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म्याँमार: प्रदर्शनकारियों पर हिंसा में तेज़ी, मानवाधिकार कार्यालय ‘बेहद व्यथित’

म्याँमार के व्यावसायिक शहर व पूर्व राजधानी, यंगून का एक दृश्य
UN News/Nyi Teza
म्याँमार के व्यावसायिक शहर व पूर्व राजधानी, यंगून का एक दृश्य

म्याँमार: प्रदर्शनकारियों पर हिंसा में तेज़ी, मानवाधिकार कार्यालय ‘बेहद व्यथित’

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने म्याँमार में शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध दमनात्मक कार्रवाई पर गहरा क्षोभ प्रकट किया है. यूएन कार्यालय के अनुसार सड़कों पर मृतकों का आँकड़ा बढ़ना, घातक बल का आक्रामक इस्तेमाल किया जाना, और लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लेने के बाद यातना दिये जाने की ख़बरें, चिन्ता का कारण हैं.

सोमवार को कम से कम 11 लोगों की मौत होने की ख़बर है, जबकि गत सप्ताहान्त के दौरान 57 लोग मारे गए थे.

फ़रवरी में विरोध-प्रदर्शनों की शुरुआत से, ये कुछ सबसे रक्तरंजित दिन साबित हुए हैं.

बताया गया है कि मृतकों में वो एक समूह भी शामिल है, जो यंगून की हलायंग थरयार बस्ती में सुरक्षा बलों की हिंसक कार्रवाई का शिकार हुआ.

यूएन कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने बताया कि कुछ अज्ञात तत्वों ने चीनी निवेशकों द्वारा संचालित या उनके आंशिक स्वामित्व वाली फ़ैक्ट्रियों में आगजनी की थी जिसके बाद ये कार्रवाई हुई.

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उन्होंने कहा कि अन्य घटनाओं में लोगों के मारे जाने की भी ख़बरें मिली हैं, लेकिन संचार माध्यमों पर लगी रोक और मार्शल लॉ के कारण ऐसी घटनाओं की पुष्टि कर पाना मुश्किल साबित हो रहा है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने 1 फ़रवरी से अब तक, घातक बल के ग़ैरक़ानूनी इस्तेमाल के परिणामस्वरूप, 149 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है.

इसी वर्ष, एक फ़रवरी को, म्याँमार की सेना ने सत्ता पर क़ब्ज़ा जमाते हुए देश के शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया था.

यूएन कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने बताया कि देश भर में गिरफ़्तारियाँ और लोगों को हिरासत में लिया जाना जारी है.

अब तक दो हज़ार से ज़्यादा लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया जा चुका है. इसके अलावा, हाल के दिनों में हिरासत में रखे जाने के दौरान पाँच लोगों की मौत हुई हैं.

इनमें से कम से कम, दो पीड़ितों के शवों पर यातना और शारीरिक दुर्व्यवहार के निशान पाए गए थे.

उन्होंने कहा कि दमनात्मक कार्रवाई का और तेज़ होना, व्यथित कर देने वाला है.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने सेना से कहा है कि प्रदर्शनकारियो को मारने और हिरासत में लिये जाने की कार्रवाई को रोका जाना होगा.

भोजन और ईंधन की क़ीमते बढ़ीं

इस बीच, देश में भोजन और ईंधन के दाम बढ़ रहे हैं, जिससे म्याँमार के निर्धनतम और सबसे निर्बल समुदायों पर ख़तरा मंडरा रहा है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आपूर्ति श्रृंखलाओं (सप्लाई चेन) और बाज़ारों पर मौजूदा राजनैतिक संकट का असर पड़ने लगा है.

यूएन एजेंसी के अनुसार, चावल की क़ीमतों में, देश भर के बाज़ारों में औसतन तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई है. लेकिन कुछ इलाक़ों में क़ीमतें, मध्य जनवरी से मध्य फ़रवरी तक 20 से 35 फ़ीसदी तक बढ़ी हैं.

