सुरक्षा परिषद: आँग सान सू ची की रिहाई की माँग, लोकतन्त्र के लिये समर्थन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गुरुवार को जारी अपने प्रेस वक्तव्य में, म्याँमार में हाल ही में, सेना द्वारा सत्ता पर क़ब्ज़ा किये जाने के घटनाक्रम पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है. सुरक्षा परिषद ने साथ ही, देश की निर्वाचित नेता आँग सान सू ची और विन म्यिन्त की तत्काल रिहाई का आग्रह किया है.
सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने म्याँमार के लोकतन्त्र को मज़बूती प्रदान करने की दिशा में प्रयासों को समर्थन जारी रखने की बात कही है.
सोमवार को म्याँमार की सेना ने पाँच साल के नागरिक प्रशासन पर विराम लगाते हुए सत्ता को हथियाते हुए, देश के शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया था.
सैन्य शासन ने सत्ता की बागडोर एक वर्ष तक अपने हाथों में रखने की घोषणा की है.
एक दिन पहले ही म्याँमार के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई लेकिन वक्तव्य के मसौदे पर सहमति नहीं बन पाई थी.
गुरुवार को जारी बयान में, हिरासत में लिये गए सभी लोगों को तत्काल रिहा करने की माँग की गई है.
सुरक्षा परिषद ने ज़ोर देकर कहा है कि लोकतान्त्रिक संस्थाओं व प्रक्रियाओं को बरक़रार रखना होगा, हिंसा से दूर रहना होगा, और मानवाधिकारों, बुनियादी आज़ादियों, व क़ानून के राज का पूर्ण सम्मान करना होगा.
बुधवार को आँग सान सू ची पर ग़ैरक़ानूनी ढँग से ऐसे वॉकी-टॉकी (संचार साधन) रखने का आरोप लगाया गया है जिन्हें कथित रूप से बाहर से मँगाया गया था.
म्याँमार में मौजूदा संकट नवम्बर 2020 में हुए चुनावों के बाद शुरू हुआ. ध्यान रहे कि ये चुनाव एक दशक पहले सैन्य शासन का अन्त होने के बाद, देश में दूसरा लोकतान्त्रिक चुनाव था.
इन चुनावों में आँग सान सू ची की नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने भारी जीत हासिल की है लेकिन सेना ने पार्टी पर मतदान में धाँधली के आरोपों की जाँच में विफल रहने का आरोप लगाया है.
15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद ने म्याँमार की जनता की इच्छा व हितों के अनुरूप सम्वाद व आपसी मेललमिलाप को बढ़ावा दिये जाने को प्रोत्साहन दिया है.
फ़ेसबुक पर पाबन्दी
सुरक्षा परिषद के वक्तव्य में नागरिक समाज, पत्रकारों व मीडियाकर्मियों पर लगाई गई पाबन्दियों पर चिन्ता जताई गई है और सभी ज़रूरतमन्दों तक मानवीय राहत पहुँचाने का रास्ता खुला रखे जाने का आहवान किया गया है.
ख़बरों के अनुसार म्याँमार में सैन्य शासन ने देश भर में फ़ेसबुक पर कई दिनों के लिये पाबन्दी लगा दी है, जोकि देश की आधी आबादी के लिये जानकारी का मुख्य स्रोत है.
फ़ेसबुक ने एक बयान जारी करके, स्थानीय प्रशासन से सम्पर्क व संचार बहाल करने का आग्रह किया है.
सुरक्षा परिषद ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि राख़ीन प्रान्त में संकट के बुनियादी कारणों को दूर किया जाना होगा.
वर्ष 2017 में सेना की कार्रवाई के दौरान जान बचाने के लिये लाखों रोहिंज्या मुसलमानों ने भागकर, पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ले ली थी.
सुरक्षा परिषद ने ऐसी परिस्थितियों के निर्माण पर बल दिया गया है जिनसे विस्थापितों की सुरक्षित, स्वैच्छिक, टिकाऊ और गरिमामय वापसी सुनिश्चित हो सके.