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भावी महामारियों का जोखिम - 'वन हैल्थ' पद्धति को मज़बूती प्रदान करने पर बल

थाईलैण्ड में वैज्ञानिक पशुजनित बीमारियों से मुक़ाबले में जुटे हैं.
CDC
थाईलैण्ड में वैज्ञानिक पशुजनित बीमारियों से मुक़ाबले में जुटे हैं.

भावी महामारियों का जोखिम - 'वन हैल्थ' पद्धति को मज़बूती प्रदान करने पर बल

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने ध्यान दिलाया है कि मानवता, पशुओं और पारिस्थितिकी तन्त्रों के स्वास्थ्य के बीच गहरा सम्बन्ध है. नई पशुजनित बीमारियों के उभरने और लोगों को उनका शिकार होने से बचाने के लिये ‘वन हैल्थ’ व्यवस्था को अपनाया जाना ज़रूरी है. ‘वन हैल्थ’ के सिद्धान्त से तात्पर्य ऐसी व्यवस्था से है, जहाँ बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य नतीजों को पाने के लिये, विभिन्न सैक्टर एक साथ मिलकर प्रयास व सम्वाद करते हैं. 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने पशु स्वास्थ्य संगठन – वार्षिक कार्यकारी समिति की 27वीं त्रिपक्षीय बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा, अतीत में, सरल नज़र आने वाला यह सिद्धान्त ऐसा नहीं है. 

“हम भावी महामारियों की रोकथाम, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिये एकीकृत वन हैल्थ पद्धति को अपनाते हुए ही कर सकते हैं. यह समय हमारी साझेदारी को नए स्तर पर ले जाने का है.”

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यूएन एजेंसी प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा है कि लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिये ‘वन हैल्थ’ को स्थानीय स्तर पर प्रणालियों में भी सम्भव बनाया जाना होगा. 

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि मौजूदा समय में उभर रहे लगभग 70 फ़ीसदी वायरस पशुजनित हैं, जोकि पशुओं से आकर, मनुष्यों को संक्रमित करते हैं. 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने सचेत किया है कि अभी नहीं मालूम कि अगला ख़तरा, अगली बीमारी कब उभरेगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि ‘वन हैल्थ’ को पशुजन्य बीमारियों से निपटने के उद्देश्य से कहीं आगे रखना होगा.

“हम मानव स्वास्थ्य की रक्षा, उन मानव गतिविधियों के असर पर विचार किये बिना नहीं कर सकते, जिनसे पारिस्थितिकी तन्त्रों में व्यवधान आता है, पर्यावासों का अतिक्रमण होता है, और जलवायु परिवर्तन आगे बढ़ता है.”

इन गतिविधियों में, प्रदूषण, व्यापक स्तर पर वनों की कटाई, सघन मवेशी उत्पादन, और एण्टीबायोटिक दवाओं का ग़लत इस्तेमाल और भोजन को उगाने, खपत व व्यापार में मौजूदा तरीक़े हैं.

प्रभावी सहयोग की दरकार

कोविड-19 से हरित व स्वस्थ पुनर्बहाली के लिये, यूएन एजेंसी के घोषणापत्र में, पर्यावरण के साथ सम्बन्धों के लिये, ‘वन हैल्थ’ पर ज़्यादा ध्यान केन्द्रित करने की बात कही गई है.

“यह एक विरोधाभास है कि कोविड-19 हमें वास्तविक बदलाव लाने का एक अनूठा अवसर प्रदान कर रहा है.” 

बताया गया है कि जी-7 और जी-20 समूह की आगामी बैठकों में भी ‘वन हैल्थ’ पर प्रमुखता से चर्चा होगी. 

यूएन एजेंसी के प्रमुख ने विभिन्न सैक्टरों में विज्ञान के ज़्यादा समावेशन, बेहतर आँकड़ों और निडर नीतियों की पैरवी करते हुए पूर्ण सरकार व पूर्ण समाज आधारित तरीक़े अपनाने पर बल दिया है.

विशेषज्ञ परिषद

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख के अनुसार, उनका संगठन, ‘वन हैल्थ’ उच्चस्तरीय विशेषज्ञ परिषद के सचिवालय की मेज़बानी करेगा और उसे हरसम्भव सहायता प्रदान की जाएगी. 

इसके ज़रिये, त्रिपक्षीय सदस्यों को कार्रवाई की प्राथमिकताएँ तय करने, आम सहमति का निर्माण करने और रचनात्मक सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा.

साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि इस भूमिका को साझा रूप से निभाने के लिये सभी साझीदारों के पास पर्याप्त संसाधन हैं. 

इस त्रिपक्षीय पहल में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, पशु स्वास्थ्य संगठन और खाद्य एवँ कृषि संगठन हैं, और इस वर्ष यूएन पर्यावरण कार्यक्रम भी इसका हिस्सा बनेगा.