महिला दिवस: महिलाओं की समान भागीदारी के लिये विशेष उपाय करने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने महिलाओं की समान भागीदारी की रूपान्तरकारी शक्ति को रेखांकित करते हुए, तमाम पक्षों और हितधारकों से, महिलाओं की समान भागीदारी को आगे बढ़ाने और तीव्र बदलाव लाने के लिये, विशेष उपाय करने का आहवान किया है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, आठ मार्च को, अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर एक सन्देश में स्पष्ट प्रमाण पेश करते हुए कहा है कि जब महिलाएँ सरकारों, संसदों और शान्ति वार्ताओं में होती हैं, तो बेहतर सामाजिक संरक्षा कार्यक्रम, मज़बूत जलवायु नीतियाँ और ज़्यादा टिकाऊ शान्ति समझौते वजूद में आते हैं.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “चाहे कोईक देश चलाने की बात हो, कारोबार या फिर लोकप्रिय आन्दोलन, महिलाएँ ऐसे योगदान कर रही हैं जिनके ज़रिये सभी के लिये अच्छे नतीजे मिल रहे हैं और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को आगे बढ़ा रही हैं.”
उन्होंने आग्रह करते हुए कहा, “मैं तमाम देशों, कम्पनियों और संस्थानों का आहवान करता हूँ कि वो महिलाओं की समान भागीदारी को आगे बढाने और तेज़ी से बदलाव लाने के लिये, विशेष उपाय करें.”
संयुक्त राष्ट्र ने अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस, 1975 में मनाना शुरू किया था और उस साल को अन्तरराष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया गया था.
ये दिवस, बीते दशकों के साथ-साथ, महिलाओं की उपलब्धियों को पहचान देने और उन्हें रेखांकित करने से आगे बढ़कर, महिलाओं के अधिकारों और राजनैतिक व आर्थिक क्षेत्रों में, उनकी भागीदारी के समर्थन में माहौल तैयार करने के लिये महत्वपूर्ण मौक़ा बन गया है.
वर्ष 2021 में, अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है – नेतृत्व में महिलाएँ: कोविड-19 की माहौल में, समान भविष्य की प्राप्ति.
ये थीम इस सन्दर्भ में भी प्रासंगिक है, जब पूरी दुनिया एक ऐसी महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में जुटी है, जिसने लैंगिक समानता की दिशा में दशकों के दौरान हासिल की गई प्रगति को मिटा दिया है.
महामारी ने मिटाई दशकों की प्रगति
कोरोनावायरस महामारी की सबसे भारी चोट महिलाओं पर पड़ी है – बहुत सी महिलाएँ निर्धनता में धकेल दी गई हैं, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के ढहने से, अनगिनत महिलाओं का आमदनी वाला रोज़गार ख़त्म हो गया है, घरेलू हिंसा के मामलों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है, और निकट सम्बन्धियों की आय रहित स्वास्थ्य देखभाल करने की ज़िम्मेदारी का बोझ भी महिलाओं पर ही है.
अलबत्ता, महिलाएँ, अपने जीवन और अधिकारों पर हुए प्रभाव की परवाह किये बिना, महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में, अग्रिम मोर्चों पर मुस्तैद रही हैं – अति महत्वपूर्ण कामगारों के रूप में, स्वास्थ्य देखभाल करने वालों के रूप में और नेतृत्व भूमिकाओं में.
यूएन प्रमुख ने आग्रह करते हुए कहा, “हम जैसे-जैसे महामारी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, सहायता और आर्थिक जान फूँकने वाले पैकेजों में, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों के हित पर ध्यान देना होगा, जिसमें महिलाओं के स्वामित्व वाले कारोबारों और देखभाल करने वाली अर्थव्यवस्था में ज़्यादा संसाधन निवेश करना शामिल है.”
महिलाओं की भागीदारी के बिना...
लैंगिक समानता व महिला सशक्तिकरण मामलों पर संयुक्त राष्ट्र के संगठन – यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक फ़ूमज़िले म्लाम्बो न्क्यूका ने, महिलाओं के प्रतिनिधित्व को समर्थन देने की ख़ातिर, सक्रियता व इरादे के लिये, राजनैतिक इच्छाशक्ति की ज़रूरत को रेखांकित किया है.
उन्होंने, महिला दिवस के मौक़े पर एक सन्देश में कहा कि नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिये, सरकार में हर स्तर पर लैंगिक समानता के लक्ष्य निर्धारित करने, विशेष नीतियाँ बनाने और आरक्षण निर्धारित करने जैसे ठोस उपायों की ज़रूरत है.
उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि इस तरह के ठोस उपाय किये बिना, प्रगति बहुत धीमी रहेगी, या फिर कोई प्रगति होगी ही नहीं; और अगर कुछ प्रगति हुई भी, तो वो आसानी से पलट भी सकती है.
“महिलाओं की ठोस भागीदारी के बिना, कोई भी देश ख़ुशहाल नहीं हो सकता.”
यूएन महिला संगठन की प्रमुख ने महिलाओं का ऐसा प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किये जाने का आहवान किया जिसमें तमाम महिलाओं व लड़कियों की विविधता और क्षमताएँ नज़र आएँ, और ऐसा, तमाम संस्कृतियों, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक स्थितियों में हो.
उन्होंने कहा, “केवल यही एक मात्र रास्ता है जिसके माध्यम से हम एक ऐसा सामाजिक बदलाव देख सकते हैं जिसमें महिलाओं को भी समान रूप से निर्णय करने वालों के रूप में शामिल किया जाए और जिससे सभी का हित हो.”
महिलाओं के नेतृत्व में, सभी की जीत
ड्रग्स और अपराध रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय – UNODC की कार्यकारी निदेशक ग़ादा वॉली ने, विशेष रूप से, विधि क्रियान्वयन और न्यापालिका क्षेत्रों में, महिलाओं के नेतृत्व व प्रतिनिधित्व की महत्ता को रेखांकित किया है.
उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में, महिलाओं के बढ़े हुए प्रतिनिधित्व से, महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों की जाँच-पड़ताल, पुलिस प्रणाली के बेहतर नतीजे, और पीड़ितों का ज़्यादा ख़याल करने वाले नज़रिये की कामयाबी सुनिश्चित की जा सकेगी.
उन्होंने ये भी रेखांकित किया कि महिलाएँ ऐसे व्यवस्थागत बदलाव भी सम्भव बनाती हैं जिनमें हिंसा की कम दर होना और विविधता के ज़रिये ज़्यादा एकाकरण शामिल हैं.
ग़ादा वॉली ने कहा, “सार्वजनिक भरोसे और प्रभावशाली संस्थानों के लिये, ये प्रमुख उपलब्धियाँ हैं. जब महिलाएँ नेतृत्व भूमिकाओं में होती हैं, तो हम सभी की जीत होती है.”
उन्होंने, क्योटो में, रविवार को 14वीं यूएन अपराध निरोधक काँग्रेस के दौरान, अपनाए गए घोषणा-पत्र का भी ज़िक्र किया जिसमें सरकारों ने, आपराधिक न्याय व्यवस्थाओं व प्रणालियों में महिलाओं के प्रगति के रास्ते में मौजूद बाधाओं को दूर करने का संकल्प व्यक्त किया है.