यूनीसेफ़: क़रीब 17 करोड़ बच्चे, एक साल तक स्कूली शिक्षा से रह गए वंचित
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने कहा है कि कोविड-19 महामारी का विकराल रूप शुरू हुए, जैसे-जैसे एक वर्ष पूरा हो रहा है, हमें, स्वतः यह ध्यान आ रहा है कि दुनिया भर में तालाबन्दियों और पाबन्दियों ने कितना बड़ा और गम्भीर शिक्षा संकट उत्पन्न कर दिया है.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फ़ोर ने बुधवार को ये बात कही है.
यूनीसेफ़ प्रमुख ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “हर दिन बीतने के साथ, बच्चों से, स्कूलों में निजी अनुभवों के साथ शिक्षा हासिल करने के अवसर और भी ज़्यादा दूर होते और पीछे छूटते जा रहे हैं."
"सबसे ज़्यादा वंचित हालात में रहने वाले व हाशिये पर धकेल दिये गए बच्चों को, सबसे भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है.”
यूनीसेफ़ के अनुसार, मार्च 2020 से फ़रवरी 2021 तक जिन 14 देशों में स्कूल बन्द रहे, उनमें से 9 देश, लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्र में हैं जहाँ लगभग 10 करोड़ स्कूली बच्चे प्रभावित हुए हैं.
इन देशों में से, पनामा में स्कूल, लगभग पूरे समय ही बन्द रहे, उसके बाद अल सल्वाडोर, बांग्लादेश और बोलीविया का स्थान रहा.
संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के अनुसार, इसके अतिरिक्त, लगभग 21 करोड़ 40 लाख बच्चों ने, निजी अनुभव के साथ शिक्षा हासिल करने के तीन-चौथाई से भी ज़्यादा अवसर गँवा दिये. ये संख्या, हर सात स्कूली बच्चों में से एक बच्चे के बराबर है.
जबकि लगभग 88 करोड़ 80 लाख बच्चों को, उनके स्कूल पूरी तरह या आंशिक रूप से बन्द होने के कारण, अपनी स्कूली शिक्षा में व्यवधानों का सामना करना पड़ रहा है.
स्कूल खुलने को प्राथमिकता मिले
यूनीसेफ़ का कहना है कि स्कूल बन्द होने से बच्चों की शिक्षा और उनके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य व बेहतरी पर गम्भीर असर पड़ा है.
वंचित हालात में रहने वाले बच्चे और जिन्हें दूरस्थ साधनों व उपकरणों के माध्यम से शिक्षा हासिल करने के संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, उनका सबसे ज़्यादा नुक़सान हुआ है, क्योंकि यही बच्चे, फिर कभी स्कूली शिक्षा को वापिस नहीं लौट पाने के हालात का, सबसे अधिक सामना कर रहे हैं.
इतना ही नहीं, इन बच्चों को, बाल विवाह या बाल श्रम में धकेल दिये जाने का भी बहुत जोखिम है.
यूएन एजेंसी का कहना है कि दुनिया भर में, स्कूली बच्चे, अपने साथियो के साथ बातचीत करने, सहायता पाने की ख़ातिर और स्वास्थ्य व टीकाकरण सेवाओं के साथ-साथ पोषक भोजन ख़ुराक के लिये भी, स्कूलों पर निर्भर होते हैं.
जितनी ज़्यादा लम्बी अवधि के लिये स्कूल बन्द रहेंगे, उतने ही लम्बे समय तक, ये बच्चे अपने बचपन के लिये, इन अति महत्वपूर्ण कारकों से वंचित रहेंगे.
यूनीसेफ़ प्रमुख हैनरिएटा फ़ोर ने सभी देशों का आहवान किया कि वो स्कूल खुले रखें या जहाँ स्कूल बन्द हैं, वहाँ पूरी व्यवस्था खोलने की योजनाओं व कार्यक्रमों में, स्कूल खोलने को भी प्राथमिकता पर रखा जाए.
These 168 empty @UNICEF backpacks & desks at the @UN in NY represent the 168 million children who have been out of school for a year due to #COVID19.We are facing a global education crisis. No effort should be spared to safely bring every child back into the classroom. pic.twitter.com/ToXc3b9m55
antonioguterres
उन्होंने कहा, “हम इस संकट के दूसरे साल में, ऐसे हालात में दाख़िल नहीं हो सकते जहाँ इन बच्चों के लिये स्कूलों में शिक्षा हासिल करने के सीमित अवसर हों. व्यवस्थाएँ खोलने के कार्यक्रमों व योजनाओं में, स्कूल खुले रखने के लिये कोई क़सर बाक़ी नहीं छोड़ी जानी चाहिये.”
यूनीसेफ़ ने तमाम देशों की सरकारों से हर एक बच्चे की विशिष्ट आवश्यकताओं पर भी ध्यान दिये जाने का आग्रह किया है जिसमें बच्चों की पीछे छूट चुकी शिक्षा को पूरा करने, स्वास्थ्य, पोषण, और मानसिक स्वास्थ्य जैसी वृहद सेवाएँ शामिल हों.
साथ ही स्कूलों में बच्चों व किशोरों के सम्पूर्ण विकास को बढ़ावा देने और उनके सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के संरक्षा उपाय भी किये जाएँ.
'महामारी क्लासरूम'
यूनीसेफ़ ने बुधवार को, यूएन मुख्यालय में, एक ‘महामारी कक्षालय’ बनाया है, जिसमें, एक आदर्श कक्षालय के रूप में, ख़ाली 168 मेज़ और कुर्सियाँ प्रदर्शित की गई हैं.
ये सभी ख़ाली मेज़-कुर्सियाँ, दुनिया भर में, उन 16 करोड़ 60 लाख बच्चों का प्रतिनिधित्व करती हैं जिन्हें अपने देशों में स्कूल बन्द होने के कारण स्कूली शिक्षा से वंचित होना पड़ा है.
यूनीसेफ़ का कहना है कि इस ‘महामारी कक्षालय’ को प्रदर्शित करने का उद्देश्य, दुनिया भर में, तमाम स्थानों पर उन स्कूलों की याद दिलाना है जो ख़ाली पड़े हैं.
इस महामारी क्लासरूम में हर एक ख़ाली कुर्सी पर एक ख़ाली स्कूली बैग लटकाया गया है – जो हर बच्चे की – टाल दी गई - शिक्षा सम्भावनाओं और क्षमताओं का प्रतिनिधित्व करता है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में बनाए गए, इस ‘महामारी क्लासरूम’ का जायज़ा लेने के बाद कहा कि बहुमूल्य शिक्षा हासिल करने के अवसरों से वंचित होने वाले बच्चों की इतनी बड़ी संख्या, अपने आप में एक संकट है.
उन्होंने कहा, “करोड़ों बच्चे, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं जोकि ख़ुद एक आपदा है. ये स्थिति बच्चों के लिये एक संकट है, उनके देशों के लिये एक आपदा है, मानवता के भविष्य के लिये एक संकट है.”