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कोविड-19: वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी क्षति, मगर अपेक्षा से कम असर

किसी बन्दरगाह पर, परिवहन बक्से, जिनमें लादकर, जहाज़ों के ज़रिये सामान पहुँचाया जाता है.
UNCTAD/Jan Hoffmann
किसी बन्दरगाह पर, परिवहन बक्से, जिनमें लादकर, जहाज़ों के ज़रिये सामान पहुँचाया जाता है.

कोविड-19: वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी क्षति, मगर अपेक्षा से कम असर

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र के व्यापार और विकास संगठन – UNCTAD ने कहा है कि कोविड-19 महामारी ने वर्ष 2020 के दौरान, दुनिया भर में तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिसमें ट्रिलियनों डॉलर के बराबर आय का नुक़सान हुआ. संगठन ने गुरूवार को हालाँकि ये भी बताया है कि कुछ देशों ने, किस तरह अनपेक्षित सहनक्षमता दिखाई है.

यूएन व्यापार और विकास संगठन के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में, सबसे ज़्यादा तीव्र वार्षिक गिरावट दर्ज की गई, जोकि 1940 में रिकॉर्ड शुरू किये जाने के बाद से, सबसे ज़्यादा थी. और कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रहा.

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संगठन में, वैश्वीकरण और विकास रणनीतियों के विभाग के अध्यक्ष रिचर्ड कोज़ूल-राइट का कहना है कि बहुपक्षवाद ने, दरअसल एक ऐसे वर्ष में, अपना चमत्कार खो दिया है, जिस दौरान वैश्विक उत्पादन में अनुमानतः 3.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.

हालाँकि ये 2020 के मध्य में की गई भविष्यवाणी से, 0.4 प्रतिशत बेहतर था. 

ऐसा, चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्थाओं के मज़बूत प्रदर्शन की बदौलत हो सका.

निर्धनतम को ‘कमज़ोर’ सहारा

संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्री ने जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जी20 समूह की अग्रिम अर्थव्यवस्थाओं वाल देशों द्वारा, निर्धन देशों को, क़र्ज़ वसूली में दी जाने वाली अपेक्षित राहत “अत्यन्त कमज़ोर” रही है.

वो भी ऐसे समय में जब, विकासशील देशों को, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश खो जाने का डर रहा, जबकि इस निवेश की सख़्त ज़रूरत थी.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वैक्सीन का समान वितरण सुनिश्चित करने के प्रयासों ने भी, वैश्विक स्वास्थ्य ढाँचे में, गम्भीर कमज़ोरियाँ उजागर की हैं.

संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस संकट के पहले साल में, आमदनी में असाधारण रफ़्तार से गिरावट देखी गई है जोकि लगभग 5.8 ट्रिलियन डॉलर थी. इसमें भी, बेहद कमज़ोर हालात वाली आबादी पर, इसका सबसे भीषण प्रभाव पड़ा है.

अंकटाड ने अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के आँकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि कोरोनावायरस संकट ने, दुनिया भर में, आमदनी वाले लगभग साढ़े 25 करोड़ रोज़गारों का नुक़सान किया है.

दूसरी लहर का असर

संगठन ने कहा है कि वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में, देशों ने जैसे-जैसे पाबन्दियों में ढिलाई देना शूरू किया तो, वैश्विक आर्थिक पुनर्बहाली शुरू हो गई थी.

मगर वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर ने, वर्ष 2020 की अन्तिम तिमाही में, अपेक्षा से पहले ही, अपना क़हर मचाना शुरू कर दिया, जिसने पुनर्बहाली में व्यवधान डाल दिया.

ये प्रभाव, मुख्य रूप से, पश्चिमी योरोप में ज़्यादा देखा गया.

लातीनी अमेरिकी सहनक्षमता

अंकटाड के आँकड़े दिखाते हैं कि क्षेत्रीय स्तर पर पूर्वी एशिया और लातीनी अमेरिकी क्षेत्रों ने, अपेक्षा से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया.

इसमें ब्राज़ील की प्रगति का बड़ा हिस्सा है, मगर योरोप, भारत और दक्षिण अफ़्रीका में हालात बहुत ख़राब रहे. 

सकारात्मक परिणाम देने वालों में ब्राज़ील, तुर्की और अमेरिका रहे, जहाँ बड़े पैमाने पर राहत पैकेजों की घोषणा की गई, जिन्होंने मन्दी को रोकने में मदद की, और उपभोग वस्तुओं व सम्पदाओं की क़ीमतों में उठान देखा गया.

संगठन का कहना है कि कच्ची सामग्रियों की क़ीमतों ने, अनेक अफ़्रीकी विकासशाल देशों को लाभ पहुँचाया. साथ ही, इस क्षेत्र में, कोविड-19 के कारण, स्वास्थ्य प्रणालियों पर, अपेक्षा से कहीं कम असर देखा गया है.