मातृ भाषा दिवस: समावेशी भावना के जश्न का अवसर

संयुक्त राष्ट्र की शैक्षिक और सांस्कृतिक एजेंसी – यूनेस्को ने दुनिया भर में लोगों को, विश्व भर में, स्कूलों में, और दैनिक जीवन में, बहुभाषावाद को समर्थन देकर, विविधता को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहित किया है. यही विषय, रविवार, 21 फ़रवरी को मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस की मुख्य थीम है.
इस दिवस के वार्षिक समारोहों के तहत भाषाई विविधता और बहुभाषावाद को सम्मानित किया जाता है, जिसे यूनेस्को प्रमुख ऑड्री अज़ूले ने “मानवता की बेशक़ीमती विरासत क़रार दिया है.”
21 February is International #MotherLanguageDay!⁰Let us celebrate the power of mother languages to build peace and sustainability!🗣️ https://t.co/ki3DqPASk0 🗣️ pic.twitter.com/DllYqF0uFh
UNESCO
इस वर्ष इस दिवस के तहत मुख्य ध्यान समावेश पर है, कक्षा में और समाज में.
यूनेस्को प्रमुख ऑड्री अज़ूले ने कहा, “ऐसा किया जाना आवश्यक है, क्योंकि जब विश्व की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को, उनकी बोली या समझी जाने वाली भाषा में शिक्षा प्राप्ति की सुविधा नहीं है तो, इससे उनकी सीखने की क्षमता बाधित होती है, साथ ही उनकी विरासत तक उनकी पहुँच और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति में भी व्यवधान उत्पन्न होता है.”
उन्होंने कहा, “इस वर्ष, इस दिवस के अवसर पर, बचपन से ही बहुभाषाई शिक्षा पर ख़ास ध्यान दिया जा रहा है, ताकि बच्चों के लिये, उनकी मातृ भाषा, सदैव ही एक धरोहर रहे.”
अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस ऐसे समय में मनाया जा रहा है जब दुनिया कोविड-19 महामारी का भी मुक़ाबला कर रही है.
इस महामारी ने शिक्षा में असमानताओं का दायरा और भी बढ़ा दिया है.
ऑड्री अज़ूले ने कहा कि दुनिया भर के जो लगभग डेढ़ अरब छात्र, इस स्वास्थ्य संकट के चरम पर, स्कूल जाने में असमर्थ रहे, उनमें से बहुत से छात्रों के पास, दूरस्थ शिक्षा यानि स्कूल से दूर रहकर शिक्षा हासिल करने के साधन उपलब्ध नहीं थे.
इस महामारी ने सांस्कृतिक विविधता के लिये भी ख़तरा पैदा कर दिया है क्योंकि महोत्सव और अन्य गतिविधियाँ रद्द करनी पड़ी हैं, और इसका प्रभाव रचनात्मक कार्य करने वालों और मीडिया पर भी पड़ा है.
ऑड्री अज़ूले ने बहुभाषावाद को बढ़ावा देने में यूनेस्को की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया जिसमें, इंटरनेट भी शामिल है.
यूनेस्को ही, आदिवासी भाषाओं के लिये अन्तरराष्ट्रीय दशक मनाने के लिये, अग्रणी एजेंसी है, जो वर्ष 2022 में शुरू होगा.
यूनेस्को प्रमुख ऑड्री अज़ूले ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय दशक की ही तरह, अन्तरराष्ट्रीय दिवस, विश्व की भाषाई विविधता को एक साझा धरोहर के रूप में सहेजने के प्रयास किये जाने की चुनौती पेश करते हैं.
उन्होंने कहा, “जब कोई भाषा दम तोड़ती है तो दुनिया को देखने, महसूस करने और सोचने का तरीक़ा ग़ायब हो जाता है, और तमाम सांस्कृतिक विविधता इस रूप में ख़त्म हो जाती है कि उसकी भरपाई नहीं हो सकती.”
“इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर, यूनेस्को, इसी कारण, दुनिया की तमाम विविधता का जश्न मनाए जाने का आहवान करता है, और दैनिक जीवन में बहुभाषावाद का समर्थन करता है.”