भारत: ग्लेशियर टूटने से हुए भारी नुक़सान पर यूएन प्रमुख ने जताया दुख, मदद की पेशकश
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भारत के उत्तराखण्ड प्रदेश में ग्लेशियर (हिमनद) टूटने से जान-माल के भारी नुक़सान पर गहरा दुख व्यक्त किया है. यूएन प्रमुख ने साथ ही, राहत और बचाव कार्यों में, किसी भी तरह की ज़रूरत में, मदद की पेशकश की है.
भारत के उत्तराखण्ड प्रदेश में, रविवार सुबह हिमालय क्षेत्र में एक ग्लेशियर टूटने के बाद बहुत तेज़ रफ़्तार वाली बाढ़ आई जिसमें भारी चट्टानें और मलबा नीचे की तरफ़ बह निकला. इसमें अहम बुनियादी ढाँचे को भारी नुक़सान होने की ख़बरें हैं और एक स्थानीय बाँध को भी नुक़सान पहुँचा है.
The #UN stands ready if necessary to contribute to the ongoing rescue and assistance efforts following the glacier burst and subsequent flooding in Uttarakhand State in India, says @antonioguterres. 👇👇👇https://t.co/VJ3gRe3IJ9 @UNinIndia
UN_Spokesperson
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने रविवार रात को जारी एक वक्तव्य में कहा है कि महासचिव, उत्तराखण्ड प्रदेश में, ग्लेशियर टूटने और उसके बाद आई बाढ़ में अनेक लोगों की मौत और अन्य अनेक के लापता होने पर बहुत दुखी हैं.
वक्तव्य में, महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस प्राकृतिक आपदा के कारण प्रभावित हुए पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी सम्वेदना व्यक्त की है. साथ ही आमजन व भारत सरकार के साथ भी सहानुभूति व्यक्त की है.
वक्तव्य में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र, राहत और बचाव कार्यों में, आवश्यकता पड़ने पर, किसी भी तरह की मदद करने के लिये, बिल्कुल तैयार और मुस्तैद है.
भारत में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के अनुसार, कम से कम 27 लोगों के मारे जाने, और 170 से ज़्यादा के लापता होने की ख़बरें हैं. हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है.
स्थानीय समय के अनुसार, सोमवार, सुबह, लगभग 15 लोगों को जीवित बचा लिया गया था.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने भी इस हादसे में जान-माल के नुक़सान पर दुख प्रकट किया है.
यूएन एजेंसी की भारत में प्रतिनिधि शोको नाडा ने कहा, "उत्तराखण्ड में, रविवार को हिमनद टूटने और उसके बाद आई बाढ़ से हुए नुक़सान पर हम बहुत दुखी हैं."
उन्होंने कहा, "ये प्राकृतिक आपदा ये याद दिलाने वाली अन्य घटना समझी जा सकती है कि जलवायु परिवर्तन, पहले से ही नाज़ुक पारिस्थितिकी व्यवस्था को, किस तरह प्रभावित कर रहा है."
यूएनडीपी प्रतिनिधि ने, प्रभावित इलाक़ों में, राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चलाए जाने के लिये, भारत की केन्द्र सरकार व उत्तराखण्ड प्रदेश की सरकार की सराहना की है.
जलवायु परिवर्तन का असर
मीडिया ख़बरों के अनुसार, उत्तराखण्ड सरकार ने बड़े स्तर पर राहत और बचाव कार्य शुरू किये हैं और देश के अर्द्धसैनिक बल भी इन कार्यों में सहायता कर रहे हैं.
ख़बरों के अनुसार, विशेषज्ञ, दूरदराज़ के एक इलाक़े में हुई इस प्राकृतिक आपदा के कारणों की जाँच-पड़ताल कर रहे हैं.
हिमनदों का टूटना और परिणामस्वरूप, तेज़ गति से बाढ़ आना, अत्यन्त विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है. विशेष रूप में, स्थानीय समुदायों और बुनियादी ढाँचे के लिये इसके बहुत गम्भीर परिणाम होते हैं.
ख़ासतौर से, हिमालय क्षेत्र में, इस तरह के प्राकृतिक हादसों के लिये बहुत नाज़ुक हालात हैं, और ये जोखिम, जलवायु परिवर्तन व तापमान वृद्धि के कारण और भी बढ़ गया है.