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कोयले के इस्तेमाल की ‘घातक लत’ से छुटकारा पाने का आग्रह

सामाका, कोलम्बिया के बाहर स्थित कोयला खदानें.
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सामाका, कोलम्बिया के बाहर स्थित कोयला खदानें.

कोयले के इस्तेमाल की ‘घातक लत’ से छुटकारा पाने का आग्रह

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोयले पर निर्भरता का अन्त करके, वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी पर असरदार ढँग से रोक लगाई जा सकती है. यूएन प्रमुख ने मंगलवार को, बिजली उत्पादन में कोयले के इस्तेमाल से निजात पाने के लिये समूह (Powering Past Coal Alliance) के एक ऑनलाइन कार्यक्रम में सरकारों, स्थानीय निकायों व निजी क्षेत्र के प्रतनिधियों को सम्बोधित करते हुए ये बात कही है. 

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि, महामारी के दौरान, सार्वजनिक व निजी क्षेत्र में अनेक निर्णय-निर्धारकों ने आगे बढ़कर, इस सदी के मध्य तक कार्बन तटस्थता (नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य) हासिल करने का संकल्प लिया है.

उन्होंने कहा कि जलवायु कार्रवाई के लिये बढ़ता समर्थन उम्मीद जगाता है, लेकिन वास्तविकता की भी परख होनी चाहिये. 

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वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये, दुनिया को तत्काल एक रूपान्तरकारी दशक की ओर क़दम बढ़ाने होंगे, जिसका रास्ता ग्लासगो में आयोजित होने वाले यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन कॉप-26 से होकर जाता है. 

महासचिव गुटेरेश ने पिछले सप्ताह, यूएन जलवायु सन्धि सचिवालय (UNFCCC) द्वारा जारी एक रिपोर्ट का उल्लेख किया, जोकि दर्शाती है कि जलवायु लक्ष्य पाने के लिये अभी एक लम्बा रास्ता तय करना है. 

“बिजली क्षेत्र से, कोयले को चरणबद्ध ढंग से हटाकर, 1.5 डिग्री के लक्ष्य के अनुरूप, इकलौता सबसे अहम क़दम, बढ़ाया जा सकता है.”

 “इसका अर्थ यह है कि, बिजली उत्पादन में, वैश्विक स्तर पर कोयले का इस्तेमाल, वर्ष 2010 की तुलना में, 2030 तक 80 फ़ीसदी घटाना होगा.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि एक समय, कोयले के ज़रिये पूरे क्षेत्रों तक सस्ती बिजली पहुँचाने और समुदायों में रोज़गार सृजित करना सम्भव हुआ, लेकिन अब वे दिन बीत चुके हैं. 

जीवाश्म ईंधन के कारण होने वाला वायु प्रदूषण, प्रति वर्ष हर पाँच में से एक मौत के लिये ज़िम्मेदार है. 

उन्होंने सचेत किया कि आर्थिक दृष्टि से भी कोयले पर निर्भरता समझदारी भरा निर्णय नहीं है, और महामारी के दौर में यह रुझान तेज़ हुआ है.

“लभगभ, हर बाज़ार में, अब नई नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को विकसित करना, कोयला संयन्त्र लगाने की तुलना में कम ख़र्चीला है.” 

अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अनुसार चीन और भारत जैसे देशों में, नई सौर ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण की लागत, मौजूदा कोयला संयन्त्रों को संचालित करने से कम है. 

दुनिया भर में नवीनीकृत ऊर्जा की क़ीमतों में दिनोंदिन कमी आ रही है. 

तीन महत्वपूर्ण उपाय

यूएन महासचिव ने इस पृष्ठभूमि में, सभी सरकारों, निजी कम्पनियों और स्थानीय निकायों से तीन क़दम उठाने की पुकार लगाई है: 

पहला, दुनिया भर में, उन सभी कोयला परियोजनाओं को निरस्त कर दिया जाए, जिन्हें मूर्त रूप देने की तैयारी चल रही है. कोयले पर अत्यधिक घातक निर्भरता का अन्त किया जाना होगा. 

उन्होंने सम्पन्न देशों के OECD समूह के लिये कोयले को, वर्ष 2030 तक चरणबद्ध ढंग से हटाने का प्रस्ताव रखा है, जबकि अन्य देशों के लिये यह समयसीमा 2040 है. 

दूसरा, कोयला संयन्त्रों के लिये अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संसाधन मुहैया कराए जाने पर रोक लगानी होगी, और निवेश को नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की दिशा में ले जाना होगा. 

तीसरा, वैश्विक स्तर पर हरित भविष्य की दिशा में न्यायोचित ढंग से क़दम बढ़ाने की शुरुआत की जाए ताकि क्षेत्रीय व स्थानीय स्तर पर उसके असर से निपटा जा सके.

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि नवीनीकृत ऊर्जा की दिशा में प्रगति से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने का सामूहिक दायित्व है. 

साथ ही कोयले पर निर्भर समुदायों की आवश्यकताओं की शिनाख़्त की जानी होगी और ठोस समाधान उपलब्ध कराए जाने होंगे.  

यूएन प्रमुख ने, इस सम्बन्ध में, अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के दिशानिर्देशों को अपनाए जाने का सुझाव दिया है, ताकि इन कायापलट कर देने वाले बदलावों के ज़रिये, समृद्ध नवीकरणीय ऊर्जा समुदाय सुनिश्चित किये जा सकें.