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यूएन महिला आयोग: पूर्ण लैंगिक समानता के लिये रोडमैप पर रहेगा ध्यान

निजेर में, संघर्ष के दौरान, महिला व युवा शान्ति निर्माताओं को सशक्त बनाने की बदौलत, किसान आधारित संघर्षों में काफ़ी कमी आई.
© PBF/Marie Doucey/2019
निजेर में, संघर्ष के दौरान, महिला व युवा शान्ति निर्माताओं को सशक्त बनाने की बदौलत, किसान आधारित संघर्षों में काफ़ी कमी आई.

यूएन महिला आयोग: पूर्ण लैंगिक समानता के लिये रोडमैप पर रहेगा ध्यान

महिलाएँ

महिलाओं की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र आयोग के 65वें सत्र का एक मुख्य ध्यान - दुनिया भर में पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने और निर्णय प्रक्रिया में, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये एक रौडमैप तैयार करने पर रहेगा. ये सत्र सोमवार को, न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शुरू हो रहा है.

इस आयोग के इतिहास में, ऐसा पहली बार होगा कि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के उपायों के कारण, इसके किसी सत्र का आयोजन पूरी तरह वर्चुअली होगा.

इस सत्र में, यूएन वीमैन संगठन भी अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करेगा, जोकि दुनिया भर में, लैंगिक समानता व महिलाधिकारों को बढ़ावा देने के लिये, संयुक्त राष्ट्र का अग्रणी संगठन है.

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ये संगठन, संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों, संगठनों और सिविल सोसायटी के साथ मिलकर काम करता है.

महिला नेतृत्व को मज़बूती

यूएन वीमैन ने इस वर्ष के महिला स्थिति आयोग के सत्र को, कोविड-19 से उबरने के प्रयासों के मद्देनज़र, समाजों में बदलाव लाने और महिलाओं के नेतृत्व को मज़बूत करने के, एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में परिभाषित किया है.

यूएन महिला एजेंसी ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर, महिलाओं के बढ़ी हुई भूमिका व प्रतिनिधित्व के बावजूद, दुनिया, सार्वजनिक जीवन में, लैंगिक समानता हासिल करने से अब भी बहुत दूर है, और इस स्थिति ने, महामारी के दौरान, हालात को और ज़्यादा ख़राब बना दिया है.

एजेंसी ने महिला स्थिति आयोग के 65वें सत्र के मौक़े पर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, “ये स्पष्ट है कि जब महिलाओं के अधिकारों, निर्णय प्रक्रिया और समाज में समान भागीदारी के मुद्दे पर बात करें, तो कोविड-19 महामारी ने चुनौतियाँ और भी बढ़ा दी हैं.”

 यूएन महिला संगठन का कहना है, ”ताज़ा आँकड़ों से उजागर होता है कि वैश्विक स्तर पर कोविड-19 से निपटने के लिये गठित कार्यदलों और प्रयासों में, निर्णय प्रक्रिया में लैंगिक समानता बहुत कम है, इसके बावजूद, जिन देशों में नेतृत्व महिलाओं के पास है, वहाँ महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयास विशेष रूप में, प्रभावशाली रहे हैं.” 

“जब ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएँ निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में शामिल होती हैं तो, ज़्यादा समावेशी निर्णय लिये जाते हैं, विविधता भरी आवाज़ें सुनी जाती हैं, और भिन्न समाधान निकाले जाते हैं.”

‘समानता पीढ़ी’ के लिये रास्ता

महिला स्थिति पर आयोग का 65वाँ सत्र 15 से 26 मार्च तक चलेगा. इसमें, सार्वजनिक जीवन में, पूर्ण लैंगिक समानता की स्थिति हासिल करने के लिये, एक वैश्विक रोडमैप तैयार करने पर ध्यान केन्द्रित होगा.

इस सत्र का आधिकारिक उदघाटन समारोह, यूएन महासभा हॉल में, सोमवार प्रातः शुरू होगा जिसमें कुछ प्रतिनिधि व यूएन पदाधिकारी निजी रूप में मौजूद रहेंगे. 

उसके बाद मन्त्रिस्तरीय गोलमेज़ चर्चा होगी जिसका आयोजन ऑनलाइन होगा. इस सत्र के दौरान, लगभग 100, सम्बन्धित कार्यक्रम भी प्रस्तावित हैं.

इस सत्र के बारे में और ज़्यादा जानकारी विशेष फ़ोकस पन्ने पर देखी जा सकती है.

यूएन वीमैन ने कहा कि इस वर्ष का यह आयोग सत्र, समानता पीढ़ी फ़ोरम के लिये एक महत्वपूर्ण पुल है, जोकि लैंगिक समानता के लिये एक वैश्विक जन-भागीदारी है. 

इस फ़ोरम का आयोजन यूएन वीमैन संगठन, फ्रांस व मैक्सिको सरकारों की मेज़बानी में कर रहा है. इसमें युवा और सिविल सोसायटी भी बड़े पैमाने पर शिरकत करेंगे.

इस फ़ोरम का उदघाटन सत्र, मैक्सिको सिटी में 29 - 31 मार्च को शुरू होगा और इसका समापन सत्र, पेरिस में 30 जून से 2 जुलाई को आयोजित होगा.