यूएन एजेंसी के म्याँमार में देशीय निदेशक स्टीफ़न एण्डरसन ने बताया कि "शुरुआती संकेत परेशान कर देने वाले हैं, विशेष रूप से सबसे निर्बल लोगों के लिये, जो पहले से ही मुश्किल से गुज़र-बसर कर रहे थे."

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के साथ, अगर क़ीमतों में ये रुझान जारी रहे तो इससे, देश के निर्धनतम व निर्बल वर्गों को, अपने परिवार के लिये पर्याप्त भोजन का इन्तज़ाम कर पाना कठिन होगा.

जनवरी व फ़रवरी में, अन्य आवश्यक वस्तुओं, जैसेकि ताड़ के तेल के दाम में, यंगून के आस-पास के इलाक़ों में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.

राख़ीन प्रान्त में, खाना पकाने के लिये तेल की क़ीमतों में 11 से 27 प्रतिशत तक और दालों की क़ीमतों 15 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

बैंकिंग सैक्टर की मुश्किलें

यूएन एजेंसी के मुताबिक बैंकिंग सैक्टर की कठिनाइयों, धन-प्रेषण की रफ़्तार धीमी होने और नक़दी की उपलब्धता पर व्यापक असर पड़ने से, भोजन व ईंधन की क़ीमतों में वृद्धि की समस्या और ज़्यादा गहरा गई हैं.

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने बताया है कि साढ़े तीन लाख से ज़्यादा लोगों तक जीवनदायी मासिक नक़दी सहायता व खाद्य सामग्री वितरण जारी रखने के लिये, आपातकालीन खाद्य भण्डारण की व्यवस्था की जा रही है.

यह मुख्यत: घरेलू विस्थापितों और शिविरों में रहने वाले लोगों के लिये होगा.

म्याँमार के शन प्रान्त में एक महिला अपने घर पर भोजन पकाने से पहले सब्ज़ियों को धोते हुए.
UNICEF/Kaung Htet
म्याँमार के शन प्रान्त में एक महिला अपने घर पर भोजन पकाने से पहले सब्ज़ियों को धोते हुए.

देशीय निदेशक स्टीफ़न एण्डरसन ने महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की उस अपील को दोहराया है जिसमें उन्होंने, हाल के चुनावों में म्याँमार की जनता द्वारा प्रदर्शित इच्छा का सम्मान किये जाने की बात कही है.

"WFP में हम अच्छी तरह जानते है कि जब शान्ति और सम्वाद को दरकिनार किया जाता है तो उसके बाद किस तरह भुखमरी फैल सकती है."

मानवीय राहत कार्यक्रमों के लिये चिन्ताएँ

म्याँमार में मानवीय राहत एजेंसियों ने बताया कि 1 फ़रवरी को सैन्य तख़्तापलट के बाद से ही राहत कार्यों में व्यवधान आया है.

इस वर्ष की शुरुआत में, म्याँमार में 10 लाख लोगों को ज़रूरतमन्दों के रूप में चिन्हित किया गया था – उन्हें अब भी सहायता चाहिये.

अहम कार्यक्रम फिर से शुरू करने के प्रयासों में संचार, परिवहन व आपूर्ति श्रंखला में आई मुश्किलों के कारण बाधाएँ खड़ी हो रही हैं. साथ ही राहत अभियान संचालित करने के लिये नक़दी की भी कमी है.

बताया गया है कि मौजूदा संकट का असर कोविड-19 के लिये परीक्षण क्षमता, टीकाकरण कार्यक्रमों और अन्य अहम सेवाओं पर भी पड़ सकता है.

इनमें सुरक्षित गर्भावस्था, जच्चा-बच्चा सेवाएँ शामिल हैं, जिनके निर्बल व वंचित समूहों के लिये ख़तरनाक दुष्परिणाम हो सकते हैं.