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कोरोनावायरस संकट: मज़बूत पुनर्बहाली के लिये योजना पर चर्चा

फ़्लू वायरस कण के परीक्षण नतीजों की जाँच.
CDC
फ़्लू वायरस कण के परीक्षण नतीजों की जाँच.

कोरोनावायरस संकट: मज़बूत पुनर्बहाली के लिये योजना पर चर्चा

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव अमीना मोहम्मद ने शुक्रवार को वैश्विक शोध प्रयासों के लिये वित्तीय संसाधन प्रदान करने वाले निवेशकों के साथ एक सम्वाद में हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम के दौरान शोध को मज़बूत बनाने और कोविड-19 महामारी से असरदार पुनर्बहाली में विज्ञान के इस्तेमाल पर चर्चा हुई. 

चर्चा में हिस्सा लेने वाले निवेशक वैश्विक रीसर्च में 10 करोड़ डॉलर के योगदान के लिये ज़िम्मेदार हैं. 

यूएन उपमहासचिव ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वैश्विक महामारी के व्यापक सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य प्रभावों का उल्लेख किया. 

उन्होंने कहा कि हाशिएकरण का शिकार जनसमूहों पर इसका सबसे ज़्यादा असर हुआ है. 

वायरस के फैलाव को रोकने के लिये लागू किये गए ऐहतियाती क़दमों की वजह से सात करोड़ अतिरिक्त लोग निर्धनता के गर्त में धँस गए हैं. 

“कोविड-19 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमें रूपान्तरकारी बदलावों के ज़रिये एक नए भविष्य का निर्माण करना होगा, जिसमें बराबरी, सहनक्षमता और टिकाऊपन को प्राथमिकता दी जाए.”

इस खुले सम्वाद (Open Dialogue) का उद्देश्य कोविड-19 की पृष्ठभूमि में विकास को सम्भव बनाने और उसमें विज्ञान की भूमिका पर चर्चा करना था. 

इस कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त राष्ट्र और कैनेडा के स्वास्थ्य शोध संस्थान ने किया ताकि विज्ञान और वैश्विक स्तर पर रचनात्मक सहयोग को बढ़ावा मिल सके. 

शोध संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों और यूएन अधिकारियों के बीच साझीदारियों की रणनीतियों पर चर्चा हुई. 

पुनर्बहाली का रोडमैप

इनमें कोविड-19 पुनर्बहाली के लिये यूएन का रीसर्च रोडमैप भी है जिसे नवम्बर 2020 में पेश किया गया था. 

कोरोनावायरस संकट के दौरान वैश्विक विषमताएँ उजागर हुई हैं, जिसके मद्देनज़र इस रोडमैप में जटिल स्वास्थ्य, मानवीय और सामाजिक-आर्थिक नतीजों के असर से निपटने का लक्ष्य रखा गया है.

साथ ही पुनर्बहाली प्रयासों में तेज़ी लाना और लक्षित शोध प्रयासों को बढ़ावा देना है ताकि पीछे छूट गये लोगों की ज़रूरतों को ध्यान में रखा जा सके. 

इस रोडमैप में अपना योगदान देने वाले बहुत से विशेषज्ञों में खुले सम्वाद में भी शिरकत की है.

यह कार्यक्रम टिकाऊ विकास और 2030 एजेण्डा की दिशा में संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रगति की रफ़्तार को तेज़ करने के प्रयासों की अहम कड़ी है. 

शोधकर्ताओं, निवेशकों, सरकारों, यूएन संस्थाओं और नागरिक समाज संगठनों के बीच पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देकर इसे हासिल किया जाएगा.