म्याँमार: सेना से प्रदर्शनकारियों की 'हत्याएँ' और 'क्रूर बल प्रयोग' रोकने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने गुरूवार को कड़े शब्दों में कहा है कि म्याँमार में सेना को, शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर अपना “क्रूर और हिंसक दमन” रोकना होगा. मानवाधिकार उच्चायुक्त का ये सख़्त बयान ऐसी ख़बरों को बीच आया है कि 1 फ़रवरी को सेना द्वारा तख़्तापलट किये जाने के बाद 54 लोग मारे जा चुके हैं, इनमें से 38 लोगों की मौत, बुधवार को केवल एक दिन में हुई है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने मिशेल बाशेलेट ने कहा, “ये देखना बेहद दिल दहला देने वाला है कि सुरक्षा बल, पूरे देश में, शान्तिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर जानलेवा बारूद (गोलियों) का इस्तेमाल कर रहे हैं.”
🇲🇲 #Myanmar: @MBachelet urges all those with information – incl. officials joining civil disobedience movement – to support international efforts to hold military leaders accountable for rights violations – citing @IntlCrimCourt & @CIJ_ICJ proceedings 👉 https://t.co/tuJ3oMQvLM pic.twitter.com/gq1fkUIESb
UNHumanRights
उन्होंने कहा, “हम उन आपातकालीन चिकित्साकर्मियों और एम्बुलेंसों पर भी हमले देखकर हैरान हैरान हों जो घायलों को चिकित्सा सहायता मुहैया करा रहे हैं, और इन हमलों के सबूत मौजूद हैं.”
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, अभी तक 54 मौतों के जिन मामलों का विवरण एकत्र किया गया है, उनमें से कम से कम 30 लोगों की मौत यंगून, मंडालय, सगायंग, मगवे और मॉन में, सुरक्षा बलों के हाथों, केवल बुधवार को हुई. एक अन्य व्यक्ति की मौत, मंगलवार को भी दर्ज की गई.
रविवार को 18 और उससे पहले पाँच लोगों की मौत हो चुकी है.
हालाँकि मानवाधिकार कार्यालय का ये भी कहना है कि मृतकों की असल संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है क्योंकि अभी तक केवल इन मामलों की ही पुष्टि की जा सकी है.
घायलों की वास्तविक संख्या का पता लगाना भी कठिन है मगर भरोसेमन्द जानकारी से संकेत मिलता है कि इन प्रदर्शनों के दौरान, सैकड़ों लोग घायल हुए हैं.
इसके अतिरिक्त, 1 फ़रवरी को सेना द्वारा तख़्तापलट करने के बाद से, शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों में शिरकत करने या राजनैतिक गतिविधियों में भाग लेने के सम्बन्ध में, 1 हज़ार 700 से भी ज़्यादा लोग गिरफ़्तार किये गए हैं.
कार्यालय का ये भी कहना है कि केवल बुधवार को ही, लगभग 700 लोगों को बन्दी बनाया गया है.
बन्दी बनाए गए लोगों में सांसद, राजनैतिक कार्यकर्ता और चुनाव अधिकारी, लेखक, मानवाधिकार पैरोकार, अध्यापक, स्वास्थ्यकर्मी, सिविल सेवक, पत्रकार, बौद्ध सन्त और मशहूर हस्तियाँ शामिल हैं.
मृतकों में बच्चे भी
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ के अनुसार, ऐसी भी ख़बरें मिली हैं कि फ़रवरी में, प्रदर्शन शुरू होने के बाद से, कम से कम पाँच बच्चों की मौत हुई है, और चार गम्भीर रूप से घायल हुए हैं. सुरक्षा बलों ने 500 से ज़्यादा बच्चों को हिरासत में भी लिया है.
हताहत हुए बच्चों के अलावा, बहुत से बच्चों को, आँसू गैस और बन्दूकों से छोड़ने जाने वाले गोलों से, नुक़सान पहुँचने का जोखिम भी है, और बच्चों को, दिल दहला देने वाले हिंसक दृश्य देखने पड़ रहे हैं.
कुछ मामलों में तो हिंसा का निशाना बच्चों के माता-पिता और परिजनों को बनाया गया है, जिससे बच्चों को गम्भीर मनोवैज्ञानिक दबाव का जोखिम है.
यूनीसेफ़ ने कहा है, “जिन बच्चों को गिरफ़्तार किया गया है या बन्दी बनाया गया है, उन्हें गोपनीय तरीक़े से रखा गया है और उन्हें कोई क़ानूनी सहायता मुहैया नहीं कराई गई है, जोकि उनके मानवाधिकारों का हनन है.”

यूनीसेफ़ ने कहा है कि ये एजेंसी, अन्य साझीदारों के साथ मिलकर, बच्चों, उनका अभिभावकों, उनकी देखभाल करने वालों और बाल सेवाएँ मुहया कराने वालों को हैल्पलाइन के ज़रिये, मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध करा रही है. ये सेवा विभिन्न स्थानीय भाषाओं में चलाई जा रही है.
साथ ही जिन बच्चों को सुरक्षा बलों ने, मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाया गया है, उन्हें क़ानूनी सहायता सेवाएँ भी मुहैया कराई जा रही हैं.
घर-घर तलाशी
यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, सेना द्वारा वांछित अनेक लोग, छुपे हुए हैं; और अनेक मामलों में तो ऐसा देखा गया है कि सैनिक और पुलिस, घर-घर की तलाशी ले रहे हैं और लोगों को हिरासत में ले रहे हैं.
ऐसे कुछ लोगों को तो रिहा कर दिया गया है, लेकिन अनेक मामलों में, सम्बन्धियों ने, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय को सूचित किया है कि, उन्हें उनके बन्दी बनाए गए प्रियजनों के बारे में कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है कि उन्हें कहाँ रखा गया है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा है, “1 फ़रवरी के बाद से, जिन लोगों को मनमाने तरीक़े से गिरफ़्तार किया गया है या बन्दी बनाया गया है, ये इनसानों को जबरन ग़ायब किये जाने का मामला परिभाषित होने के दायरे में आ सकता है.”
मिशेल बाशेलेट ने मनमाने तरीक़े से बन्दीकरण में रखे गए तमाम लोगों को तुरन्त रिहा किये जाने का आहवान भी किया है.
लोकतन्त्र को साँस लेने दिया जाए
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने पत्रकारों को भी निशाना बनाए जाने पर ख़तरे की घंटी बजाई.
हाल के दिनों में, कम से कम 29 पत्रकारों को गिरफ़्तार किया गया है, जिनमें से कम से कम 8 पर अपराध तय कर दिये हैं, जिनमें विरोध करने को उकसाना, या सरकार के बारे में नफ़रत फैलाने, या ग़ैर-क़ानूनी सभाएँ करने के आरोप शामिल हैं.
मिशेल बाशेलेट ने उन तमाम प्रभावशाली हस्तियों, जानकारों, और म्याँमार के अधिकारियों का आहवान किया है कि वो सैन्य नेताओं को गम्भीर मानवाधिकार हनन के लिये ज़िम्मेदार ठहराने के अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों को, हर सम्भव सहायता मुहैया कहराएँ.
उन्होंने कहा, “यह सटीक अवसर है कि म्याँमार में, लोकन्त्र पर सेना के क़ब्ज़े को ख़त्म करके, समय का रुख़ न्याय की तरफ़ मोड़ा जाए.”