म्याँमार: विरोध प्रदर्शनों के दौरान, एक दिन में, 38 लोगों की मौत ‘स्तब्धकारी’
म्याँमार के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत, क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने बुधवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि देश में हालात से क्षेत्रीय स्थिरता के लिये चुनौती पैदा हो रही है, और मौजूदा संकट वास्तव में एक युद्ध में तब्दील हो सकता है. म्याँमार में सेना द्वारा सत्ता पर क़ब्ज़ा किये जाने के बाद जारी विरोध प्रदर्शनों में, बुधवार को 38 लोगों की मौत हुई है.
यूएन की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने बुधवार को, एक वर्चुअल प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि म्याँमार से जो ख़बरें मिल रही हैं, वो स्तब्धकारी हैं.
बताया गया है कि 1 फ़रवरी को तख़्तापलट होने के बाद बुधवार, सबसे रक्तरंजित दिन साबित हुआ है और एक दिन में 38 लोगों की मौत हुई है.
उन्होंने कहा कि एक हज़ार से ज़्यादा लोग हिरासत में लिये गए हैं.
बहुत से लोगों को अपने प्रियजनों के बारे में यह जानकारी ही नहीं है कि उन्हें किन परिस्थितियों में रखा गया है
म्याँमार में, 1 फ़रवरी को सेना द्वारा देश की सत्ता पर क़ब्ज़ा किये जाने के बाद, विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला थमने के बजाय उग्र हुआ है.
म्याँमार में, नवम्बर 2020 में संसदीय चुनाव हुए थे, जिसमें आँग सान सू ची के नेतृत्व वाली पार्टी – नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने जीत हासिल की थी.
उसके बाद से ही, देश में राजनैतिक तनाव बढ़ता देखा गया था.
सेना ने, 1 फ़रवरी को, सत्ता पर क़ब्ज़ा करने के साथ-साथ, देश के शीर्ष राजनेताओं को गिरफ़्तार कर लिया था, जिनमें आँग सान सू ची भी शामिल थीं.
सेना का कहना है कि एनएलडी ने धाँधली के ज़रिये चुनाव में जीत दर्ज की है, जबकि देश के चुनाव आयोग ने मतदान के निष्पक्ष होने की बात कही है.
सेना को चेतावनी
क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने बताया कि उनकी म्याँमार की सेना के साथ बातचीत हुई है.
इस दौरान, उन्होंने सेना को चेतावनी भरे अन्दाज़ में स्पष्टता से बताया है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों और सुरक्षा परिषद द्वारा कड़े क़दम उठाए जा सकते हैं.
इसके जवाब में म्याँमार के सैन्य नेतृत्व ने कहा कि वे पाबन्दियों का सामना करने के अभ्यस्त हैं, और अतीत में भी, ऐसे दौर से गुज़र चुके हैं.
यह चेतावनी दिये जाने पर, कि उनके अलग-थलग पड़ जाने का ख़तरा है, तो सेना ने जवाब में कहा कि उन्होंने बेहद कम दोस्तों के साथ चलना सीखना है.
इससे पहले, महासचिव एंतोनियो गुटेरेश भी सैन्य तख़्तापलट की निन्दा कर चुके हैं, और उन्होंने हिंसा पर तत्काल विराम लगाए जाने का आग्रह किया है.
यूएन दूत ने ज़ोर देकर कहा कि मौजूदा हालात का अन्त करने के लिए हरसम्भव विकल्प का इस्तेमाल किया जाना चाहिये.
उन्होंने इस मुद्दे पर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता को बेहद अहम क़रार दिया है.
क्रिस्टीन श्रेनर बर्गनर ने सम्वाद जारी रखा है, लेकिन साथ ही यूएन सदस्य देशों से बेहद सख़्त क़दम उठाए जाने का आग्रह भी किया है.