वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

मेजर बिन्देश्वरी तँवर - यूएन शान्तिरक्षक बनना, एक मूल्यवान अवसर

दक्षिण सूडान के यूएन मिशन में शान्तिरक्षक के तौर पर सेवारत, मेजर बिन्देश्वरी तँवर.
UN/Gregorio Cunha
दक्षिण सूडान के यूएन मिशन में शान्तिरक्षक के तौर पर सेवारत, मेजर बिन्देश्वरी तँवर.

मेजर बिन्देश्वरी तँवर - यूएन शान्तिरक्षक बनना, एक मूल्यवान अवसर

महिलाएँ

भारत की मेजर बिन्देश्वरी तँवर एक सैन्य अधिकारी हैं और एक युवा बेटे की माँ भी. 34 वर्षीय मेजर बिन्देश्वरी तँवर का विवाह अपने एक साथी अधिकारी के साथ ही हुआ, और फ़िलहाल वो एक यूएन शान्तिरक्षक के रूप में दक्षिण सूडान में सेवारत हैं.  मेजर बिन्देश्वरी तँवर का कहना है कि यूएन शान्तिरक्षक के तौर पर कार्य करने का अवसर बेहद मूल्यवान अनुभव है जिसे बाँहें फैलाकर स्वीकार करना चाहिये. उनके साथ एक ख़ास बातचीत...

आपने, अपने देश की सशस्त्र सेना में भर्ती होने का फ़ैसला क्यों किया? 

मेरा जन्म भारत में हिमालय की गोद में, एक ऐसे परिवार में हुआ जिसे हम फ़ौजी परिवार बुलाते हैं. मेरे पिता, स्वयँ भारतीय सेना में थे, और मेरी परवरिश के दौरान मैंने देखा कि मेरे सभी दोस्तों के अभिभावकों की पृष्ठभूमि भी यही थी.

मैं वर्दीधारी कर्मियों की छत्रछाया में समृद्ध परम्पराओं में बड़ी हुई, और मैं बड़े होकर ख़ुद सशस्त्र सेना में शामिल होने से ज़्यादा कुछ नहीं चाहती थी. 

जीवन जीने का केवल यही एक एकमात्र ऐसा तरीक़ा है, जिसे मैंने जानाऔर समझा है, और मेरे मन में इसके लिये दीवानगी है. 

क्या आपका परिवार और आपके मित्रजन, शुरुआत से इस करियर चयन के समर्थन में थे? 

पूरी तरह से. लेकिन फिर, मैं समझती हूँ कि में उन भाग्यशाली लोगों में हूँ जिनका जन्म इस पृष्ठभूमि में हुआ. 

मैं जब भारतीय सेना में शामिल हुई, तो ऐसी अनेक महिला अधिकारियों से मेरी मुलाक़ात हुई, जिन्हें अपने परिवार को भरोसा दिलाना पड़ा कि वे सशस्त्र सेनाओं में कठिन जीवन में समायोजन कर पाने में सक्षम हैं. 

आप एक यूएन शान्तिरक्षक किस तरह बनीं? क्या यह आपका पहला मिशन है?

यूएन मिशन में किसी भारतीय अधिकारी की तैनाती से पहले, एक बहुचरणीय चयन प्रक्रिया से गुज़रना होता है. इसके लिये बेदाग़ पृष्ठभूमि और चिकित्सा अनुमति ज़रूरी है. मुझे बेहद ख़ुशी है कि मैं उत्तीर्ण होने में सफल रही और दक्षिण सूडान आने का अवसर मिला.

दक्षिण सूडान में यूएन मिशन (UNMISS) मेरा पहला शान्तिरक्षा मिशन है, और इस गतिशील, बहुसांस्कृतिक शान्ति अभियान में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना, मेरे लिये सम्मान व गौरव की बात है. 

इस मिशन में आपकी क्या ज़िम्मेदारियाँ हैं, और आमतौर पर किसी दिन आपकी दिनचर्या क्या रहती है?

मैं इस मिशन के आवाजाही नियन्त्रण खण्ड (Movement Control Wing) में एक स्टाफ़ अधिकारी हूँ, और मेरी ज़िम्मदारी जूबा से मिशन के हवाई अभियानों की निगरानी करना है.

यह एक कठिन और चुनौतीपूर्ण भूमिका है, जिसमें बड़ी संख्या में मिशन में शामिल कर्मियों और आने-जाने वाले मालवाहक वाहनों पर नज़र रखनी होती है.

