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विश्व रेडियो दिवस: बदलते ज़माने के साथ, बदलता रेडियो

स्पेन में एक निर्धन इलाक़े के लिये लक्षित सामुदायिक रेडियो के लिये बच्चे कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं.
Kim Manresa/Educo NGO
स्पेन में एक निर्धन इलाक़े के लिये लक्षित सामुदायिक रेडियो के लिये बच्चे कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं.

विश्व रेडियो दिवस: बदलते ज़माने के साथ, बदलता रेडियो

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने शनिवार, 13 फ़रवरी, को ‘विश्व रेडियो दिवस’ पर रेडियो की महत्ता की ओर ध्यान आकृष्ट किया है. यूनेस्को के अनुसार 110 वर्ष पुराने इस माध्यम में बदलती दुनिया और तकनीक के अनुरूप बदलाव अपनाने की क्षमता है, और कोरोनावायरस संकट के दौरान पेश आई चुनौतियों से निपटने में यह एक प्रमुख औज़ार साबित हुआ है.

इस वर्ष, विश्व रेडियो दिवस की थीम ‘नई दुनिया, नया रेडियो’ रखी गई है जिसके ज़रिये, समाज में आ रहे बदलावों और श्रोताओं की बदलती ज़रूरतों के अनुरूप ख़ुद को ढाल लेने की रेडियो माध्यम की क्षमता पर ध्यान आकृष्ट किया गया है.

यह दसवीं बार है जब विश्व रेडियो दिवस मनाया जा रहा है. 

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इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन की प्रमुख ऑड्रे अज़ोले ने कहा कि वर्ष 2020 दर्शाता है कि रेडियो एक माध्यम के रूप में समकालीन समाजों के लिये अभी कितना अहम है.

दुनिया में आये बदलावों के साथ-साथ, रेडियो भी बदलता रहा है. 

लेकिन समाज में आ रहे बदलावों पर नज़र बनाए रखते हुए उसके अनुरूप ढालते हुए रेडियो मानवता के इतिहास को दर्ज करता रहा है.
कोरोनावायरस संकट के दौरान यह बिल्कुल स्पष्ट रूप से दिखाई दिया है.

विशेष रूप से उन देशों में, जहाँ रेडियो के माध्यम से अनेक समुदायों में पढ़ाई-लिखाई को जारी रखने और भ्रामक जानकारियों से निपटने में मदद मिली. 

यूनेस्को प्रमुख के अनुसार कोविड-19 महामारी के दौरान यह फिर से स्पष्ट हुआ है कि विकासशील देशों में 75 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी तक रेडियो की पहुंच है और यह सूचना पाने का अब भी सबसे सुलभ माध्यम है.

इसी वजह से संकट के दौरान पेश आई चुनौतियों से निपटने का यह एक प्रमुख औज़ार साबित हुआ है.

रेडियो के माध्यम से ज़िन्दगियों को बचाने में सफलता मिली, महत्वपूर्ण स्वास्थ्य उपायों को प्रसारित किया गया, भरोसेमन्द जानकारी को सुलभ बनाया गया, और नफ़रत भरे सन्देशों व भाषणों का मुक़ाबला किया गया है.

डिजिटल युग में प्रासन्गिकता

यूनेस्को ने 56 भाषाओं में रॉयल्टी-मुक्त ऑडियो सन्देशों को तैयार करते हुए उन्हें दुनिया भर में रेडियो स्टेशनों के साथ उन्हें साझा किया है. इसका उद्देश्य झूठी ख़बरों और अफ़वाहों पर अंकुश लगाना है. 

बदलती तकनीक के दौर में रेडियो को सर्वजन के लिये, सर्वत्र सुलभ बनाए रखने के लिये रेडियो माध्यम में ज़रूरी बदलाव हुए हैं. 

अतीत के वर्षों में रेडियो महज़ आमतौर पर मेज़ पर रखा एक सरल सा दिखाई देने वाला ट्रान्जिस्टर होता था. 

लेकिन अब स्मार्टफ़ोन के ज़माने में इसे कहीं भी ले जाया जा सकता है, और किसी भी समय सुना जा सकता है.  

रेडियो अब महज़ ध्वनि का माध्यम नहीं है, तकनीकी प्रगति और डिजिटलीकरण से इसने व्यवहारों और जीवनशैली के अनुरूप ख़ुद को ढाल लिया है.
मौजूदा दौर में रेडियो को टीवी पर भी सुना जाता है, और टीवी रेडियो पर सुना जा सकता है. 

श्रोता अपने पॉडकास्ट को डाउनलोड कर सकते हैं, और जब चाहे तब सुन सकते हैं.

यूनेस्को प्रमुख ने ध्यान दिलाया है कि ये तकनीकी बदलाव दर्शाते हैं कि दैनिक ज़रूरतों को पूरा करते हुए रेडियो अब भी एक अहम माध्यम है और उसमें नवाचारी समाधानों और बदलावों को अपनाने की क्षमता है.

‘विश्व रेडियो दिवस’ पर यूनेस्को ने श्रोताओं, रेडियो प्रसारकों, और ऑडियो-विज़ुअल क्षेत्र से जुड़े लोगों से रेडियो के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने और भरोसेमन्द सूचना को साझा कल्याण के रूप में बढ़ावा देने का आहवान किया है.