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कोरोनावायरस वैक्सीन का त्वरित वितरण - यूनीसेफ़ और विमान कम्पनियों में समझौता

यूनीसेफ़ ने फ़रवरी 2021 के शुरुआती दिनों में युगाण्डा में मेडिकल उपकरणों की खेप रवाना की.
© UNICEF/Maria Nabatanzi
यूनीसेफ़ ने फ़रवरी 2021 के शुरुआती दिनों में युगाण्डा में मेडिकल उपकरणों की खेप रवाना की.

कोरोनावायरस वैक्सीन का त्वरित वितरण - यूनीसेफ़ और विमान कम्पनियों में समझौता

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई के लिये एक नई पहल की शुरुआत की है जिसके तहत ज़रूरी दवाओं, मेडिकल उपकरणों और त्वरित वैक्सीन वितरण को प्राथमिकता देने के इरादे से दस से ज़्यादा अग्रणी विमान कम्पनियों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं. वायु मार्ग से माल ढुलाई पर केन्द्रित यूनीसेफ़ की पहल (UNICEF Humanitarian Airfreight Initiative) के अन्तर्गत विमान कम्पनियाँ 100 से ज़्यादा देशों में वैक्सीन पहुँचाने में मदद करेंगी.

बताया गया है कि इस पहल के ज़रिये समय बीतने के साथ अन्य मानवीय व स्वास्थ्य संकटों पर कारर्वाई के लिये वैश्विक स्तर पर लॉजिस्टिक ढाँचा तैयार करने में भी मदद मिलेगी. 

यूनीसेफ़ की आपूर्ति डिवीज़न की निदेशक ऐतलेवा कदीली ने कहा कि जीवनरक्षक वैक्सीनों की विशाल संख्या, उन्हें सुरक्षित रखने के लिये कोल्ड चेन ज़रूरतों, और विश्व भर में परिवहन मार्गों की विविधता के मद्देनज़र उनका वितरण एक वृहद और जटिल कार्य है. 

"कोविड-19 वैक्सीन के वितरण में समर्थन प्रदान करने के लिये यूनीसेफ़ की वायु माल ढुलाई पहल का हिस्सा बनाने के लिये हम इन एयरलाइन्स के आभारी हैं."

इन विमान कम्पनियों में कोरियन एयर, लुफ़्थान्सा कार्गो, क़तर एयरवेज़, सिन्गापुर एयरलाइन्स, कैथे पैसेफ़िक, ऐमिरेट्स स्काईकार्गो, ऐतिहाद एयरवेज़ सहित अन्य एयरलाइन्स शामिल हैं.

ये प्रयास, विश्व स्वास्थ्य संगठन व साझीदार संगठनों के नेतृत्व में स्थापित ‘कोवैक्स पहल’ के तहत किये जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य विकासशील व ज़रूरतमन्द देशों के लिये न्यायसंगत ढँग से वैक्सीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है.

कोवैक्स पहल के अन्तर्गत पहले चरण में मौजूदा वैक्सीन आवण्टन योजना के आधार पर, 145 देशों देशों को वैक्सीन की ख़ुराकें मिलेंगी. 

इससे इन देशों में लगभग तीन फ़ीसदी आबादी को संक्रमण से रक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है.  

काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में एक स्वास्थ्यकर्मी वैक्सीन का टीका तैयार कर रही है.
UNICEF/Sibylle Desjardins
काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में एक स्वास्थ्यकर्मी वैक्सीन का टीका तैयार कर रही है.

फ़िलहाल इसे वर्ष 2021 की पहली छमाही में ही शुरू किये जाने की योजना है लेकिन इसके तहत आवण्टन योजनाओं और अन्य शर्तों को पूरा किया जाना अहम होगा. 

दवाओं, वैक्सीनों और उपकरणों की जीवनरक्षक आपूर्ति की खेप को प्राथमिकता दिये जाने के अलावा, विमान कम्पनियाँ तापमान नियन्त्रण और सुरक्षा उपायों का भी ध्यान रखेंगी.

साथ ही वायु मार्गों पर ज़रूरतों के अनुसार विमानों की माल ढुलाई क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा. 

वैक्सीनों और अन्य अहम सामग्रियों के सामयिक व सुरक्षित वितरण और उन्हें ज़रूरतमन्द बच्चों व परिवारों तक पहुँचाने के लिये ये उपाय महत्वपूर्ण हैं. 

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष  दुनिया भर में टीकाकरण अभियानों में अहम भूमिका निभाता रहा है.

यूनीसेफ़ और कोविड-19 वैक्सीन वितरण

यूनीसेफ़ ने कोविड-19 पर वैक्सीन के इन्तज़ाम के लिये हो रहे प्रयासों के तहत , हाल ही में Pfizer-BioNTech के साथ समझौते की घोषणा की है. 

इस आपूर्ति समझौते से यूनीसेफ़ चार करोड़ वैक्सीन ख़ुराकें ख़रीद सकेगा.

वैक्सीन के वितरण की शुरुआत मार्च महीने के अन्त से पहले होने की सम्भावना जताई गई है लेकिन उससे पहले सम्बन्धित देशों को कोवैक्स पहल की शर्तों व आवश्यकताओं को पूरा करना होगा. 

Pfizer-BioNTech कोविड-19 के लिये पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसे यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की ओर से आपात इस्तेमाल की मंज़ूरी मिली है.  

जॉनसन एण्ड जॉनसन कम्पनी की वैक्सीन का वितरण 2021 की पहली छमाही में शुरू होने की सम्भावना है.
Janssen
जॉनसन एण्ड जॉनसन कम्पनी की वैक्सीन का वितरण 2021 की पहली छमाही में शुरू होने की सम्भावना है.

इसके भण्डारण के लिये बेहद कम तापमान की व्यवस्था करनी होती है, जिसे सुनिश्चित करने के लिये, यूनीसेफ़ अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों को सहायता प्रदान कर रहा है. 

इससे पहले, 3 फ़रवरी को, यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने, एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जाने की घोषणा की थी, जिसके तहत 100 देशों के लिये कोविड-19 वैक्सीन की एक अरब दस करोड़ ख़ुराकों का इन्तज़ाम किया गया है.

यह समझौता भारत में सीरम इन्स्टीट्यूट के साथ एस्ट्राज़ेनेका/ऑक्सफ़र्ड वैक्सीन और नोवावैक्स वैक्सीन के लिये किया गया है.

यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा कि निम्न और मध्य आय वाले देशों को प्रति ख़ुराक तीन डॉलर का भुगतान करना होगा.