अफ़ग़ानिस्तान में, शान्ति वार्ता शुरू होने के बाद से, हताहतों की संख्या बढ़ी

संयुक्त राष्ट्र की मंगलवार को जारी एक मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान में, सितम्बर 2020 में, शान्ति वार्ता शुरू होने के बाद से, देश में हताहत हुए आम लोगों की संख्या में तीव्र बढ़ोत्तरी हुई है. अलबत्ता, पूरे वर्ष 2020 के दौरान, हताहतों की संख्या में, उससे पहले के वर्ष की तुलना में, कुछ कमी दर्ज की गई है.
संयुक्त राष्ट्र मानावधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) और अफ़ग़ानिस्तान में यूएन सहायता मिशन (UNAMA) ने देश में सशस्त्र संघर्ष में आम लोगों की सुरक्षा के बारे में वार्षिक रिपोर्ट जारी की है.
Civilians in #Afghanistan in 2020 paid a terrible price for the failure of peace negotiations to progress. More than 3,000 killed with a disturbing surge in violence recorded after peace talks started in Sept. #StopCivilianCasualties Read more https://t.co/R5A8QsFxI1 pic.twitter.com/gXN2M6wlzU
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रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2020 के दौरान, देश में 3 हज़ार 35 लोगों की मौत हुई और 5 हज़ार 785 लोग घायल हुए. ये संख्या, वर्ष 2019 की तुलना में 15 प्रतिशत कम है.
वर्ष 2013 के बाद से, ये पहला मौक़ा था जब हताहतों की कुल संख्या 10 हज़ार से कम रही.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट का कहना है कि हालाँकि, अफ़ग़ानिस्तान अब भी दुनिया भर में, एक आम नागरिक होने के लिये बेहद ख़तरनाक जगह है.
उन्होंने कहा, “मैं, विशेष रूप से, सितम्बर 2020 में शान्ति वार्ता शुरू होने के बाद से, मारे गए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और मीडिया कर्मियों की बढ़ी हुई संख्या पर हतप्रभ हूँ.”
सितम्बर 2020 के बाद से, कम से कम 11 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और मीडिया कर्मियों की मौत हुई है. इसका नतीजा हुआ है कि बहुत से पेशेवर लोगों ने अपना कामकाज ख़ुद ही, सीमित कर दिया है, कुछ ने अपना पेशेवर कामकाज छोड़ दिया है, और यहाँ तक कि कुछ ने तो, इस उम्मीद के साथ अपना घर और देश ही छोड़ दिया है, उनके सुरक्षा हालात बेहतर हो जाएँगे.
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 के दौरान, हताहतों की कुल संख्या में कमी होने के पीछे, घनी आबादी वाले इलाक़ों में सरकार विरोधी तत्वों द्वारा, आत्मघाती हमलों में कमी होना एक प्रमुख कारण रहा. इसके अलावा, अन्तरराष्ट्रीय सैन्य बलों के हाथों भी हताहतों की संख्या में कमी आई है.
इसके उलट, हालाँकि, लक्षित हत्याओं, यानि चुनकर लोगों की हत्या करने के मामलों में चिन्ताजनक बढ़ोत्तरी देखी गई है, जोकि वर्ष 2019 की तुलना में, वर्ष 2020 में 45 प्रतिशत ज़्यादा रही.
रिपोर्ट कहती है कि तालेबान द्वारा दबाव प्लेट वाली संवर्धित विस्फोटक डिवाइस (IED) का प्रयोग, अफ़ग़ान वायु सेना द्वारा हमलों, और ज़मीनी लड़ाई के कारण भी, हताहतों की संख्या में वृद्धि हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार, हताहत हुए आम लोगों की कुल संख्या में लगभग 62 प्रतिशत के लिये, सरकार विरोधी तत्व ज़िम्मेदार हैं, जबकि सरकार द्वारा समर्थित बल भी लगभग 25 प्रतिशत हताहतों के लिये ज़िम्मेदार हैं. लगभग 13 प्रतिशत हताहत संख्या के लिये, लड़ाई में फँस जाने व अन्य घटनाओं को ज़िम्मेदार ठहराया गया है.
अफ़ग़ानिस्तान में, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश की विशेष प्रतिनिधि और यूएन सहायता मिशन की अध्यक्ष डैबोरा लियोन्स ने तमाम पक्षों का आहवान किया है कि आमजन की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने के लिये, तुरन्त और ठोस कार्रवाई की जाए. साथ ही ये अभी आग्रह किया गया है कि हर दिन, ऐसे ठोस क़दम उठाने में कोई क़सर बाक़ी ना छोड़ी जाए जिससे आमजन को और ज़्यादा तकलीफ़ों से बचाया जा सके.
डैबोराह लियोन्स ने कहा, “2020, अफ़ग़ानिस्तान में एक शान्ति का वर्ष हो सकता था. इसके उलट, हज़ारों अफ़ग़ान नागरिक, संघर्ष के कारण मौत का शिकार हो गए.”
उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट का उद्देश्य, जिम्मेदार पक्षों को तथ्यों व सिफ़ारिशों से अवगत कराना है ताकि वो आम लोगों की सुरक्षा के लिये तत्काल और ठोस क़दम उठा सकें.
डैबोराह लियोन्स ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि अन्ततः आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का सर्वश्रेष्ठ तरीक़ा – एक मानवीय युद्धविराम लाग करना है, ये एक ऐसी पुकार है जो यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश और सुरक्षा परिषद लगातार करते रहे हैं.
“युद्धविराम की सम्भावना पर विचार करने से बचने वाले पक्षों को, इस तरह के रवैये का, अफ़ग़ान लोगों की ज़िन्दगियों पर विनाशकारी असर को भी समझना होगा.”
रिपोर्ट में ये भी रेखांकित किया गया है कि अफ़गानिस्तान में वर्षों से चले आ रहे संघर्ष ने, महिलाओं और बच्चों पर भारी क़हर बरपाया है. कुल हताहतों की संख्या में, लगभग 43 प्रतिशत महिलाएँ और बच्चे हैं, इनमें 30 प्रतिशत बच्चे और 13 प्रतिशत महिलाएँ.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि ऐसी हिंसा जिसने, दशकों से अफ़ग़ानिस्तान की आबादी के लिये, उनकी ज़िन्दगी में, इतनी तकलीफ़ें और मुसीबतें भर दी हैं, ऐसी हिंसा को तुरन्त रोका जाना होगा, और एक दीर्घकालीन शान्ति स्थापित करने के लिये, क़दम उठाने होंगे.
डैबोराह लियोन्स ने तमाम सम्बद्ध पक्षों का आहवान किया है कि ऐसे में, जबकि ये संघर्ष जारी है तो, तमाम सम्बद्ध पक्षों को, आम लोगों को इससे सुरक्षित रखने के लिये तमाम सम्भव क़दम उठाने होंगे, इसके लिये रिपोर्ट में लिखी गई सिफ़ारिशों को पूर्ण रूप से लागू करना होगा. ये भी ध्यान रखना होगा कि शान्ति वार्ताओं में मानवाधिकार को सम्मान और उनकी रक्षा प्रमुख मुद्दा रहे.
रिपोर्ट ने तमाम पक्षों को ये भी याद दिलाया है कि आम नागरिकों या नागरिक ठिकानों को जानबूझकर हमलों का निशाना बनाया जाना अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून में गम्भीर उल्लंघन है, और ये युद्धापराधों की श्रेणी में भी रखा जा सकता है.