का झूठा अहसास है, क्योंकि इस वायरस के जितने ज़्यादा रूप उभरेंगे, उतनी ही ज़्यादा सम्भावना है कि वो वैक्सीन से बच जाएंगे.

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा, “जब तक किसी भी स्थान पर ये वारयस फैलना जारी रखेगा, तब तक लोगों की मौत होती रहेगी, व्यापार और यात्राओं में व्यवधान जारी रहेगा, और आर्थिक पुनर्बहाली में और भी देरी होगी.”

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि वायरस के बारे में यह जानकारी बहुत अहम है कि वो कहाँ और किस तरह से विकसित हो रहा है, मगर ये जानकारी तब तक सीमित उपयोगी है जब तक कि सभी देश, इसके संक्रमण पर क़ाबू पाने के लिये, एक साथ मिलकर काम नहीं करते – सभी स्थानों पर, एक साथ, एक ही समय.

उन्होंने कहा, “अगर देश, सही कारणों से, वैक्सीन दूसरों के साथ साझा नहीं कर रहे, तो हम उनसे, स्वहित में ही ऐसा करने की अपील करते हैं.”