एशिया-प्रशान्त: प्रवासियों की अहम भूमिका की ओर ध्यान
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में, अर्थव्यवस्थाओं और समाजों में, प्रवासियों के योगदान को रेखांकित करते हुए, देशों का आहवान किया है कि उन्हें अपनी सीमाओं के भीतर रहने वाले प्रवासियों के लिये भी ये सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें भी कोरोनावायरस से निपटने के राष्ट्रीय कार्यक्रमों में जगह मिले.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के महानिदेशक एंतोनियो वितॉरीनो ने बुधवार को, प्रवासन पर संयुक्त राष्ट्र के एक क्षेत्रीय फ़ोरम को सम्बोधित करते हुए, कोरोनावायरस महामारी शुरू होने से पहले, उसके दौरान और उसका भीषण दौर गुज़र जाने के बाद के समय में, प्रवासियों की अहम भूमिका को रेखांकित किया.
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UNESCAP
उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य देखभाल से लेकर, बुनियादी ढाँचागत सेवाओं, खाद्य आपूर्ति श्रृंखलाओं से लेकर कृषि, और सामाजिक सेवाओं तक में, प्रवासियों ने, देश वासियों के साथ मिलकर चुनौतियों का सामना करने में अपनी भूमिका निभाई है और अपने मेज़बान समुदायों को भी अहम योगदान दिया है.
प्रवासियों ने, साथ ही अपने मूल स्थानों में भी अहम योगदान किया है.”
एशिया-प्रशान्त के लिये संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक आयोग (UNESCAP) की कार्यकारी सचिव अरमीडा सैलसियाह ऐलिस्जाहबाना ने इस मौक़े पर कहा कि वैश्विक संकट से उबरने के प्रयासों में, प्रवासियों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी.
उन्होंने कहा, “देशों के लिये, स्वास्थ्य संकट से उबरने के दीर्घकालीन उपायों में, प्रवासी जन महत्वपूर्ण रहेंगे, और ये ज़रूरी है कि समाजों में उनके योगदान को पहचान मिले और उसकी क़द्र की जाए.”
इन यूएन अधिकारियों ने सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमाधीन प्रवासन के लिये ग्लोबल कॉम्पैक्ट को एशिया-प्रशान्त में लागू करने के लिये कार्रवाई आगे बढ़ाने का आग्रह किया.
दुनिया भर में जितने प्रवासी हैं, उनका लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में है.
आयोग की कार्यकारी सचिव ने अरमीडा सैलसियाह ऐलिस्जाहबाना कहा, “अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन, विधि के शासन व न्यायसंगत प्रक्रिया से शासित होना चाहिये.”
उन्होंने देशों की सरकारों के बीच हर स्तर पर सहयोग करने, व ग्लोबल कॉम्पैक्ट और टिकाऊ विकास लक्ष्यों के बीच अन्तर को देखते हुए, 2030 टिकाऊ विकास एजेण्डा के कार्यान्वयन को मज़बूत किये जाने का भी आहवान किया.
वर्ष 2018 में अपनाया गया ग्लोबल कॉम्पैक्ट, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर प्रवासन के तमाम पहलुओं पर, एक साझा ढाँचा तैयार करने के लिये, सर्वसहमति से तैयार किया गया पहला फ़्रेमवर्क है.
इसमें 23 लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं जिनमें प्रवासियों के सामने पेश आने वाले जोखिमों को कम करना, समुदायों की वाजिब चिन्ताओं का हल निकालना, और ऐसे समरसतापूर्ण हालात उत्पन्न करना है जिनमें, तमाम प्रवासीजन, समाजों को समृद्ध बनाने में योगदान करने योग्य बन सकें.
क्षेत्रीय गतिशीलता में योगदान
अरमीडा सैलसियाह ऐलिस्जाहबाना ने अपनी टिप्पणी में, अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन को, क्षेत्र में, टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने वाले एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में रेखांकित किया.
आयोग के अनुसार, एशिया-प्रशान्त क्षेत्र में, तकरीबन साढ़े छह करोड़ अन्तरराष्ट्रीय प्रवासी रहते हैं, उनमें से लगभग 70 प्रतिशत प्रवासी जन, इसी क्षेत्र के देशों से निकले हैं.
वर्ष 2019 में, प्रवासियों द्वारा अपने मूल स्थानों को भेजी गई लगभग 33 करोड़ डॉलर की रक़म देशों को हासिल हुई थी.
ये, वैश्विक रक़म का लगभग आधा हिस्सा है. इस रक़म से, स्थानीय समुदायों के परिवारों को मदद मिलती है और ग़रीबी कम करने में इसकी अहम भूमिका है.
अरमीडा सैलसियाह ऐलिस्जाहबाना के अनुसार, “प्रवासीजन एशिया-प्रशान्त क्षेत्र की गतिशीलता, लचीलेपन और भविष्य की प्रतिमूर्ति हैं क्योंकि वो ख़ुद के हालात बेहतर करने के साथ-साथ, अपने मेज़बान समुदायों और अपने मूल स्थानों के समुदायों, दोनों की बेहतरी के लिये योगदान करते हैं.”
इसके बावजूद, प्रवासन अनेक तरह की जटिल चुनौतियाँ का सामना करता है जिनमें राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के साथ-साथ तस्करी और मानव तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियाँ भी शामिल हैं.
जलवायु परिवर्तन और आपदाओं का प्रभाव
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के महानिदेशक एंतोनियो वितॉरीनो ने आगाह करते हुए कहा कि आपदाओं और प्राकृतिक हादसों के कारण, स्थिति और भी ज़्यादा जटिल हो जाती है.
ये तथ्य, विशेष रूप में, एशिया-प्रशान्त के लिये सच है क्योंकि, ये क्षेत्र, दुनिया भर में, आपदाओं के लिये सबसे ज़्यादा नाज़ुक हालात वाला इलाक़ा है.
इस क्षेत्र में, हर साल, आपदाओं व प्राकृतिक हादसों के कारण अरबों डॉलर व हज़ारों ज़िन्दगियों का नुक़सान होता है.
तीन दिवसीय क्षेत्रीय समीक्षा
10 से 12 मार्च तक आयोजित इस क्षेत्रीय फ़ोरम में, ग्लोबल कॉम्पैक्ट के कार्यान्वयन की समीक्षा के नतीजे, अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन समीक्षा फ़ोरम में शामिल किये जाएंगे जो 2022 में प्रस्तावित है.
इस तीन दिवसीय क्षेत्रीय फ़ोरम में, एशिया-प्रशान्त आर्थिक व सामाजिक आयोग सदस्य देशों, प्रवासी कामगारों का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्तरराष्ट्रीय संगठनों और संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं.
चर्चा के मुद्दों और विषयों में, प्रवासियों के लिये अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा के साथ-साथ, क्षेत्र में प्रवासन को सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमाधीन बनाने वाले उपायों और सम्वेदनशील मानवीय रुख़ को बढ़ावा देने पर भी बातचीत होगी.