पूर्वी डीआरसी में सशस्त्र गुटों की क्रूरता, बर्बादी का सबब - UNHCR

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने पूर्वी काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य (डीआरसी) में हथियारबन्द गुटों द्वारा क्रूरतापूर्ण घटनाओं को अंजाम दिये जाने और उनकी गतिविधियों के जारी रहने पर चिन्ता जताई है. यूएन एजेंसी के साझीदार संगठनों के अनुसार वर्ष 2020 में, पूर्वी क्षेत्र के तीन प्रान्तों में, दो हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
आँकड़े दर्शाते हैं कि इतुरी प्रान्त में एक हज़ार 240, उत्तरी किवू में 590, और दक्षिण किवू में 261 लोग मारे गए हैं. अधिकाँश हमलों के लिये प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हथियारबन्द गुटों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है.
पिछले दो वर्षों में, हिंसा व असुरक्षा के कारण, डीआरसी में 50 लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. इनमें से 20 लाख विस्थापित महज़ उत्तरी किवू प्रान्त में हुए हैं.
Killings and kidnappings have continued in North Kivu, DRC in 2021.UNHCR is advocating for swift and independent investigations into the crimes committed so that the perpetrators can be brought to justice. https://t.co/nNYoUtMGiE
Refugees
यूएन एजेंसी ने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा है कि ऐसी घटनाएँ, आम लोगों की ज़िन्दगियों में व्यवधान व भय पैदा करने और तबाही लाने का सबब बन गई हैं.
यूएन शरणार्थी एजेंसी और उसके साझीदार संगठनों ने बहुत से ऐसे लोगों से बात की है जोकि किसी तरह इस लक्षित हिंसा से बच निकलने में कामयाब हुए हैं.
दिसम्बर 2020 और जनवरी 2021 के बीच, हथियारबन्द गुटों की कम से कम सात मर्तबा मसीसी इलाक़े में पाँच अलग-अलग स्थानों पर गतिविधि दिखाई दी है.
फ़िलहाल 22 शिविरों में 88 हज़ार से ज़्यादा विस्थापित लोग रह रहे हैं, और उन्हें यूएन शरणार्थी एजेंसी व अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी द्वारा मदद मुहैया कराई जा रही है.
हथियारबन्द गुट उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जिन पर उन्हें काँगो के सुरक्षा बलों को मदद प्रदान करने का सन्देह है.
इनमें से बहुत से स्थानों पर एक से ज़्यादा सशस्त्र गुटों का ख़तरा मँडरा रहा है और आम लोग विभिन्न गुटों के बीच टकराव में फँसे हुए हैं.
यूएन एजेंसी को मिली रिपोर्ट के अनुसार, हथियारबन्द गुट कुछ इलाक़ों में जबरन घरों व स्कूलों पर क़ब्ज़ा कर रहे हैं, स्कूलों में गतिविधियों पर पाबन्दी लगा रहे हैं, और स्वास्थ्य केन्द्रों पर हमले कर रहे हैं.
नवम्बर 2020 में सशस्त्र गुटों ने उन लोगों पर ग़ैरक़ानूनी कर (टैक्स) की शुरुआत की थी, जोकि अपने रुतशुरु क्षेत्र में अपने गाँवों में, खेतों में काम करना चाहते हैं.
इस वजह से बहुत से लोग अपने भोजन व आय के स्रोत से वन्चित हो गये हैं, जिसकी वजह से विस्थापितों के पास इस टैक्स को देने का कोई ज़रिया नहीं है,
यूएन शऱणार्थी एजेंसी ने सभी पक्षों से विस्थापितों के लिये बनाए गए शिविरों में सुरक्षा व मानवीय पहलुओं का पूर्ण सम्मान करने की अपील की है. साथ ही अपराधों के दोषियों की जवाबदेही तय किये जाने की माँग की है.
काँगो में सशस्त्र गुटों के ख़िलाफ़ सेना के अभियान में अतीत के मुक़ाबले ज़्यादा सफलता मिल रही है, लेकिन फिर भी सेना में प्रभावित इलाक़ों को पूर्ण रूप से सुरक्षित बनाने की क्षमता का अभाव है.
इससे हथियारबन्द लड़ाकों को इलाक़ों पर फिर से क़ब्ज़ा करने और जनसमूहों पर अपनी माँगों को थोपने का अवसर मिल जाता है.
घरेलू विस्थापितों की मदद के लिये यूएन शरणार्थी एजेंसी को वित्तीय संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
यूएन एजेंसी को, डीआरसी में अहम अभियानों को जारी रखने के लिये 19 करोड़ डॉलर से ज़्यादा धनराशि की आवश्यकता है, लेकिन इसके महज़ छह फ़ीसदी का ही इन्तज़ाम हो पाया है.