इसके अलावा, दुनिया के सबसे बड़े शान्तिरक्षा अभियान के लिये हवाई सुरक्षा भी सुनिश्चित करना होता है, विशेष रूप से इसलिये, चूँकि, अक्सर उड़ानों के कार्यक्रम में, कोविड-19 बचाव उपायों के कारण, अन्तिम क्षणों में बदलाव होते रहते हैं.  

मेजर बिन्देश्वरी तँवर, मिशन के आवाजाही नियन्त्रण खण्ड (Movement Control Wing) में एक स्टाफ़ अधिकारी हैं.
UN/Gregorio Cunha
मेजर बिन्देश्वरी तँवर, मिशन के आवाजाही नियन्त्रण खण्ड (Movement Control Wing) में एक स्टाफ़ अधिकारी हैं.

दक्षिण सूडान में हवाई गतिविधियाँ बेहद अहम हैं, ख़ासतौर पर बरसात के मौसम में, जब सड़कों पर पूरी तरह पानी भर जाता है, और शान्तिरक्षकों को ज़रूरतमन्द आम नागरिकों तक मदद पहुँचाने के लिये पहुँचना होता है.

मेरा दिन लगभग सुबह छह बजे शुरू होता है, और आख़िरी उड़ान की सुरक्षित रवानगी के बाद समाप्त होता है. 

अपने देश को छोड़ने और यूएन शान्तिरक्षा मिशन के लिये काम करने के आपके निर्णय पर आपके परिवार और दोस्तों का क्या सोचना है?

ईमानदारी से कहूँ तो, महामारी के दौरान अपने प्रियजनों और अपने दो साल के बच्चे को पीछे छोड़कर जाना एक कठिन फ़ैसला था. 

लेकिन, मैं भाग्यशाली हूँ कि मेरे पति भी, मेरी जैसी ही ज़िम्मेदारी निभाते हैं, और मेरे सेवारत रहने की ज़रूरतों को समझते हैं.

UNMISS और दक्षिण सूडान की आपको सबसे अच्छी बात क्या लगती है?

दुनिया भर से आए साथियों के साथ सेवाएँ प्रदान करने और सीखने का अवसर, ईमानदारी से, एक ऐसा अनुभव है, जिसे मैंने UNMISS में तैनाती से पहले कभी महसूस नहीं किया. 

मैं बेहद भाग्यशाली हूँ, और मैंने बहुत पक्के दोस्त बनाए हैं. लेकिन जिस बात ने मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है, वो है, दक्षिण सूडान में समुदाय की सहनक्षमता और मज़बूती.

यहाँ के लोग इतनी पीड़ा झेलने के बावजूद, मुस्कान और खुले दिल के साथ आपका स्वागत करते हैं. यह मेरे लिये एक असाधारण सफ़र रहा है. 

आपके विचार में, महिला शान्तिरक्षकों का स्थानीय समुदायों पर क्या असर होता है?

दक्षिण सूडान की तरह, मैं भी एक मुख्यत: पितृसत्तात्मक देश से आई हूँ. यहाँ पहले से निर्धारित लैंगिक भूमिकाएँ हैं, जिन्हें हम बचपन से देखते हुए बड़े हुए हैं. 

महिला शान्तिरक्षक, केवल अपनी उपस्थिति से और गश्त के दौरान, उन रूढ़ीवादी परम्पराओं को तोड़ती हैं. 

इससे भी अहम बात यह है कि वे आसानी से महिलाओं व युवा लड़कियों के साथ सम्पर्क साध लेती हैं, और मिशन के दैनिक कामकाज में वृहत्तर परिप्रेक्ष्य पेश करती हैं.  

मेरा विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्र में सेवाएँ प्रदान कर रही हर महिला, उन स्थानीय समुदायों की बहुत सी युवा लड़कियों के लिये एक प्रेरणा है, जिनकी सेवा के लिये हमें भेजा गया है. 

शान्तिरक्षा में करियर पर विचार कर रही युवा लड़कियों व महिलाओं को आप क्या कहना चाहेंगी? 

अगर आपको एक शान्तिरक्षक बनने का अवसर मिले, तो उसे बाँहें फैलाकर स्वीकार कर लीजिये. यह एक अविश्वसनीय रूप से चुनौतीपूर्ण करियर है. 

आप अपने परिवार से लम्बे समय के लिये दूर होते हैं, आप कठिन हालात में काम करते हैं, इसमें जोखिम भी निहित हैं, लेकिन यह आपके हर बलिदान को मूल्यवान बनाता है.