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कोविड-19: महामारी से वैश्विक मछली उद्योग में भारी उठापठक

गयाना की रूपूमुनी नदी में एक स्थानीय महिलाए मछली पकड़ रही है.
© FAO/Brent Stirton
गयाना की रूपूमुनी नदी में एक स्थानीय महिलाए मछली पकड़ रही है.

कोविड-19: महामारी से वैश्विक मछली उद्योग में भारी उठापठक

एसडीजी

वैश्विक महामारी कोविड-19 दुनिया भर में मछली पालन उद्योग में व्यापक उथलपुथल का सबब बन गई है. संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवँ कृषि संगठन (UNFAO) ने मंगलावर को एक नई रिपोर्ट पेश की है जिसमें महामारी के कारण मत्स्य उद्योग पर हुए असर का आकलन प्रस्तुत किया गया है.

यूएन एजेंसी में उपमहानिदेशक मारिया हेलेना सेमेदो ने बताया कि उत्पादन में व्यवधान आया है, आपूर्ति श्रंखला में रुकावटें हैं और उपभोक्ताओं द्वारा किया जाने वाला ख़र्च तालाबन्दियों के कारण प्रभावित हुआ है. 

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‘The impact of COVID-19 on fisheries and aquaculture food systems’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के मुताबिक ऐहतियाती उपायों व पाबन्दियों के कारण माँग और आपूर्ति पर असर अब भी जारी है और इसके प्रभाव पूरे साल बने रह सकते हैं. 

यूएन एजेंसी के आकलन के अनुसार कड़े प्रतिबन्धों के कारण वर्ष 2020 में मछली की आपूर्ति, खपत और व्यापार राजस्व में गिरावट दर्ज हुई है. 

वैश्विक मत्स्य पालन उद्योग में, पिछले अनेक वर्षों की तुलना में, हाल में, पहली बार कमी आई है.  

“पाबन्दी सम्बन्धी उपायों के कारण व्यापक प्रभाव वाले बदलाव आए हैं, जिनमें से अधिकाँश लम्बे समय तक जारी रह सकते हैं.”

आपूर्ति पर असर

रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि मत्स्य उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) का हर चरण, इन पाबन्दियों के कारण व्यवधान का शिकार होने या रुकने के प्रति सम्वेदनशील है.

सबसे ज़्यादा बिक्री वाली प्रजातियों के लिये मत्स्य मूल्य सूचकाँक - ‘Fish Price Index’ लुढ़का है और अनेक देशों में रेस्तराँ व होटल बन्द होने से, ताज़ा मछली की माँग में गिरावट आई है.

यूएन एजेंसी की उपप्रमुख ने कहा कि विकासशील देशों में यह असर बड़े पैमाने पर हुआ है. 

विशेष रूप से उन देशों में जहाँ अनौपचारिक क्षेत्र का आकार बड़ा है और जहाँ समुदाय अपनी खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिये छोटे स्तर के मत्स्य पालन पर निर्भर हैं.

“इन पाबन्दियों का सबसे ज़्यादा असर उन्हीं पर हुआ है.”

रिपोर्ट के मुताबिक़ कोविड-19 सम्बन्धी पाबन्दियों और बाज़ार में मौजूदा हालात के कारण मछली पकड़े जाने में कमी आई है.

कोरोनावायरस संकट के कारण उपभोक्ताओं की प्राथमिकता पर भी असर पड़ा है और लोग अब जल्दी ख़राब ना होने वाले भोजन पर ध्यान दे रहे हैं. 

इससे ताज़ा मछली के बजाय सील बन्द और जमे हुए (Frozen) उत्पादों की माँग बढ़ी है.

कोविड-19 फैलने से पहले इस सैक्टर में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही थी और प्रति वर्ष, प्रति व्यक्ति औसत खपत बढ़कर 20 किलोग्राम हो गई थी. 

यूएन एजेंसी ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा के लिये यह ज़रूरी है कि सीमाओं पर लागू पाबन्दियाँ कम से कम की जाएँ. साथ ही सैक्टर और क्षेत्रीय संगठनों से साथ मिलकर महामारी के प्रभावों का सामना करने की अपील की गई है.

कोविड-19 के कारण मत्स्य उद्योग में सबसे ज़्यादा असर महिलाओं पर हुआ है, जोकि उत्पादक, संसाधक (Processor) और विक्रेता (Vendor) के रूप में काम करती हैं.