कोविड-19: पुनर्बहाली सर्वजन के लिये मानवाधिकार सुनिश्चित करने का ‘ऐतिहासिक अवसर’

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में मानवाधिकारों को नुक़सान पहुँचा है, लेकिन महामारी से पुनर्बहाली की प्रक्रिया, यथास्थितिवाद को पीछे छोड़ने और सर्वजन के लिये गरिमा सुनिश्चित करने का एक अवसर है. यूएन प्रमुख ने वर्ष 2020 में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिये कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई, जिसके एक वर्ष बाद महासभा में, उन्होंने देशों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया है.
महासचिव गुटेरेश ने मानवाधिकारों के लिये कार्रवाई की अपनी पुकार, कोविड-19 महामारी घोषित किये जाने के कुछ ही सप्ताह पहले पेश की थी.
यह पुकार, सात-सूत्री कार्यक्रम का ऐसा ब्लूप्रिन्ट था, जिसके ज़रिये समानता को बढ़ावा देने और हर जगह पीड़ा ख़त्म करने का लक्ष्य रखा गया है.
We cannot create a better world for all if human rights are only available to the privileged.We need concerted, global and meaningful determination to deliver human rights for everyone, everywhere, at all times. https://t.co/W1ZdmtLiHj pic.twitter.com/LTrVmQaYcd
antonioguterres
यूएन प्रमुख ने बुधवार को अपने सम्बोधन के दौरान, बजट में कटौती और वित्तीय संकट के बीच, यूएन मानवाधिकार कार्यालय और अन्य सम्बन्धित संस्थाओं के लिये समर्थन का आहवान किया.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि रूपान्तरकारी बदलाव हासिल करने के लिये वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी.
“कोविड-19 वैक्सीनों की तरह ही, मानवाधिकारों से तब तक स्वस्थ समाज का निर्माण नहीं होगा, जब तक वे केवल कुछ विशेष लोगों को ही उपलब्ध रहेंगे.”
कोरोनावायरस संकट को पिछली अनेक पीढ़ियों में अब तक की सबसे बड़े अन्तरराष्ट्रीय चुनौती के रूप में देखा जाता है, जिसने विषमताएँ व भेदभाव उजागर कर दिये हैं. विशेषत: महिलाओं, अल्पसंख्यकों, वृद्धजन और विकलांगों सहित अन्य समूहों के साथ.
इसी दौरान, मानव अधिकार और संरक्षा प्रणालियों की परीक्षा हुई है, वे कमज़ोर हुई हैं और कुछ मामलों में तो ध्वस्त हो गई हैं.
महामारी के दौरान आपातकालीन उपायों का इस्तेमाल, बुनियादी स्वतन्त्रताओं का आपराधिकरण करने और असहमतियों को दबाने के तौर पर किया गया है.
एंतोनियो गुटेरेश ने स्पष्ट किया कि “हमारे पास, साथ मिलकर आगे के रास्ते का निर्माण करने का एक अनूठा और ऐतिहासिक अवसर है."
"एक नई दुनिया को आकार देने का, जहाँ हर व्यक्ति पास गरिमा हो, जहाँ हर समाज संकटों का सामना कर सके, जहाँ हर किसी का भविष्य, अपरिहार्य अधिकारों की नींव पर आधारित हो.”
यूएन महासभा के अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने अपने सम्बोधन में ध्यान दिलाया कि मानवाधिकारों पर केन्द्रित रास्ता, हमेशा सही चयन होगा.
“कोविड-19 महामारी पर हर जवाबी कार्रवाई को, मानवाधिकारों के तहत, और उनके लिये सम्मान सुनिश्चित करते हुए आकार दिया जाना होगा.”
“पक्षकारों को निर्णय-निर्धारण प्रक्रिया में हिस्सा लेना होगा और अपनी राय से अवगत कराना होगा ताकि हम शिनाख़्त कर सकें कि सबसे अधिक पीड़ित कौन हैं; ऐसा हुआ क्यों है; और हम व्यक्तियों व समुदायों को किस तरह संरक्षण प्रदान कर सकते हैं.”
संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगाँठ पर हुए एक वैश्विक सर्वेक्षण के नतीजे दर्शाते हैं कि मानवाधिकार दुनिया भर में लोगों की शीर्ष प्राथमिकताओं में हैं.
महासचिव गुटेरेश ने प्रतिनिधियों को बताया कि देशों से मिले समर्थन के फलस्वरूप, पिछले वर्ष में सम्बन्धित क्षेत्रों में अहम प्रगति सम्भव हुई है.
“संयुक्त राष्ट्र परिवार, साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ सामाजिक-आर्थिक जवाबी कार्रवाई योजनाओं के केन्द्र में मानवाधिकार हों.”
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्रवाई के लिये अनेक नीति-पत्र जारी किये हैं, जिनमें मानवाधिकारों से जुड़े परिप्रेक्ष्य समाहित किये गए हैं.
इनमें खाद्य सुरक्षा को बरक़रार रखना, प्रवासियों व शरणार्थियों के समावेशन को सुनिश्चित करना और ऐसे क़ानूनों को हटाने का आहवान है जिनसे महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव पनपता हो.
दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र की टीमें, सरकारों, नागरिक समाजों व बच्चो के साथ मिलकर काम कर रही हैं और युवा और बच्चे भी, मानवाधिकारों पर हो रही चर्चाओं का हिस्सा बन रहे हैं.
यूएन प्रमुख के अनुसार युवा जलवायु अभियान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर युवा परामर्श समूह का गठन किया.
इस समूह का उद्देश्य, युवाओं की आवाज़ें बुलन्द करना और उनकी ऊर्जा व विचारों का उपयोग, महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई में सुनिश्चित करना है.
उन्होंने बताया कि एक ऐसी योजना पर काम किया जा रहा है जिसके ज़रिये पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी, जोकि अक्सर हिंसा और दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं.
यूएन प्रमुख के अनुसार ये क़दम अभी एक शुरुआत है और कार्रवाई की पुकार, यूएन परिवार से होती हुई, देशों, व्यवसायिक समुदायों, नागरिक समाजों और हर स्थान पर लोगों तक पहुँचती है.