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कोविड-19: स्कूली आहार कार्यक्रमों में 'ऐतिहासिक प्रगति' पर मंडराता संकट

संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की एक पहल के तहत, रानी जैसे छात्रों को स्कूल से माइक्रोन्यूट्रिएंट्स युक्त भोजन भोजन दिया जा रहा है.
WFP/Isheeta Sumra
संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की एक पहल के तहत, रानी जैसे छात्रों को स्कूल से माइक्रोन्यूट्रिएंट्स युक्त भोजन भोजन दिया जा रहा है.

कोविड-19: स्कूली आहार कार्यक्रमों में 'ऐतिहासिक प्रगति' पर मंडराता संकट

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने आगाह किया है कि स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले सेहतमन्द आहार सम्बन्धी कार्यक्रमों पर, कोरोनावायरस संकट और उसके प्रभावों की वजह से जोखिम मँडरा रहा है.  यूएन एजेंसी ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बच्चों का बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिये ऐसे कार्यक्रमों में निवेश किये जाने की पुकार लगाई है.     

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विश्व खाद्य कार्यक्रम की रिपोर्ट - State of School Feeding Worldwide, दर्शाती है कि महामारी के कारण स्कूल बन्द होने से, 199 देशों व क्षेत्रों में, 37 करोड़ बच्चे, स्कूलों में मिलने वाले भोजन से अचानक वंचित हो गए. 

इनमें से बहुत से बच्चों के लिये, यह भोजन, दिन का एकमात्र पोषक आहार था.  

यूएन खाद्य एजेंसी के कार्यकारी निदेशक डेविड बीज़ली ने बताया कि स्कूलों में भोजन मिलना, बच्चों के लिये बहुत अहम बात थी. 

“दिन में एक बार मिलने वाला वो भोजन, अक्सर, भूखे बच्चों के स्कूल जाने के लिये प्रेरणा कारक था.”

उन्होंने कहा कि तालाबन्दी समाप्त होने के बाद, ये भोेजन स्कूलों में उनकी वापसी सुनिश्चित करने का माध्यम भी है. 

“हमें ये कार्यक्रमों फिर शुरू करने की आवश्यकता है, पहले से कहीं बेहतर ढँग से, ताकि कोविड-19 महामारी को, दुनिया के सबसे निर्बलों बच्चों के भविष्य को बर्बाद करने से रोका जा सके.”

इस क्रम में, यूएन एजेंसी एक गठबन्धन तैयार कर रही है जिसका उद्देश्य, स्कूलों में मिलने वाले आहार  कार्यक्रमों के स्तर को बढ़ाने में सरकारों की मदद करना है. 

इस सिलसिले में विकास एजेंसियों, दानदाताओं, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर प्रयास किये जाएँगे. 

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने एक दस-वर्षीय रणनीति (School Feeding Strategy) भी पेश की है. इसके ज़रिये, स्कूलों में स्वास्थ्य व पोषण को बढ़ावा देने के लिये, एजेंसी की भूमिका को मज़बूत किया जाएगा.

साथ ही, स्कूलों में स्वास्थ्य व पोषण को वैश्विक कल्याण के रूप में पेश करते हुए, इस क्षेत्र में शोध को बढ़ावा दिया जाएगा और देशों को कम लागत वाले कार्यक्रम तैयार करने में मदद दी जाएगी. 

स्कूल में मिलने वाले आहार के लाभ 

कोरोनावायरस संकट से पहले, राष्ट्रीय स्कूली आहार कार्यक्रमों के तहत, दुनिया भर में हर दो में से एक बच्चे को, यानि 38 करोड़ से ज़्यादा बच्चों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा था. 

किसी अन्य समय की तुलना में यह, लाभान्वित बच्चों की सबसे बड़ी संख्या थी, और इसे दुनिया की सबसे विस्तृत सामाजिक संरक्षा योजना के रूप में देखा जाता है. 

अध्ययन दर्शाते हैं कि स्कूलों में मिलने वाले भोजन का बच्चों के जीवन पर बड़ा असर होता है, विशेषत: निर्धन परिवारों से आने वाले बच्चों पर. 

इससे भुखमरी का मुक़ाबला करने, दीर्घकालीन स्वास्थ्य को सहारा देने और बच्चों को फलने-फूलने व सीखने में सहारा मिलता है. 

लड़कियों के लिये ये आहार विशेष रूप से अहम हैं – इससे उन्हें स्कूलों में लम्बी अवधि तक रखने, बाल विवाह टालने और कम उम्र में गर्भधारण करने से बचाने में मदद मिलती है.

स्कूलों में आहार प्रदान किये जाने में स्थानीय खाद्य उत्पादों का इस्तेमाल होता है, और स्थानीय समुदायों की अर्थव्यवस्था, कृषि और खाद्य प्रणालियों को मज़बूती मिलती है. 

रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के बाद की दुनिया में, स्कूलों में आहार सम्बन्धी कार्यक्रमों में निवेश को प्राथमिकता दी जानी होगी.

इससे देशों को एक स्वस्थ व शिक्षित आबादी का निर्माण करने में मदद मिलेगी, और राष्ट्रीय प्रगति व आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा.