वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

मानव तस्करों ने, अदन की खाड़ी में, प्रवासियों को समुन्दर में फेंका, कम से कम 20 की मौत

जिबूती के नज़दीक समुन्दर से बचाए गए प्रवासियों को एक राहत केन्द्र पर ठहराया गया. (फ़ाइल फ़ोटो)
IOM/Alexander Bee
जिबूती के नज़दीक समुन्दर से बचाए गए प्रवासियों को एक राहत केन्द्र पर ठहराया गया. (फ़ाइल फ़ोटो)

मानव तस्करों ने, अदन की खाड़ी में, प्रवासियों को समुन्दर में फेंका, कम से कम 20 की मौत

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन मामलों सम्बन्धी एजेंसी -IOM ने गुरूवार को कहा है कि जिबूती से यमन को जाने वाले रास्ते में, मानव तस्करों ने, नाव में सवार अनेक प्रवासियों को समुन्दर में फेंक दिया जिसके कारण, कम से कम 20 लोगों की डूबकर मौत हो गई.

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के अनुसार पिछले छह महीनों के दौरान, अदन की खाड़ी में, इस तरह की ये तीसरी घटना है.

Tweet URL

इस घटना में जीवित बचे लोगों को जिबूती के ओबॉक में प्राथमिक चिकित्सा उपचार मुहैया कराया जा रहा है.

प्रवासन संगठन की जिबूती में मिशन प्रमुख स्टैफ़नी डेवियॉट ने कहा कि बुधवार को हुए ये घटना, इस बात का एक और बड़ा सबूत है कि आपराधिक तत्व, केवल अपने स्वार्थ और हित के लिये, ऐसे लोगों का शोषण करना जारी रखे हुए हैं, जो अपना जीवन बेहतर बनाने के लिये ख़तरा भी मोल ले रहे हैं.

उन्होंने मानव तस्करों को क़ानूनी शिकंजे में लाए जाने का आहवान किया.

साथ ही ये अपील भी कि प्रवासियों के लिये एक क़ानूनी मार्ग बनाया जाए जिसमें ऐसे लोगों को, अपना जीवन ख़तरे में डाले बिना, यात्रा करने की सुविधा मिले, जो बेहतर कामकाज व जीवन अवसरों के लिये विदेश यात्रा करते हैं.

200 की विदेश रवानगी

ख़बरों के अनुसार, जब इस नाव ने यात्रा शुरू की थी तो उसमें लगभग 200 प्रवासी सवार हुए थे, जिनमें बच्चे भी थे.

यात्रा शुरू होने के लगभग आधे घंटे बाद ही, तस्करों ने तकरीबन 80 लोगों को समुन्दर में फेंक दिया. पाँच शव तो पहले ही बरामद कर लिये गए थे.

धोखे वाला सफ़र

हर वर्ष, पूर्वी अफ़्रीकी देशों से, हज़ारों प्रवासी, मुख्यतः युवा, सोमालिया और इथियोपिया जैसे देशों से जिबूती के लिये, ये ख़तरनाक यात्रा शुरू करते हैं.

ये लोग, उस रास्ते से होते हुए, युद्धग्रस्त यमन पहुँचना चाहते हैं जहाँ से उनका मक़सद और आगे उत्तर में स्थित, खाड़ी देशों में पहुँचकर, रोज़गार वाले कामकाज की तलाश करना होता है.

प्रवासन एजेंसी का कहना है कि वर्ष 2019 में, लगभग एक लाख 38 हज़ार लोग इस सफ़र पर निकले थे, जबकि वर्ष 2020 में, क़रीब 37 हज़ार 500 लोगों ने ये यात्रा की.

ये संख्या साफ़ दिखाती है कि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के उपायों के तहत लागू किये गए प्रतिबन्धों का कितना गहरा असर पड़ा है.

वर्ष 2021 के पहले महीने में, जिबूती से लगभग ढाई हज़ार प्रवासी यमन पहुँचे हैं, और यूएन एजेंसी ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि जब कोरोनावायरस सम्बन्धी प्रतिबन्ध हटाए जाएँगे तो, और ज़्यादा संख्या में प्रवासी जन यात्राएँ करेंगे. इससे, भविष्य में, और भी ज़्यादा हादसों की आशंका रहेगी. 

यमन में फँसे

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन का कहना है कि यमन में हज़ारों प्रवासियों के फँसे होने की ख़बरें हैं, और जिबूती व यमन में बहुत से प्रवासीजन अत्यधिक जोखिम, शोषण और उत्पीड़न के ख़तरे में हैं.

संगठन ने कहा है कि एजेंसी के सहायताकर्मी, प्रभावित और फँसे हुए प्रवासियों को आपात चिकित्सा सहायता, भोजन, पानी और मनोवैज्ञानिक सहायता मुहैया करा रहे हैं.

एजेंसी ने, हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका और यमन व जिबूती में मौजूद प्रवासियों की ज़रूरतें पूरी करने के लिये, अगस्त 2020 में, 8 करोड़ 40 लाख डॉलर की रक़म एकत्र करने की सहायता अपील जारी की थी.