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म्याँमार: प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध, सुरक्षा बलों द्वारा कथित बल प्रयोग पर 'गम्भीर चिन्ताएँ'

म्याँमार की पूर्व राजधानी और व्यावसायिक केन्द्र यंगून के एक बाहरी इलाक़े में नज़र आता एक पगोड़ा.
Unsplash/Kyle Petzer
म्याँमार की पूर्व राजधानी और व्यावसायिक केन्द्र यंगून के एक बाहरी इलाक़े में नज़र आता एक पगोड़ा.

म्याँमार: प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध, सुरक्षा बलों द्वारा कथित बल प्रयोग पर 'गम्भीर चिन्ताएँ'

मानवाधिकार

म्याँमार में संयुक्त राष्ट्र ने, मंगलवार को, उन प्रदर्शनकारियों पर, सुरक्षा बलों द्वारा कथित रूप से बल प्रयोग किये जाने पर गम्भीर चिन्ताएँ व्यक्त की हैं, जिन्होंने, हाल ही में देश की सत्ता पर सेना द्वारा क़ब्ज़ा किये जाने और अनेक राजनैतिक हस्तियों को गिरफ़्तार किये जाने के विरोध में प्रदर्शन किये हैं.

म्याँमार में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी (आरसी) और मानवीय सहायता कार्यों के संयोजक ओला अल्मग्रेन ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “मैं सुरक्षा बलों से लोगों के मानवाधिकार और बुनियादी स्वतन्त्रताओं का सम्मान करने का आहवान करता हूँ, जिनमें शान्तिपूर्ण सभाएँ करने का अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता शामिल हैं.”

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उन्होंने कहा, “प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध आवश्यकता से अधिक बल प्रयोग अस्वीकार्य है.” 

म्याँमार में यूएन कार्यालय ने राजधानी नाय प्यी थाव, मंडालय और अन्य शहरों से मिली ख़बरों का हवाला दिया है जहाँ प्रदर्शनों पर सुरक्षा बलों द्वारा बल प्रयोग में, अनेक प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं, उनमें से कुछ लोग गम्भीर रूप से घायल हुए हैं.

म्याँमार में शीर्ष यूएन पदाधिकारी ओला अल्मग्रेन ने यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश की वो पुकार दोहराई कि सैन्य नेतृत्व को देश के आमजन की इच्छा का सम्मान करना होगा और लोकतान्त्रिक मानकों का पालन करना होगा, साथ ही, किसी भी तरह के मतभेद, शान्तिपूर्व वार्ता के ज़रिये सुलझाने होंगे.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने भी सप्ताहान्त पर, म्याँमार के सुरक्षा बलों का आहवान किया था कि आमजन के, शान्तिपूर्ण तरीक़े से एकत्र होने और सभाएँ करने, के अधिकार का सम्मान किया जाए, और प्रदर्शन करने के लिये, उन पर बदले की कार्रवाई नहीं की जाए.

ध्यान रहे कि सोमवार, 1 फ़रवरी को देश की सत्ता पर सेना ने क़ब्ज़ा कर लिया था और अनेक राजनैतिक हस्तियों को बन्दी बना लिया था. 

इस घटनाक्रम से पहले, नवम्बर 2020 में, चुनाव हुए थे जिनमें आँग सान सू ची के नेतृत्व वाले दल नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रोसी (एनएलडी) ने बहुमत हासिल किया था.

मगर सेना ने चुनावों में धाँधली होने के आरोपों का हवाला देते हुए हुए सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया और देश में एक वर्ष के लिये आपात स्थिति की घोषणा कर दी. 

म्याँमार पर बैठक

इस बीच, मानवाधिकारों पर, संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अन्तर-सरकारी संस्था - यूएन मानवाधिकार परिषद ने, म्याँमार में मौजूदा संकट की स्थिति के, मानवाधिकारों पर प्रभावों और परिणामों पर विचार करने के लिये, शुक्रवार, 12 फ़रवरी को एक विशेष बैठक बुलाई है.

मानवाधिकार परिषद के अनुसार, ये विशेष बैठक, ब्रिटेन और योरोपीय संघ के आधिकारिक अनुरोध पर आयोजित की जा रही है.

परिषद ने सोमवार को बताया था कि इस आधिकारिक अनुरोध में कहा गया था कि स्थिति की महत्ता और तात्कालिकता को देखते हुए, विशेष सत्र बुलाए जाने की आवश्यकता है.

ये विशेष सत्र, कोरोनावायरस महामारी के कारण लागू विशेष प्रावधानों के तहत, मुख्य रूप से वर्चुअल और डिजिटल माध्यमों से होगा. 

किसी मुद्दे या विषय पर, परिषद का कोई विशेष सत्र बुलाए जाने के लिये, परिषद के 47 सदस्यों में से, एक तिहाई के समर्थन की आवश्यकता होती है यानि, 16 या उससे ज़्यादा.

मंगलवार तक, इस विशेष सत्र के लिये 19 सदस्य देशों का समर्थन मिल चुका था. साथ ही, 28 पर्यवेक्षक देश भी इस अनुरोध का समर्थन कर चुके हैं.