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अंडमान समुद्र में मुसीबत में फँसे रोहिंज्या शरणार्थियों की तुरन्त मदद की अपील

रोहिंज्या शरणार्थियों से भरी एक नाव, बांग्लादेश के टेकनाफ़ किनारे पर पहुँचने के बाद, एक व्यक्ति, एक महिला को किनारे तक पहुँचने में मदद करता हुआ. (फ़ाइल फ़ोटो)
UNICEF Patrick Brown
रोहिंज्या शरणार्थियों से भरी एक नाव, बांग्लादेश के टेकनाफ़ किनारे पर पहुँचने के बाद, एक व्यक्ति, एक महिला को किनारे तक पहुँचने में मदद करता हुआ. (फ़ाइल फ़ोटो)

अंडमान समुद्र में मुसीबत में फँसे रोहिंज्या शरणार्थियों की तुरन्त मदद की अपील

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने उन रोहिंज्या शरणार्थियों के समूह की खोजबीन करने का आहवान किया है जो अंडमान समुद्र में, लगभग एक सप्ताह से फँसे हुए हैं यानि वो सुरक्षित ठिकाने की तलाश में भटक रहे हैं.

एशिया-प्रशान्त के लिये एजेंसी के क्षेत्रीय ब्यूरो के निदेशक इन्द्रिका रटवट्टे ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि इन रोहिंज्या शरणार्थियों की सही संख्या और उनकी भौगोलिक स्थिति  के बारे में ठोस जानकारी नहीं है, और ऐसी भी ख़बरें मिली हैं कि कुछ शरणार्थी तो पहले ही अपनी जाने गँवा चुके हैं.

इन रोहिंज्या शरणार्थियों के बारे में अन्तिम जानकारी, स्थानीय समय के अनुसार, शनिवार शाम को हासिल हुई थी.

उन्होंने कहा कि इन शरणार्थियों के सही ठिकाने की जानकारी के अभाव में, आसपास के देशों के अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है, और अगर उनका जहाज़ कहीं पाया जाता है, तो तुरन्त सहायता की अपील भी की गई है.

“इन शरणार्थियों की ज़िन्दगियाँ बचाने और कोई अन्य हादसा होने से रोकने के लिये, तुरन्त कार्रवाई किये जाने की पुकार लगाई गई है.”

यूएन शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि ऐसा समझा जाता है कि ये शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार और टेकनाफ़ इलाक़े से, लगभग 10 दिन पहले रवाना हुए थे. लगभग एक सप्ताह पहले, उनके जहाज़ के इन्जिन में ख़राबी हो जाने के कारण, ये शरणार्थी, अंडमान समुद्र में कहीं भटक रहे हैं.

शरणार्थियों ने ख़बर दी है कि उनके जहाज़ में, कई दिनों से भोजन-पानी ख़त्म हो गया है, और अनेक यात्री बीमार हैं.

इन्द्रिका रटवट्टे ने कहा कि बहुत से शरणार्थी बहुत की कमज़ोर हालात में हैं और बहुत से बीमार भी हैं. हमें जानकारी मिली है कि अनेक शरणार्थियों की ज़िन्दगियाँ पहले ही ख़त्म हो चुकी हैं, और मारे गए लोगों की संख्या, पिछले 24 घंटों के दौरान और भी बढ़ी है.

अंडमान समुद्र, हिन्द महासागर का एक जलक्षेत्र है. यह बांगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में, म्याँमार के दक्षिण में और थाईलैंड के पश्चिम में, और भारत के अंडोमान निकोबार द्वीप के पूर्व में स्थित है. 

ज़िन्दगी बचाना प्राथमिकता हो

यूएन शरणार्थी एजेंसी के क्षेत्रीय अधिकारी ने तमाम देशों की सरकारों से अपील की है कि वो तलाशी और राहत कार्य शुरू करें और इस भीषण तकलीफ़ और मुसीबत में फँसे लोगों को तेज़ी से सुरक्षित ठिकाने पर पहुँचाएँ.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जैसा सदैव होता है कि लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाना सर्वोच्च प्राथमिकता होना चाहिये.

सितम्बर 2017 में, म्याँमार से भागकर, बंगाल की खाड़ी पार करके, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार ज़िले में पहुँचे, रोहिंज्या शरणार्थी,
UNICEF Patrick Brown
सितम्बर 2017 में, म्याँमार से भागकर, बंगाल की खाड़ी पार करके, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार ज़िले में पहुँचे, रोहिंज्या शरणार्थी,

इन्द्रिका रटवट्टे ने कहा, “समुद्री क़ानून के अन्तर्गत, अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों और लम्बे समय से चली आ रही परम्पराओं के तहत, समुद्र में मुसीबत में फँसे इनसानों को बचाने के कर्तव्य को सर्वोपरि रखा जाना चाहिये, चाहि उनकी राष्ट्रीयता और उनका क़ानूनी दर्जा कुछ भी हो.”

उन्होंने कहा कि यूएन शरणार्थी एजेंसी, इस मुसीबत से जीवित बचाए जाने वाले लोगों की मदद के लिये, पूरे क्षेत्र में, देशों की सरकारों को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने के लिये तत्पर है.

इसमें बचाए जाने वाले लोगों को, कोरोनावायरस महामारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के नियमों के मद्देनज़र, एकान्तवास रखने के प्रबन्ध करना भी शामिल है.

इन्द्रिका रटवट्टे ने कहा कि ये वास्तविकता कि शरणार्थी और प्रवासी जन, ख़तरनाक यात्राएँ करते हैं, इसलिये तलाशी, बचाव और उन्हें सुरक्षित ठिकाने पर पहुँचाने के लिये, तुरन्त सामूहिक कार्रवाई किया जाना बहुत ज़रूरी है.

अंडमान समुद्र को पार करने की कोशिश करने में, कई सौ लोग मौत का शिकार हो चुके हैं.

इस समुद्र यात्रा को, भूमध्य सागर की यात्रा की तुलना में, तीन गुना ज़्यादा घातक माना जाता है क्योंकि इस यात्रा के दौरान बहुत से लोग भूख, शरीर में तरल पदार्थों की कमी, इनसानों को शक्तिहीन बना देने वाली बीमारियों की चपेट में आते हैं.

इनके अलावा बहुत से लोगों को जीवित ही नावों या जहाज़ों से समुद्र में फेंक दिया जाता है, या फिर उन्हें जीवन रक्षक देखभाल व सहारे से वंचित रखा जाता है.