FGM: महिला ख़तना को बन्द करने और लाखों लड़कियों की सुरक्षा के लिये, एकजुटता की पुकार
संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष लाखों लड़कियों व महिलाओं को महिला जननाँग विकृति (FGM) के जोखिम से बाहर निकालने के लिये, समाज के तमाम क्षेत्रों और स्तरों पर, सहयोग व एकजुटता से काम लेने का आहवान किया है. महिला जननाँग विकृति को महिला ख़तना भी कहा जाता है.
कोरोनावायरस महामारी के कारण, चूँकि अनेक स्कूल बन्द हुए हैं, और ऐसे कार्यक्रमों को रोकना पड़ा है जिनके तहत इस हानिकारक प्रथा से लड़कियों की रक्षा की जाती है, इसलिये ये आशंकाएँ व चिन्ताएँ भी व्यक्त की गई हैं कि अगले एक दशक के दौरान, महिला ख़तना के, लगभग 20 लाख अतिरिक्त मामले हो सकते हैं.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, ‘महिला ख़तना के लिए अन्तरराष्ट्रीय शून्य सहिष्णुता दिवस’ के अवसर पर अपने सन्देश में ध्यान दिलाया कि एकजुटता के साथ काम करके, “हम महिला ख़तना की प्रथा को वर्ष 2030 तक समाप्त कर सकते हैं.”
यह दिवस 6 फ़रवरी को मनाया जाता है.
महासचिव ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र चूँकि, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये कार्रवाई दशक, शुरू कर रहा है, आइये, हम इस दशक को, महिला ख़तना के लिये शून्य बर्दाश्त का दशक बनाएँ.”
“ऐसा करने से, लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक प्रगति पर अनेक सकारात्मक प्रभाव होंगे.”
... अन्तर-सम्बन्ध
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ़) और यूएन जनसंख्या कोष (UNFPA) की प्रमुखों ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि महिला ख़तना को ख़त्म किया जाना और लैंगिक समानता हासिल करने के बीच अन्तर-सम्बन्ध है, इसलिये इन दोनों लक्ष्यों को हासिल करने पर उसी रूप में ज़ोर देना होगा.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फ़ोर और जनसंख्या कोष की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर नतालिया कनेम ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा है, “आसान भाषा में कहें तो, यदि लैंगिक समानता हासिल कर ली जाती है तो, महिला ख़तना के लिये कोई जगह ही नहीं बचेगी. हम एक ऐसी ही दुनिया बनाने का सपना देखते हैं.”
उन्होंने कामकाज के स्थानों पर भी लड़कियों और महिलायों को महिला ख़तना से सुरक्षित रखने के लिये, समाज के तमाम स्तरों और क्षेत्रों में, मज़बूत सहयोग व एकजुटता अपनाए जाने का आग्रह किया है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हम जानते हैं कि क्या क़दम या रणनीति कारगर होती है. हम कोई बहाना नहीं सुनना चाहते. हम महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध बहुत हिंसा देख चुके हैं. अब कारगर साबित हो चुकी रणनीतियों पर एकजुट होने, उनके लिये पर्याप्त धन मुहैया कराने और कार्रवाई करने का समय है.”
गम्भीर नतीजों वाली भयानक प्रथा
महिला जननाँग विकृति (FGM) जिसे, महिला ख़तना भी कहा जाता है, एक ऐसी हानिकारक प्रथा है जिसमें महिला जननाँग के कुछ बाहरी हिस्से को, बिना किसी चिकित्सा कारण के, काट दिया जाता है.
जिन समाजों या समुदायों में ये प्रथा प्रचलित है, वहाँ इस कृत्य को किसी परम्परागत जानकारी वाले व्यक्ति द्वारा खुट्टल या कुन्द और अस्वच्छ औज़ारों के ज़रिये अंजाम दिया जाता है, और पीड़ित को ये अनौपचारिक ऑपरेशन करते समय बेहोश भी नहीं किया जाता है.
इस प्रथा का शिकार होने वाली लड़कियों और महिलाओं पर, इसके गम्भीर शारीरिक व मानसिक परिणाम होते हैं. इससे उत्पन्न होने वाली जटिलताओं में, दर्द, अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण, यौन सम्बन्धों में के दौरान दर्द होना और अन्य यौन बीमारियाँ होना शामिल हैं.
महिला ख़तना के मानसिक प्रभाव भी होते हैं और बहुत से पीड़ितों में चिन्ता, अवसाद, ख़ुद को अपूर्ण समझने और हर समय भयभीत महसूस करने जैसे लक्षण देखे जाते हैं.
पुरुषों और लड़कों की भूमिका
हैनरिएटा फ़ोर और डॉक्टर नतालिया कनेम ने तमाम महत्वपूर्ण पक्षों में भी, महिला ख़तना की प्रथा के विरुद्ध एकता और एकजुटता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है. जिनमें सिविल सोसायटी, ज़मीनी स्तर पर सक्रिय संगठन, महिलाधिकारों के लिये काम करने वाले संगठन, शिक्षकगण, स्वास्थ्यकर्मी, क़ानून लागू करने वाली एजेंसियाँ व न्यायिक अधिकारी और धार्मिक हस्तियाँ व बुज़ुर्ग शामिल हैं.
उन्होंने साथ ही, ज़ोर देकर ये भी कहा कि इस मुहिम में पुरुषों और लड़कों को भी बहुत अहम भूमिका निभानी है. इसलिये पुरुषों और लड़कों से भी ऐसे पीड़ितों की आवाज़ें बुलन्द करने के प्रयास बढ़ाने का आहवान किया गया है जो अपने समुदायों में बदलाव का रास्ता दिखा रहे हैं.
अन्तरराष्ट्रीय दिवस
महिला ख़तना के लिये शून्य सहिष्णुता अन्तरराष्ट्रीय दिवस, हर वर्ष 6 फ़रवरी को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य महिला ख़तना का ख़ात्मा करने के प्रयासों को रास्ता दिखाना और उनमें तेज़ी लाना है.
यूएन महासभा ने वर्ष 2012 में ये दिवस मनाए जाने को मंज़ूरी दी थी.
वर्ष 2021 में इस दिवस की थीम रखी गई है – “No Time for Global Inaction: Unite, Fund, and Act to End Female Genital Mutilation.”