महामारी के बाद की दुनिया - असमानता व नस्लवाद के ख़ात्मे का आहवान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने नस्लवाद, भेदभाव, और विदेशियों के प्रति नापसन्दगी व डर से उपजी सामाजिक व आर्थिक विषमताओं को उजागर किया है. यूएन प्रमुख ने गुरुवार को सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए महामारी से पुनर्बहाली में ज़्यादा समावेशी समाज बनाए जाने का आहवान किया है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश सहित अन्य नेताओं ने गुरुवार को आर्थिक एवँ सामाजिक परिषद की विशेष बैठक को सम्बोधित किया.
इस बैठक का उद्देश्य महामारी पर जवाबी कार्रवाई की दिशा तय करते समय, ढाँचागत नस्लवाद, असमानता और टिकाऊ विकास के बीच सम्बन्धों की पड़ताल करना.
The #COVID19 pandemic has exposed the underlying conditions of deep inequalities, racism & discrimination in our societies. To achieve the #GlobalGoals, we must end discrimination—for all!Join the @UNECOSOC special meeting on reimagining equality: https://t.co/q7fQ0jRzdj pic.twitter.com/90F3y85iCh
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यूएन के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यह वैश्विक संकट, व्यवस्थागत पूर्वाग्रहों और भेदभाव की प्रवृत्तियों को प्रदर्शित करते हुए उसे कटघरे में खड़ा करता है.
उन्होंने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि हाशिएकरण का शिकार कुछ समूहों में कोविड-19 संक्रमणों से अन्य समूहों की तुलना में तीन गुना ज़्यादा मौतें हुई हैं.
“महामारी से उबरने और एक बेहतर दुनिया के लिये हमारे प्रयासों के दौरान, हमें एक नया सामाजिक अनुबन्ध तैयार करने की आवश्यकता है, जोकि समावेशिता और टिकाऊपन पर आधारित हो.”
“इसका अर्थ सामाजिक समरसता में निवेश करने से है.”
उन्होंने कहा कि सभी समूहों को यह देखने की आवश्यकता है कि उनकी वैयक्तिक पहचान का सम्मान हो, और उन्हें यह महसूस हो कि वे समग्र समाज का एक मूल्यवान हिस्सा हैं.
वर्चुअल रूप से आयोजित आर्थिक एवँ सामाजिक परिषद की बैठक, जून में उच्चस्तरीय राजनैतिक मँच की बैठक से पहले आयोजित की गई है.
जून में होने वाली बैठक में विषमताओं को घटाने, शान्ति, न्याय और मज़बूत संस्थाओं को को बढ़ावा देने के प्रयासों में वैश्विक प्रगति की समीक्षा की जाएगी.
परिषद के अध्यक्ष मुनीर अकरम ने कार्रवाई की अहमियत को रेखांकित करते हुए विश्व नेताओं द्वारा पिछले वर्ष यूएन की 75वीं वर्षगाँठ के दौरान लिये गए संकल्पों का उल्लेख किया.
“देशों, समाजों, समुदायों और व्यक्तियों के बीच एकजुटता और सहयोग ही एकमात्र रास्ता है, जिससे सभी के लिये नस्लवाद, विदेशियों के प्रति नापसन्दगी व डर और भेदभाव का उन्मूलन किया जा सकता है.”
इसी वर्ष दक्षिण अफ़्रीका के डर्बन शहर में नस्लवाद पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की 20वीं वर्षगाँठ है.
दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफ़ोसा ने पहले से रिकॉर्ड किये गए सन्देश के ज़रिये इस कार्यक्रम को सम्बोधित किया.
उन्होंने चिन्ता जताई कि ग़रीबी, विषमता और सामाजिक अन्याय के रूप गहरे हुए हैं, और अफ़्रीकी, अफ़्रीकी मूल के लोग, एशियाई, व एशियाई मूल के लोग, रोमा, सिन्ती सहित अन्य समुदाय मौजूदा संकट से ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.
पाकिस्तान के विदेश मन्त्री शाह महमूद क़ुरैशी ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष अनेक प्रस्ताव पेश किये हैं ताकि मानवाधिकारों के बुनियादी सिद्धान्तों के लिये संकल्प को पुष्ट किया जा सके.
इनमें ऐतिहासिक विषमताओं व अन्यायों को दूर करना, वैश्विक संस्थाओं में अफ़्रीकी मूल के लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ाना, और इस्लामोफ़ोबिया, यहूदीवाद-विरोध, और नस्लीय हिंसा से मुक़ाबले के लिये एक वैश्विक गठबन्धन का निर्माण करना है.